ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए वरदान है Bone Marrow Transplant, एक्सपर्ट से जानें इससे जुड़ी सभी बातें
बोन मैरो ट्रांसप्लांट की मदद से कई खतरनाक बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस महत्वपूर्ण तकनीक की मदद से कई प्रकार के ब्लड कैंसर का इलाज भी होता है। हालांकि यह प्रक्रिया कैसे होती है और किन बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल होता है यह जानने के लिए हमने एक एक्सपर्ट से बात की। जानें उनका क्या कहना है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Bone Marrow Transplant: बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल कई कैंसर और नॉन कैंसर बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। आपने कई बार इसका नाम ब्लड कैंसर के इलाज के रूप में सुना होगा, लेकिन इसकी मदद से और भी कई बीमारियां, जैसे- अप्लास्टिक अनीमिया, न्यूरोब्लास्टोमा, प्लाज्मा सेल डिसऑर्डर आदि का भी इलाज किया जाता है।
लेकिन इस प्रक्रिया में ऐसा क्या किया जाता है, जो इन खतरनाक बीमारियों का निदान साबित हो सकता है और यह क्यों किया जाता है। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एक एक्सपर्ट से बात की है, जिन्होंने Bone Marrow Transplant से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों से हमें अवगत कराया।
क्या है बोन मैरो ट्रांसप्लांट?
इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने अपोलो अस्पताल के सेंटर फॉर बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेल्यूलर और थेरेपी के डायरेक्टर डॉ. गौरव खार्या से बात की। बोन मैरो ट्रांसप्लांट को बेहद सरल शब्दों में समझाते हुए डॉ. खार्या ने बताया कि Bone Marrow Transplant एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति के डैमेज बोन मैरो, यानी, जो हेल्दी स्टेम सेल नहीं बना पाते, उसकी जगह हेल्दी स्टेम सेल्स को डाला जाता है।बोन मैरो हड्डियों में मौजूद सॉफ्ट टिश्यू होता है, जो रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स बनाते हैं। बोन मैरो ट्रांसप्लांट तकनीक की मदद से ल्यूकीमिया, मल्टिपल मायलोमा के साथ-साथ कुछ नॉन कैंसरस कंडिशन्स, जैसे प्लास्टिक अनीमिया, सिकल सेल अनीमिया और थैलासीमिया का इलाज किया जाता है।
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कैसे होता है बोन मैरो ट्रांसप्लांट?
इस प्रक्रिया के दौरान, मरीज के शरीर से या किसी डोनर के शरीर से स्टेम सेल्स, ऐसे सेल, जो किसी भी प्रकार के ब्लड सेल बनाने में समर्थ होते हैं, को इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद, कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी की मदद से मरीज के शरीर में मौजूद डैमेज सेल्स को नष्ट किया जाता है। इसके बाद इकट्ठा किए गए हेल्दी स्टेम सेल्स को मरीज के शरीर में डाला जाता है। इन हेल्दी स्टेम सेल की मदद से मरीज का बोन मैरो स्वस्थ सेल्स बना पाता है।
हालांकि, बोन मैरो ट्रांसप्लांट के कारण कई समस्याएं भी हो सकती हैं। मायो क्लीनिक के मुताबिक, कई बार बोन मैरो ट्रांसप्लांट के कारण स्टेम सेल फेलियर, इनफर्टिलिटी, इन्फेक्शन, ग्राफ्ट वरसेस होस्ट डिजीज का खतरा भी हो सकता है।
इस बारे में और बताते हुए डॉ. खार्या ने कहा कि पिछले कई सालों में Bone Marrow Transplant के लिए कई नई और उन्नत तकनीके और सेफ दवाइयां खोजी गई हैं, जिनकी मदद से मैच्ड और अनमैच्ड, दोनों ही प्रकार के बोन मैरो ट्रांसप्लांट में सफलता की संभावना में काफी बढ़ोतरी हुई है। इतना ही नहीं, कई प्रकार के ब्लड कैंसर या डिसऑर्डर के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक मात्र विकल्प है।यह भी पढ़ें: “मोबाइल या टीवी करते हैं माइंड को रिलेक्स”, क्या आप भी करते हैं ऐसे मिथकों पर भरोसा?Picture Courtesy: Freepik