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Hashimoto’s Disease से जूझ रहे हैं अर्जुन कपूर, डॉक्टर से जानें क्या है यह बीमारी और इसके लक्षण

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) ने हाल ही में बताया कि उन्हें Hashimotos Disease है। यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसके कारण उन्हें अचानक वजन बढ़ने की परेशानी है। इस बारे में बताते हुए उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें माइल्ड डिप्रेशन भी है जिसके लिए वो थेरेपी ले रहे हैं। आइए जानते हैं कि क्या है हाशिमोटो और इसके लक्षण (Hashimoto’s Disease Symptoms) कैसे होते हैं।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 08 Nov 2024 12:35 PM (IST)
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कैसे होते हैं Hashimoto's Disease के लक्षण (Picture Courtesy: Instagram)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी सेहत से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि सिंघम अगेन की शूटिंग के दौरान वो माइल्ड डिप्रेशन से गुजर रहे थे, जिसके लिए उन्होंने थेरेपी भी ले रहे हैं। इसी इंटरव्यू में उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें हाशिमोटो डिजीज भी है (Arjun Kapoor Battles Hashimoto’s Disease), जिसकी वजह से थोड़े से फिजिकल स्ट्रेस के कारण भी उनका वजन बढ़ जाता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह बीमारी (Hashimoto's Disease) है क्या और इसका व्यक्ति की सेहत पर क्या असर हो सकता है।

Arjun kapoor hashimoto's disease

(Picture Courtesy: Instagram)

इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. विजय वर्मा (सी.के. बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम के एलर्जी एंड ईएनटी स्पेशलिस्ट विभाग में कंसल्टेंट) से बात की। आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में, जैसे कि यह क्या है, क्या हैं इसके कारण (Hashimoto’s Disease Causes), इसके लक्षण (Hashimoto’s Disease Symptoms) और किन तरीकों से इसे मैनेज किया जा सकता है।

डॉ. वर्मा ने बताया कि हाशिमोटो डिजीज, जिसे हाशिमोटो थायरोडाइटिस भी कहते हैं, एक प्रकार का ऑटोइम्यून डिजीज है, जो थायरॉइड ग्लैंड से जुड़ा है। इस बीमारी में शरीर में सूजन होने लगती है, जिसके कारण थायरॉइड ग्लैंड को नुकसान पहुंचता है। आपको बता दें कि थायरॉइड ग्लैंड तितली के आकार का एक ग्लैंड है, जो गर्दन के आगे के हिस्से में होता है। यह थायरॉइड हार्मोन रिलीज करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म, एनर्जी प्रोडक्शन और सामान्य बॉडी ग्रोथ कंट्रोल होता है।

हालांकि, हाशिमोटो क्यों होता है, इसके पीछे की वजह साफ नहीं है। वातावरण और जेनेटिक्स कंडीशन को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। डॉ. वर्मा ने कि यह बीमारी वैसे तो किसी को भी किसी भी आयु में हो सकती है, लेकिन यह ज्यादातर महिलाओं को होता है, उसमें भी 30-50 वर्ष की उम्र के बीच में।

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हाशिमोटो डिजीज के लक्षण कैसे होते हैं?

हाशिमोटो के लक्षण आसानी से पता नहीं लगते और ये विकसित होने में काफी समय भी लगता है। हालांकि, इसके कुछ आम लक्षण ऐसे हैं-

  • थकान- लगातार थकान या एनर्जी की कमी
  • वजन बढ़ना- खान-पान की नॉर्मल आदतों के बावजूद अचानक से वजन बढ़ना
  • ड्राई स्किन- त्वचा रूखी, खुर्दुरी और फ्लेकी लगना
  • कोल्ड सेंसिटिविटी- गर्म माहौल में भी ठंड लगना
  • कब्ज- पाचन में समस्याएं
  • बालों का पतला होना- बालों का पतला और कमजोर होना
  • डिप्रेशन और मूड स्विंग्स- इस बीमारी में व्यक्ति को इमोशनल डिसऑर्डर भी हो सकते हैं, जैसे- एंग्जायटी या डिप्रेशन
  • सूजन- चेहरे में सूजन या इंफ्लेमेशन
  • मांसपेशियों में कमजोरी- हाथों और जांघों की मांसपेशियों में कमजोरी

इस बीमारी को कैसे मैनेज करें?

हाशिमोटो को मैनेज करना काफी मुश्किल होता है, लेकिन इन तरीकों से इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है-

  • मेडिकल चेकअप- नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाएं। इससे यह पता चल जाता है कि थायरॉइड हार्मोन किस तरह काम कर रहा है और इसके लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
  • संतुलित आहार- हेल्दी डाइट खाने से एनर्जी मिलती है और सेहत दुरुस्त रहती है। डाइट में सेलेनियम, जिंक और आयोडिन से भरपूर चीजों को डाइट में शामिल करें।
  • एक्सरसाइज- हाशिमोटो को कंट्रोल करने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है।
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