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महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है Cervical Cancer, जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

आज सुबह ही मॉडल और एक्ट्रेस Poonam Pandey की पीआर टीम ने उनकी मृत्यु का दावा किया है। उन्होंने मौत की वजह सर्वाइकल कैंसर बताई है जो महिलाओं में होने वाली एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी से दुनिया भर में लाखों महिलाएं पीड़ित हैं। इसलिए इस बारे में जागरूक होना बेहद जरूरी है। जानें सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों से लेकर बचाव के तरीकों तक सब कुछ।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Fri, 02 Feb 2024 07:42 PM (IST)
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जानें सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी सभी अहम बातें

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Cervical Cancer: आज सुबह एक ऐसी चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिस पर लोग भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। मॉडल और अभिनेत्री Poonam Pandey की पीआर टीम ने उनके इंस्टाग्राम अकाउंट से उनकी मौत का दावा किया, जिसमें उनकी मृत्यु की वजह सर्वाइकल कैंसर बताई गई है। हालांकि, उनकी मौत की पुष्टि अभी तक कहीं भी नही हुई है। सर्वाइकल कैंसर इतनी गंभीर बीमारी है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, 2020 में लगभग 3.4 लाख महिलाओं ने इस वजह से अपनी जान गवाई है। इसका सबसे बड़ा कारण, महिलाओं में इस बीमारी के बारे में जागरुकता की कमी है। इसलिए सर्वाइकल कैंसर के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में अधिक से अधिक जानकारी होना बेहद जरूरी है। आइए इस आर्टिकल में इस जानलेवा बीमारी से जुड़ी सभी अहम बातों की जानकारी हासिल करते हैं।

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क्या है सर्वाइकल कैंसर?

जैसा की नाम से समझा जा सकता है, सर्विक्स, वह भाग जो योनि और गर्भाश्य को जोड़ता है, में होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, सर्विक्स के सेल्स, प्रीकैंसरस सेल्स में परिवर्तित होने लगते हैं यानी ऐसे सेल्स जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकते हैं। हालांकि, सभी प्रीकैंसरस सेल्स कैंसर में तबदील हों, ऐसा जरूरी नहीं होता, लेकिन खतरा अवश्य रहता है।

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क्या है सर्वाइकल कैंसर की वजह?

सर्वाइकल कैंसर एस वायरस से संक्रमण की वजह से होता है। Human papillomavirus, जिसे HPV भी कहा जाता है, इस बीमारी की वजह बन सकता है। यह वायरस कई तरीकों से आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है, जिस वजह से सर्वाइकल कैंसर का खतरा रहता है, लेकिन हर एचपीवी इस कैंसर की वजह नहीं बनता है।

एचपीवी के कई प्रकार होते हैं, जिनमें टाइप 16 और 18 को हाई रिस्क टाइप माने जाते हैं, जो सर्वाइकल कैंसर की वजह बनते हैं। इसके अलावा, इस वायरस के अन्य दूसरे प्रकारों से इस वॉर्ट्स होने का जोखिम रहता है। वैसे तो, इस वायरस के शरीर में प्रवेश करते ही, हमारा इम्यून सिस्टम इसे खत्म कर देता है। इस वजह से यह वायरस हमारे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाता, लेकिन कुछ वायरस, जिन्हें इम्यून सिस्टम नष्ट नहीं कर पाता, आगे चलकर कैंसर की वजह बन सकते हैं।

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एचपीवी कैसे करता है संक्रमित?

एचपीवी संक्रमण की सबसे आम वजह शारीरिक संबंध मानी जाती है। कई बार संभोग के दौरान स्किन-टू-स्किन संपर्क की वजह से भी, इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा, किसी कट लगने की वजह से भी संक्रमित कर सकता है। अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान एचपीवी से इन्फेक्ट होने की वजह से जेनिटल वॉर्ट्स से पीड़ित है, तो बच्चे में भी एचपीवी के संक्रमण का खतरा रहता है।

सर्वाइकल कैंसर के कितने प्रकार हैं?

मुख्यतौर पर सर्वाइकल कैंसर के दो प्रकार होते हैं।

स्कवेमस सेल कार्सिनोमा- सर्विक्स में मौजूद स्कवेमस सेल्स, जो दिखने में लंबे और पतले होते हैं, में इस कैंसर की शुरुआत होती है। यह सर्विक्स के सबसे बाहरी हिस्से में मौजूद होते हैं। जब इन सेल्स के डीएनए में बदलाव की वजह से कैंसर होता है, तो उसे स्कवेमस सेल कार्सिनोमा कहा जाता है।

एडिनोकार्सिनोमा- सर्विक्स के ग्लैंड सेल्स में कैंसर होता है, जिसे एडिनोकार्सिनोमा कहा जाता है। यह कैंसर स्कवेमस कैंसर की तुलना में कम होता है।

क्या है इसके रिस्क फैक्टर?

रिस्क फैक्टर्स उन फैक्टर्स या घटकों को कहा जाता है, जो किसी बीमारी के खतरे को बढ़ाते हैं। सर्वाइकल कैंसर के रिस्क फैक्टर्स है-

स्मोकिंग- स्मोकिंग की वजह से एचपीवी इन्फेक्शन का लंबे समय तक रह सकता है, जिस वजह से सर्विक्स के सेल्स प्रीकैंसरस सेल्स में बदल सकते हैं। इसलिए स्मोकिंग की वजह से एचपीवी इंन्फेक्शन गंभीर रूप ले सकता है।

कमजोर इम्यून सिस्टम- शरीर में एचपीवी को खत्म करने की जिम्मेदारी इम्यून सिस्टम की होती है, लेकिन अगर इम्यूनिटी कमजोर है, तो एचपीवी को खत्म करना काफी मुश्किल हो सकता है।

एक से ज्यादा यौन साथी- एक से अधिक व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने की वजह से एचपीवी के संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है।

कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाना- कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने से भी एचपीवी के संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है।

अधिक बच्चे होना- अगर किसी महिला की तीन या उससे अधिक बार फुल टर्म प्रेग्नेंसी रही है, तो सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

बर्थ कंट्रोल पिल्स- लंबे समय तक गर्भ निरोधक गोलियों के इस्तेमाल से भी इस कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

क्या हैं सर्वाइकल कैंसर के लक्षण?

  • पेल्विस में दर्द होना
  • यूरिन में खून आना
  • शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होना
  • पीरियड्स के दौरान नॉर्मल से अधिक ब्लीडिंग होना
  • पीरियड्स खत्म होने के बाद भी ब्लीडिंग होना
  • खूनी या पानी जैसा वेजाइनल डिसचार्ज होना, जिसमें से अजीब से गंध आए
  • थकान
  • भूख न लगना
  • पीठ में दर्द
  • पैरों में सूजन

कैसे लगा सकते हैं इसका पता?

एचपीवी के संक्रमण के कई सालों तक धीरे-धीरे सर्वाइकल कैंसर विकसित होता रहता है। इस दौरान सर्विक्स के सेल्स में कुछ बदलाव होते रहते हैं, जो आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर में बदलता है। इसका पता लगाने के लिए नियमित तौर से पैप स्मियर टेस्ट करवाना चाहिए। इस टेस्ट में सर्विक्स के सेल्स को इकट्ठा किया जाता है, जिनमें प्रीकैंसरस सेल या अन्य दूसरे बदलावों के बारे में पता लगाने के लिए जांच की जाती है। यह टेस्ट आप अपने स्त्री चिकित्सा विशेषज्ञ (gynecologist) से मिलकर करवा सकते हैं। अगर टेस्ट में कोई असामान्यता दिखती है, तो आपके डॉक्टर आपका एचपीवी टेस्ट और अन्य दूसरे टेस्ट भी कर सकते हैं।

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सर्वाइकल कैंसर के कितने स्टेज हैं?

सर्वाइकल कैंसर के चार स्टेज होते हैं।

  • स्टेज-1 कैंसर केवल सर्विक्स में ही है। यह ज्यादा बड़ा नहीं हुआ है और न ही किसी दूसरे अंग में फैला है।
  • स्टेज-2 इस स्टेज में कैंसर सर्विक्स और यूटेरस के आगे भी फैल चुका है, लेकिन अभी तक पेल्विक की दिवारों तक नहीं पहुंचा है।
  • स्टेज-3 कैंसर वेजाइना के निचले भाग तक पहुंच चुका है और पेल्विक की दीवारों, यूटेरस और पास के लिम्फ नॉड्स तक भी पहुंच चुका है।
  • स्टेज-4 इस स्टेज में कैंसर रेक्टम, ब्लैडर और शरीर के अन्य दूसरे अंगों तक भी पहुंच चुका है।

कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर का इलाज?

इसका इलाज कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जिनमें आपकी उम्र, कैंसर किस स्टेज का है, आपकी अन्य दूसरी मेडिकल कंडिशन और क्या आप भविष्य में बच्चे चाहती हैं या नहीं।

  • कीमोथेरेपी- इसमें दवाइयों की मदद से कैंसर सेल्स को खत्म करने की कोशिश करने की जाती है। इन दवाइयों को ब्लड वेसल्स के जरिए रक्त में डाला जाता है।
  • रेडिएशन थेरेपी- इसमें एनर्जी बीम्स की मदद से कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है।
  • टारगेटेड थेरेपी- इसमें सिर्फ कैंसर सेल्स को टारगेट करके नष्ट किया जाता है। इसमें हेल्दी सेल्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
  • सर्जरी- इसमें ऑपरेशन की मदद से कैंसर सेल्स को शरीर से बाहर निकाला जाता है। लेजर सर्जरी, जिसमें लेजर की मदद से कैंसर सेल को जलाया जाता है, कायरोसर्जरी, इसमें कैंसर सेल्स को जमा दिया जाता है, हिस्टेरेक्टमी जैसी सर्जरी की मदद ली जाती है।
  • इम्यूनोथेरेपी- इम्यूनोथेरेपी में इम्यून सिस्टम को एक्टिव किया जाता है, ताकि वह कैंसर सेल्स को पहचान कर, उन्हें नष्ट कर सके।

कैसे कर सकते हैं इससे बचाव?

  • एचपीवी वैक्सीन- सर्वाइकल कैंसर से बचाव का सबसे कारगर तरीका है, एचपीवी वैक्सीन लेना। यह 9-14 साल की उम्र में ले ली जाए, तो सबसे अधिक असरदार होता है, लेकिन इसके बाद भी आप यह वैक्सीन ले सकते हैं। सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के लिए भारत सरकार ने भी अंतरिम बजट के दौरान, 9-14 साल की लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन लगवाने पर जोर दिया।
  • सुरक्षित तरीके से शारीरिक संबंध बनाएं- शारीरिक संबंध बनाते समय हमेशा कंडोम या अन्य दूसरे सुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल करे, ताकि एचपीवी के संक्रमण से बचा जा सके।
  • पैप टेस्ट कराएं- नियमित रूप से पैप स्मियर टेस्ट करवाने से एचपीवी के संक्रमण को जल्द से जल्द पकड़ा जा सकता है, जिससे वक्त रहते इससे बचाव के कदम उठाए जा सकते हैं या इलाज किया जा सकता है।
  • स्मोकिंग न करें- स्मोकिंग करने से एचपीवी के इंफेक्शन को हमारा इम्यून सिस्टम खत्म नहीं कर पाता। इस कारण से स्मोकिंग बिल्कुल न करें।

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Picture Courtesy: Freepik and Instagram/poonampandeyreal


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर सर्वाइकल कैंसर का इलाज हो चुका है, तो आप प्रेग्नेंट हो सकते हैं। हालांकि, इलाज के लिए किस तरीके की मदद ली गई है, यह उस पर भी निर्भर करता है। इसलिए इलाज के दौरान आपसे यह पूछते हैं कि भविष्य में आपको बच्चे चाहिए या नहीं।

एचपीवी वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित है। यह आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित नहीं करती है बल्कि, एचपीवी के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान कर, सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करती है।

अगर इसका शुरुआती स्टेज पर पता लग जाए, तो कीमोथेरेपी आदि की मदद से कैंसर को खत्म किया जा सकता है, लेकिन अगर यह फैल गया, तो इसका कोई इलाज नहीं है।

जी हां! सर्वाइकल कैंसर की वजह से कई शारीरिक बदलाव होते है, जिन कारणों से शारीरिक संबंध बनाने में तकलीफ हो सकती है। इसके अलावा, यह मानसिक रूप से भी काफी मुश्किल साबित हो सकता है, जो आपके यौन जीवन को प्रभावित करता है।