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सेहत बिगाड़ सकती हैं एंटीबायोटिक दवाएं

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर संक्रमण समाप्त करती हैं एंटीबायोटिक दवाएं। हालांकि इनका अधिक सेवन शरीर पर डालता है विपरीत प्रभाव और कमजोर होती है प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक जानकारी दे रहे हैं डा. रमन कुमार प्रसीडेंट फैमिली फिजीशियंस आफ इंडिया दिल्ली

By Keerti SinghEdited By: Updated: Tue, 15 Nov 2022 06:03 PM (IST)
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डाक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करे

 एंटीबायोटिक दवाएं जीवनरक्षक हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इनका सेवन आवश्यकता से अधिक किया जाए। ये वे दवाएं हैं, जो बीमारी के संक्रमण से लड़ती हैं। ये बैक्टीरिया को नष्ट करके या बैक्टीरिया के प्रसार को रोकने का काम करती हैं। एंटीबायोटिक दवाएं टीबी से लेकर निमोनिया, फोड़े-फुंसी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में प्रयोग की जाती हैं।

मौसमी बीमारियों पर सेवन ठीक नहीं:

मौसम में बदलाव के साथ तरह-तरह की बीमारियां फैलती रहती हैं। इनके उपचार व बचाव में एंटीबायोटिक दवाओं की अहम भूमिका है, लेकिन इनके प्रति लोगों में जागरूकता होना भी उतना ही आवश्यक है। संक्रामक बीमारियों के उपचार में एंटीबायोटिक्स दवाओं का प्रयोग उपयोग किया जाता है, जिससे जीवाणुओं को नष्ट किया जा सके। वायरसजनित संक्रमण जैसे-मौसमी बुखार, सर्दी, फ्लू, खांसी में ये असरकारी नहीं है। ये बीमारियां प्राक२तिक रूप से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। इसलिए इनका नियमित सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं माना जाता है।

उत्पन्न होता है प्रतिरोध:

बिना चिकित्सकीय सलाह के एंटीबायोटिक्स दवाओं का लंबे समय तक सेवन शरीर में इनके असर को लेकर प्रतिरोध पैदा होता है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहते हैं। एंटीबायोटिक्स दवाओं के अनावश्यक सेवन एक समय बाद शरीर पर प्रभाव दिखाना बंद कर देता है। जिसके परिणामस्वरूप उपचार अप्रभावी हो जाता है और बीमारी या संक्रमण का निदान कठिन हो जाता है। इससे दूसरों में भी संक्रमण फैलने की संभावना रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस वैश्विक स्वास्थ्य के बडे खतरों एक है।

जरूरत पर हो प्रयोग:

एंटीबायोटिक्स का प्रयोग वहां किया जा सकता है, जहां एंटीबायोटिक दवाओं के बिना बीमारी का निदान न हो। कई बार लोग खुद से ही तरह-तरह के एंटीबायोटिक्स का सेवन करने लगते हैं, यह तरीका और भी गलत है। इससे बीमारी में राहत भले ही मिल जाए, लेकिन किस अंग पर कितना प्रभाव पडेगा यह कह पान कठिन है।