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IIT जोधपुर के शोधकर्ताओं का कमाल! सांप के जहर से बनाया रोगाणुरोधी, घाव भरने वाला और कीटाणुनाशक पेप्टाइड

यह शोध दो प्रमुख समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। शोधार्थी रामकमल समत डा. मौमिता जश के अनुसार पहला यह कि इस पेप्टाइड्स की क्षमता गैर-विशिष्ट प्रकृति बैक्टीरिया को इसके खिलाफ प्रतिरोध उत्पन्न करने का बहुत कम मौका देती है। दूसरा यह कि यह अच्छी जैव अनुकूलता को बनाए रखते हुए ई. कोलाई पी. एरुगिनोसा के. निमोनिया और एमआरएसए जैसे ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पाजिटिव दोनों को मार सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 20 Sep 2023 07:09 AM (IST)
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सांप के जहर से बनाया रोगाणुरोधी, घाव भरने वाला और कीटाणुनाशक पेप्टाइड (फाइल फोटो)
जागरण संवादाता, जोधपुरः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने बहुत ही अहम शोध करते हुए सांप के जहर से बनाया रोगाणुरोधी, घाव भरने वाला और कीटाणुनाशक पेप्टाइड बनाया है। इसमें एक रोगाणुरोधी पेप्टाइड अणु एसपी1वी3_1 की संकल्पना को डिजाइन और संश्लेषित किया है, जिसके द्वारा ई. कोलाई और पी. एरुगिनोसा, निमोनिया, और एमआरएसए (मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस आरियस) जैसे बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है।

यह पेप्टाइड मोलेक्यूल बैक्टीरियल मेम्ब्रेन्स के साथ मिलकर एक संरचना का निर्माण करता है जिससे इन बैक्टीरिया को खत्म किया जाता है। विभिन्न अध्ययनों में पेप्टाइड मोलेक्यूल को गैर विषैले की श्रेणी में रखा गया है। म्यूरिन माडल में इस पेप्टाइड को शीघ्र घाव भरने में और एमआरएसए द्वारा शल्य चिकित्सा के बाद घाव पर संक्रमण को रोकने में भी मददगार पाया गया।

आइआइटी जोधपुर के शोधकर्ता, बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग के डा. सुरजीत घोष और स्मार्ट हेल्थकेयर विभाग के साथ डा. साम्या सेन के अनुसार इस डिजाइन रणनीति में हमारा प्रमुख लक्ष्य सांप के जहर के रोगाणुरोधी गुण को खोए बिना उसके जहर से होने वाले जोखिम को कम करना है। इसलिए हमने सांप के जहर के पेप्टाइड को छोटा कर दिया और सांप के जहर के जहरीले हिस्से को हटा दिया है।

इसके अलावा हमने एन-टर्मिनस पर हेलिकल शार्ट पेप्टाइड को जोड़ दिया ताकि जीवाणु कोशिका के अंदर हमारे नए डिजाइन किए गए उपचार को आसानी से प्रवेश कराया जा सके। यह है पेप्टाइडः अमीनो अम्लों की छोटी शृंखलाओं को पेप्टाइड कहते हैं। कई पेप्टाइड मिलकर प्रोटीन का गठन करते हैं। प्रोटीन एवं पेप्टाइड में आकार का ही अंतर है। अमीनो अम्ल जिस बंध द्वारा जुड़े होते हैं उसे पेप्टाइड बंध कहते हैं।

यह शोध दो प्रमुख समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है

शोधार्थी रामकमल समत, डा. मौमिता जश के अनुसार पहला यह कि इस पेप्टाइड्स की क्षमता गैर-विशिष्ट प्रकृति बैक्टीरिया को इसके खिलाफ प्रतिरोध उत्पन्न करने का बहुत कम मौका देती है। दूसरा यह कि यह अच्छी जैव अनुकूलता को बनाए रखते हुए ई. कोलाई, पी. एरुगिनोसा, के. निमोनिया और एमआरएसए जैसे ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पाजिटिव दोनों को मार सकता है।

व्यापारिक फार्मास्यूटिकल उत्पाद के रूप में विकसित करने की संभावना

शोधकर्ता नबनिता मुखर्जी, सुरोजीत घोष और डा. जयिता सरकार के अनुसार रोगाणुरोधी प्रतिरोध की लगातार बढ़ती समस्या के कारण एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में ठहराव के इस युग में रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स नवीन जैवनाशक एजेंटों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सभी जरूरी परीक्षण हो जाने के उपरांत इस रोगाणुरोधी पेप्टाइड एसपी1वी3_1 में एक व्यापारिक फार्मास्यूटिकल उत्पाद के रूप में विकसित होने की अपार संभावना है। उन्होंने बताया इस पेप्टाइड को घाव पर कीटाणुनाशक और उपचार के लिए मरहम के तौर (अकेले या अन्य दवाओं/पेप्टाइड्स के साथ मिलाकर), इंजेक्शन/ मौखिक दवा के रूप में रूप में उपयोग किया जा सकता है।