Cataract Care: आंखों में मोतियाबिंद शुरू नहीं होने देंगे ये 6 बेहद असरदार आयुर्वेदिक उपाय
मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें लेन्स पर धुंधलापन आ जाता है। इसका समय रहते या फिर ठीक से इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। आज के मॉडर्न जमाने में कैटरेक्ट सर्जरी की मदद से ठीक किया जा सकता है। वहीं आयुर्वेद की मदद से मोतियाबिंद की रोकथाम मुमकिन है। आइए जानें आयुर्वेदिक एक्सपर्ट क्या राय देते हैं।
मोतियाबिंद का इलाज कैसे होता है?
मोतियाबिंद का एकमात्र इलाज सर्जरी ही है। सर्जरी में डॉक्टर अपारदर्शी लेन्स को हटाकर मरीज की आंख में नया इंट्रा ऑक्युलर लेन्स लगा देते हैं। इसके अलावा मोतियाबिंद की रोकथाम के लिए आयुर्वेद की मदद ली जा सकती है। मोतियाबिंद के लिए आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानने के लिए हमने बात की डॉ. मंदीप सिंह बासु से, जो डॉ. बासु आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर हैं।आखिर होता क्या है मोतियाबिंद?
मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख का प्राकृतिक लेन्स धुंधला होने लगता है। आमतौर पर यह समस्या उम्र के बढ़ने के साथ शुरू होती है, लेकिन कई बार यह आंख पर लगी चोट, सर्जरी, पारिवारिक इतिहास आदि के कारण भी हो जाती है। मोतियाबिंद का इलाज अगर वक्त रहते न किया जाए, तो धुंधलापन बढ़ता जाता है, जिससे रोशनी की किरणें लेन्स तक नहीं पहुंच पातीं और आंखों की रोशनी कमजोर होती चली जाती है।मोतियाबिंद होने की क्या वजह होती हैं?
मोतियाबिंद के लिए आयुर्वेदिक टिप्स
मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक उपचार का प्राथमिक उद्देश्य बाधित शरीर की ऊर्जा को बहाल करना, ब्लड फ्लो को सामान्य करना और नेत्र संबंधी नसों और ऊतकों की लचीलापन को बढ़ाना होता है। डॉ. बासु कुछ खास उपायों की सलाह देते हैं:1. तेज गर्मी और तेज ठंड से बचें
लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से आंखों में सूखापन और जलन हो सकती है, तो वहीं बहुत ज्यादा ठंड से ब्लड वेसेल्स सिकुड़ सकते हैं, जिससे आंखों में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है। आंखों को सुरक्षित रखने के लिए धूप वाला चश्मा पहनें, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और विटामिन-ए से भरपूर चीजों का सेवन करें। यह भी पढ़ें: प्रदूषण भी बढ़ा रहा आंखों की समस्याएं, राहत पाने के लिए आजमाएं ये उपाय2. स्मोकिंग से दूरी बनाएं
धूम्रपान मोतियाबिंद को और भी गंभीर बना सकता है। तंबाकू के धुएं में शामिल जहरीले केमिकल्स आंखों के लेन्स में मौजूद प्रोटीन को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे आंखों में धुंधलेपन की समस्या हो सकती है।3. दवाओं का उपयोग
लंबे समय तक स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल भी मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ा देता है। स्टेरॉयड्स आंख की लेन्स संरचना में परिवर्तन का कारण बन सकता है, जिससे मोतियाबिंद के विकास को बढ़ावा मिलता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक और डॉक्टर की सलाह के बिना इस तरह की दवाओं का उपयोग न करने की सलाह देते हैं।4. नियमित जांच है जरूरी
मोतियाबिंद का शीघ्र पता लगाने और प्रबंधन के लिए नियमित आंखों की जांच बहुत जरूरी है। इससे आंखों से जुड़ी किसी भी समस्या का समय रहते पता चल जाता है। जिससे समय पर इलाज शुरू कर इसे ठीक किया जा सकता है।5. त्रिफला का उपयोग
त्रिफला, तीन फलों (आंवला, हरीतकी और बिभीतकी) से बना एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है, जो अपने अनगिनत लाभों के लिए जाना जाता है। आंखों को धोने के लिए त्रिफला के पानी का उपयोग करने से आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि इससे आंखों का इन्फेक्शन और दूसरी परेशानियां दूर रहती हैं और मोतियाबिंद का खतरा कम होता है।6. तर्पण और अश्च्योतन कर्म
तर्पण और अश्च्योतन कर्म आयुर्वेदिक उपचार हैं, जो खासतौर से आंखों को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। तर्पण में आंखों के चारों ओर औषधीय घी लगाना, पोषण प्रदान करना और दृष्टि में सुधार करना शामिल है। अश्च्योतन कर्म में आंखों को साफ करने और रोशनी बढ़ाने के लिए हर्बल आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल शामिल है। आंखों के ऑप्टीमल हेल्थ को बनाए रखने के लिए इन उपचारों का पालन करने की सलाह दी जाती है।अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मोतियाबिंद के सामान्य लक्षणों में रंगों की चमक में कमी आना, साफ न दिख पाना, रात में ड्राइव करने में दिक्कत आना, दिन के समय की रोशनी भी आंखों में चुभना।
यह बुजुर्गों में होने वाली आम समस्या है। मोतियाबिंद 40 साल की उम्र के बाद से विकसित होना शुरू हो सकता है, लेकिन इससे होने वाली दिक्कतें 60 साल के आसपास ही महसूस होना शुरू होती हैं। हालांकि, युवा लोगों में भी यह समस्या हो सकती है।
आमतौर पर, मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद एक या दो दिन आराम करने की सलाह दी जाती है। ज्यादातर लोग कुछ दिनों के अंदर ही रोजमर्रा के काम दोबारा शुरू करने में सक्षम हो जाते हैं।