डिलीवरी के बाद आप भी कर रही हैं Postpartum Depression का सामना, तो इन न्यूट्रिएंट्स से करें इसे कंट्रोल
Postpartum Depression एक गंभीर समस्या है जिसकी वजह से अक्सर कई महिलाएं परेशान रहती हैं। यह आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद महिला को अपना शिकार बनाता है। इसकी वजह से अक्सर मूड में बदलाव थकावट और निराशा महसूस होती है। ऐसे में आप इन न्यूट्रिएंट्स को अपनी डाइट में शामिल से इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Postpartum Depression: मां बनना एक महिला के जीवन का सबसे बड़ा पड़ाव होता है। इस दौरान उनके जीवन में कई बदलाव होते हैं। गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक उन्हें कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। इसके साथ ही इस दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। पोस्ट पार्टम डिप्रेशन इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे कई महिलाएं डिलीवरी के बाद अक्सर परेशान रहती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे कुछ ऐसे न्यूट्रिएंट्स के बारे में, जो पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मददगार साबित होंगे।
क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन अक्सर बच्चे में जन्म के बाद महिलाओं में देखने को मिलता है। यह बहुत शक्तिशाली होता है और लंबे समय तक रहता है। इसकी वजह से अक्सर महिलाओं के मूड में गंभीर बदलाव, थकावट और निराशा की भावना देखने को मिलती है। इस तरह की भावनाओं की वजह से बच्चे और महिला का खुद की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है। आप इन न्यूट्रिएंट्स की मदद से पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों से बच सकते हैं।
मैग्नीशियम
अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो आपके शरीर में सभी जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होना बेहद जरूरी है। इस दौरान आपके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों के साथ ही मैग्नीशियम की भी मांग बढ़ जाती है। दरअसल, आपके शरीर में टिशूज और हड्डियों के लिए मौजूद मैग्नीशियम दूध के जरिए बच्चे को मिल जाता है। ऐसे में अगर इसकी कमी को रोकने शरीर मे मैग्नीशियम की पूर्ति करे। साथ ही यह आपके नर्वस सिस्टम को शांत करने के अलावा डर या चिंता की भावनाओं को भी कम करता है।
ओमेगा-3
ओमेगा-3 मां से उनके भ्रूण में और बाद में ब्रेस्ट मिल्क के जरिए बच्चे के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है। साथ ही इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में काफी मदद मिलती है। दरअसल, यह ब्रेन में सेरोटोनिन जैसे मूड केमिकल को प्रोडक्शन को बढ़ाकर डिप्रेशन के लक्षणों को कम करता है।
मेलाटोनिन
मेलाटोनिन रात के समय शरीर में नेचुरली बनता है और सुबह होते ही इसका प्रोडक्शन बंद हो जाता है। इसे पीनियल हार्मोन भी कहा जाता है। यह एक ऐसा हार्मोन है, जो हमारे सोने और जागने की प्रक्रिया को कंट्रोल करता है। अगर आप हाल ही में मां बनी हैं और आपको सोने में परेशानी हो रही है, तो आपके शरीर में मेलाटोनिन की कमी हो सकती है।
जिंक
हमारे टेस्ट और स्मेल सेंस के लिए जिंक बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा प्रेग्नेंट, नवजात बच्चे और बचपन में शरीर को ठीक से बढ़ने और विकसित होने के लिए जिंक की जरूरत होती है। जिंक इंसुलिन की क्रिया को भी बढ़ाता है। साथ ही यह मूड बेहतर करने में मददगार है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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