Arthritis बढ़ा सकता है महिलाओं और पुरुषों में प्रजनन समस्याएं, शोध में हुआ खुलाया
अर्थराइटिस उम्र के साथ होने वाली बीमारियों में से एक है जिसमें हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इस लाइलाज बीमारी को दवाइयों और लाइफस्टाइल में बदलावों के साथ मैनेज करना होता है। हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चलता है कि अर्थराइटिस का कनेक्शन प्रजनन समस्याओं से भी हो सकता है। आइए जानते हैं इस रिसर्च के बारे में विस्तार से।
नई दिल्ली। अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसका कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षणों को सिर्फ दवाइयों और देखभाल से मैनेज किया जा सकता है। गठिया और भी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसे लेकर हाल ही में एक रिसर्च भी की गई।
एक नए शोध में देखा गया है कि गठिया रोग यानी अर्थराइटिस से जूझने पर, वक्त से पहले डिलीवरी, जन्म के वक्त बच्चे का वजन कम होना या फिर प्रजनन संबंधी जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
यह शोध जर्नल रूमेटोलॉजी में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में ऑटोइम्यून रोगों का प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की जांच की गई। ऑटोइम्यून रोग से ग्रस्त लोगों के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ ऊतकों और अंगों पर आक्रमण करने लगती है।
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ऑटोइम्यून रोग और फर्टिलिटी में क्या कनेक्शन?
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान कुछ मरीजों के बच्चों की संख्या, पिता बनने में समस्या और गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं की जांच की। उन्होंने फिनलैंड में 1964 से 1984 के बीच पैदा हुए लोगों के राष्ट्रीय डाटा का परीक्षण किया। उन्होंने प्रजनन वर्ष से पहले या बाद करीब आठ प्रतिशत महिला और पुरुषों में ऑटोइम्यून रोग की पहचान की।रिसर्च में पाए गए तीन रोग
शोध दल ने पाया कि तीन शीर्ष ऑटोइम्यून रोगों में इसका अधिकतम प्रभाव पाया गया। एडिसन रोग में 23.9 प्रतिशत, जुवेनाइल आइडियोपैथिक गठिया में 9.3 प्रतिशत और विटामिन-बी12 की कमी वाले एनीमिया से ग्रस्त लोगों में 8.6 प्रतिशत निसंतानता पाई गई।
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