Fungal Infections: बरसात में बढ़ जाता है इन फंगल इन्फेक्शन का खतरा, आप भी रहें सतर्क
Fungal Infections बरसात भले ही अपने साथ सुहाना मौसम लेकर आती है लेकिन साथ ही इस मौसम में कई सारी बीमारियों और संक्रमणों का खतरा भी बढ़ जाता है। हवा में नमी और धूप की कमी की वजह से इस मौसम में कई सारे फंगल संक्रमणों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में आज जानेंगे इस मौसम में होने वाली कुछ आम फंगल संक्रमणों के बारे में-
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Mon, 24 Jul 2023 09:47 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Fungal Infections: बरसात का मौसम उमस भरी गर्मी से भले ही राहत देता है, लेकिन यह अपने साथ फंगल इन्फेक्शन भी लेकर आता है। इस मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। नम हवा और धूप की कमी की वजह से यह मौसम विभिन्न प्रकार के फंगल संक्रमणों के बढ़ने के लिए उपयुक्त होता है। हवा में लगातार नमी के कारण, त्वचा पर हमेशा पसीने की एक परत बनी रहती है, जो इसे कई प्रकार के फंगल इन्फेक्शन के प्रति हमें संवेदनशील बनाता है।
बरसात के मौसम में होने वाली इन फंगल संक्रमण की वजह से पैर की उंगलियों के बीच की त्वचा, कमर का हिस्सा, आंतरिक जांघें, हिप्स और यहां तक कि आंखें भी प्रभावित हो सकती हैं। इस सीजन में ऐसी कई सारी समस्याएं लोगों को अपना शिकार बनाती है। ऐसे में जरूरी है कि आपको बरसात में होने वाले इन संक्रमणों के बारे में जानकारी हो। चलिए जानते हैं मानसून में होने वाले कुछ प्रमुख फंगल इन्फेक्शन के बारे में-
एथलीट फुट (टीनिया पेडिस)
यह एक आम फंगल इन्फेक्शन है, जो पैरों की त्वचा को प्रभावित करता है, खासकर पैर की उंगलियों के बीच। यह गर्म और नम वातावरण में पनपता है।रिंगवॉर्म (टीनिया कॉर्पोरिस)
रिंगवॉर्म यानी दाद फंगस के कारण होने वाला स्किन इन्फेक्शन है। इससे त्वचा पर गोलाकार और लाल धब्बे हो जाते हैं, जिनमें अक्सर खुजली होती है। यह शरीर के विभिन्न अंगों पर हो सकते हैं। यह संक्रमित त्वचा के संपर्क में आने से फैल सकता है।
जॉक इच (टीनिया क्रूरिस)
यह फंगल संक्रमण कमर के क्षेत्र, भीतरी जांघों और हिप्स को प्रभावित करता है, जिससे खुजली, लालिमा और दाने हो जाते हैं।नेल फंगस (ओनिकोमाइकोसिस)
नाखूनों में फंगल संक्रमण होना नेल फंगस कहलाता है। यह आमतौर पर पैर की उंगलियों में होता है और यह नाखूनों के मोटा होने, रंग खराब होने और टूटने का कारण बन सकता है।