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खराब मेटाबॉलिज्म बन सकता है कई गंभीर बीमारियों की वजह, जानें कैसे रखें इसे दुरुस्त

जब शरीर में मेटाबॉलिज़्म की प्रक्रिया का सही ढंग से काम नहीं करती तो तमाम कोशिशों के बावज़ूद व्यक्ति अपने बढ़ते वज़न को नियंत्रित नहीं कर पाता जो कई गंभीर बीमारियों की वजह है। क्यों होता है ऐसा और इस समस्या को कैसे नियंत्रित किया जाए। जानें यहां।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Thu, 26 Nov 2020 07:44 AM (IST)
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पेट साफ होने के बाद रिलैक्स पुरुष
क्या है मेटाबॉलिज़्म

यह पाचन-तंत्र से जुड़ी ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत हमारा शरीर ग्रहण किए गए भोजन को ऊर्जा में बदलता है। उसके बाद पाचन-तंत्र में होने वाले केमिकल ट्रॉन्सफॉर्मेशन की प्रक्रिया द्वारा भोजन से मिलने वाली एनर्जी प्रोटीन, फैट, कार्ब और ग्लूकोज़ में बदल जाती है। हमारे शरीर को हर काम के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है। यहां तक कि आराम के समय भी शरीर में रक्त-प्रवाह, श्वसन क्रिया और टूटे-फूटे तंतुओं की मरम्मत का काम चल रहा होता है। अगर शरीर में मेटाबॉलिज़्म की प्रक्रिया संतुलित हो तो बढ़ते वज़न को नियंत्रित करना आसान हो जाता है, पर ऐसा न होने पर वज़न का घटाना मुश्किल होता है। दरअसल जब हमारे शरीर में बीएमआर यानी बेसल मेटाबॉलिक रेट काफी कम हो जाता है तो मांसपेशियों पर फैट जमा होने लगता है। इसके अलावा ज्य़ादा देर तक खाली पेट रहने के बाद तेज़ भूख की वजह से अकसर ओवर ईटिंग हो जाती है। ऐसे में हमारा शरीर उस सारे भोजन को ऊर्जा में नहीं बदल पाता। नतीजतन शरीर में कैलरीज़ का संग्रह होने लगता है। एक्सरसाइज़ और डाइटिंग जैसी कोशिशें भी तभी फायदेमंद साबित होती हैं, जब शरीर का मेटाबॉलिक रेट सही हो। भोजन को ऊर्जा में बदलना और उस ऊर्जा की सही खपत, मेटाबॉलिज़्म की पूरी प्रक्रिया में इस चक्र का अनवरत ढंग से चलते रहना बेहद ज़रूरी है।

क्या है आरएमआर

मेटाबॉलिज़्म एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत हमारा शरीर ग्रहण किए गए भोजन को ऊर्जा में बदलता है। कुछ लोग ऐसा समझते हैं कि सिर्फ शारीरिक श्रम करने के लिए ही एनर्जी की ज़रूरत होती है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। नींद या आराम के दौरान भी हमारे शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जिसे रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट (आरएमआर) कहा जाता है। पूरे एक दिन में शरीर द्वारा ग्रहण की गई कैलरी का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा आरएमआर में खर्च होता है। औसतन किसी स्वस्थ स्त्री को रोज़ाना आरएमआर के लिए 1200 और पुरुष को 1300 कैलरी की ज़रूरत होती है। इसके अलावा 1400 से 1600 कैलरी अन्य शारीरिक गतिविधियों पर खर्च होती है। हालांकि यह व्यक्ति की उम्र, सेहत और शारीरिक सक्रियता पर भी निर्भर करता है। अत: अच्छी सेहत के लिए हमेशा  सक्रिय रहने की कोशिश करें। 

क्यों होता है असंतुलन

आमतौर पर 25 साल की आयु के बाद प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल में व्यक्ति के बीएमआर में 5 से 10 प्रतिशत तक की कमी आती है,लेकिन नियमित एक्सरसाइज़ और मॉर्निंग वॉक से यह नुकसान काफी हद तक कम हो जाता है। उम्र बढऩे के साथ एक्सरसाइज़, योगाभ्यास और मॉर्निंग वॉक को अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। इससे मेटाबॉलिज़्म की प्रक्रिया तेज़ होती है और वज़न भी नहीं बढ़ता। जब गले में स्थित थायरॉयड ग्लैंड सही ढंग से काम नहीं करता, तब भी वज़न के घटने या बढऩे की समस्या हो सकती है क्योंकि इससे निकलने वाला हॉर्मोन भी मेटाबॉलिज़्म की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यदि किसी को थायरॉयड की समस्या हो तो उसे डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए।

कैसे दुरुस्त हो प्रक्रिया

अगर आप अपना वज़न जल्दी घटाना चाहते हैं तो हाई प्रोटीन डाइट लें क्योंकि इसे पचाने में शरीर को ज्य़ादा मेहनत करनी पड़ती है, नतीजतन स्वाभाविक रूप से अधिक कैलरी बर्न होती है और वज़न कम होता है। ऐसी चीज़ें व्यक्ति के शरीर में मेटाबॉलिक रेट को बढ़ा देती हैं, जिससे वज़न घटने की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है। इसके लिए आप दाल, स्प्राउट्स, मछली, चिकेन और अंडे की सफेदी का सेवन कर सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसायुक्त चीज़ों, जैसे घी-तेल, मक्खन, चावल और मैदे से दूर रहने की कोशिश करें।

एक ही बार ज्य़ादा खाने के बजाय हर दो-तीन घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाते रहें तो इससे शरीर का मेटाबॉलिज़्म दुरुस्त रहेगा। खानपान के साथ थोड़ा आराम भी ज़रूरी है। रोज़ाना आठ घंटे की नींद लें। देर रात तक जागने वाले लोग भूख लगने पर अधिक कैलरी वाली चीज़ों के प्रति आकर्षित होते हैं। इससे उनका वज़न बढ़ जाता है।

Pic credit- Freepik