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कोविशील्ड के बाद Covaxin की सुरक्षा पर भी उठे सवाल, ताजा स्टडी में सामने आए इसके भी साइड इफेक्ट्स

कोरोना महामारी से बचाव के लिए लगाई गई वैक्सीन अब सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रही है। बीते दिनों कोविडशील्ड (covishield) वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के बाद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) के साइड इफेक्ट्स ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। हाल ही में सामने आई बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पता चला कि कोवैक्सीन कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकती है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 17 May 2024 05:10 PM (IST)
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कोविशील्ड के बाद सामने आए कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिनों सामने आई कोविशील्ड (covishield) के साइड-इफेक्ट्स की खबर ने इस वैक्सीन को लेने वाले लोगों को चिंता में डाल दिया था। इस खबर के सामने आने के कोवैक्सिन (Covaxin) लगवाए वाले लोगों ने चैन की सांस ली थी, लेकिन अब इन लोगों के लिए भी परेशान करने वाली एक खबर सामने आई है। एक हालिया स्टडी में भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के साइड-इफेक्ट्स पर प्रकाश डाला गया है। आइए जानते हैं क्या कहती है ये नई स्टडी-

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शंख शुभ्रा चक्रवर्ती और उनकी टीम के नेतृत्व में किए गए अध्ययन कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं। रिसर्च की यह रिपोर्ट स्प्रिंगर लिंक जर्नल में पब्लिश की गई है। स्टडी में पाया गया कि कोवैक्सिन लगवाने के बाद कुछ खास जगह के लोगों में adverse events of special interest (AESI) यानी कुछ तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिली। खासकर लड़कियां और पहले से किसी एलर्जी का शिकार लोगों में इसका ज्यादा जोखिम होने का खतरा था।

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सांस और त्वचा संबंधित समस्याओं का खतरा

635 किशोरों और 291 वयस्कों पर की गई इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने वैक्सीन लगवा चुके लोगों में तीन गंभीर लक्षण रिपोर्ट किए। अध्ययन में पता चला कि वैक्सीन लगवाने वाले 10.5 प्रतिशत लोगों को त्वचा संबंधित समस्या, 10.2 प्रतिशत को सामान्य विकार और 4.7 प्रतिशत में नर्वस सिस्टम से संबंधित समस्याओं का अनुभव हुआ। इतना ही नहीं महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं देखी गईं। जबकि 2.7 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत प्रतिभागियों में आंखों से जुड़ी समस्याएं और हाइपोथायरायडिज्म के मामले देखने को मिले।

गुलियन बेरी सिंड्रोम का भी खतरा

स्टडी में यह भी सामने आया कि अध्ययन में शामिल 0.3% प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 0.1% प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान हुई। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (NINDS) के मुताबिक यह एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) एक गंभीर बीमारी है, जो लकवे की तरह होती है। यह धीरे-धीरे शरीर के बड़े हिस्से को निशक्त कर देती है।

कोविडशील्ड पर भी उठ चुका है सवाल

इससे पहले एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोविडशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की खबर सामने आने बाद भी लोगों के बीच काफी डर का माहौल देखने को मिला था। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका से यह माना था कि इस वैक्सीन के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) की समस्या हो सकती है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं, जो कारण हार्ट अटैक, स्ट्रोक, तेजी से प्लेटलेट्स गिरने का कारण बन सकता है।

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