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शोध में मिला Asthma के गंभीर मामलों का इलाज, जानें क्या कहती है नई रिसर्च

अस्थमा फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन हाल ही में अस्थमा के मरीजों के लिए एक खुशखबरी आई है। दक्षिण आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक शोध में अस्थमा के गंभीर मामलों के इलाज में सफलता हासिल की गई है। जानें क्या पाया गया इस रिसर्च में।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 26 Feb 2024 06:39 PM (IST)
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नई रिसर्च में मिला अस्थमा का इलाज
आइएएनएस, नई दिल्ली। Asthma: अस्थमा फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी है, इससे दुनिया भर में करोड़ों लोग पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2019 में वैश्विक स्तर पर 26.2 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित थे। अस्थमा फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक ऐसी बीमारी है, जो फेफड़ों को प्रभावित करती है। इस कंडिशन में श्वासनली में सूजन आ जाती है या वह सिकुड़ने लगती है या म्यूकस बनने की मात्रा बढ़ जाती है।

इन वजहों से व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। कई बार अस्थमा अटैक इतना गंभीर हो सकता है कि व्यक्ति की जान पर भी बन आ सकती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए इसका इलाज जीवनभर चलता रहता है। इसके इलाज की खोज के लिए वैज्ञानिक शोध करते रहते हैं।

क्या है यह रिसर्च?

हाल ही में आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने अस्थमा के गंभीर मामलों के इलाज में एक सफलता हासिल की है। ट्रैबिकिहार्ट नामक एक मानव चिकित्सीय एंटीबॉडी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की सूजन और घावों को प्रभावी ढंग से रोक सकती है। एक ही दवा के साथ कई सूजन संबंधी साइटोकिन्स को लक्षित करना जटिल और गंभीर पुराने अस्थमा की बीमारी के इलाज और नियंत्रण की चाबी हो सकता है।

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Asthma

दक्षिण आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय (यूनिएसए) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन का निष्कर्ष सोमवार को प्रकाशित हुआ है। प्रिनफ्लेमेटरी अणुओं का परिवार बीटा कॉमन साइटोकिन्स गंभीर और स्टेरायड-प्रतिरोधी अस्थमा के मामलों में रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट की सूजन और घावों को नियंत्रित कर सकता है।

नवंबर 2023 में नेशनल अस्थमा काउंसिल आस्ट्रेलिया द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, आस्ट्रेलिया में 2022 में अस्थमा के कारण 467 मौतें हुईं, जो 2021 में 355 मौतों से अधिक है और 2017 के बाद से सबसे अधिक संख्या है।

यूनिएसए में एलर्जी एवं कैंसर इम्यूनोलाजी लेबोरेटरी में के हेड व शोध के संयुक्त लेखक डैमन ट्यूम्स ने कहा कि वर्तमान में अस्थमा का उपचार सीमित है, क्योंकि वे सिंगल मॉल्योल को टारगेट करते हैं, जबकि कई कोशिकाएं और रास्ते अस्थमा के लिए जिम्मेदार होते हैं। ट्यूम्स ने कहा कि गंभीर अस्थमा में सूजन और टीशू डैमेज कई प्रकार की इम्यून सेल्स के कारण होती है, जो एलर्जी, वायरस और श्वसन मार्ग से संपर्क करने वाले अन्य सूक्ष्म जीवों के कारण फेफड़ों में प्रवेश करती हैं।

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Picture Courtesy: Freepik