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Brain Stroke: सर्दियों में बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, डायबिटीज़ व ज्यादा वजन वाले लोग रखें खास ख्याल

Brain Stroke तापमान में गिरावट के कारण सर्दियों में धमनियां सिकुड़ने लगती हैं। इससे ब्लडप्रशेर अनियंत्रित होता है और बढ़ जाती है ब्रेन स्ट्रोक की आशंका। जानते हैं कि क्या हैं इसके लक्षण उपचार और कैसे हो सकता है इससे बचाव...

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Wed, 14 Dec 2022 10:29 AM (IST)
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Brain Stroke: ब्रेन स्ट्रोक की वजहें, कारण, लक्षण व उपचार

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Brain Stroke: सर्दी बढ़ने के साथ ही कम तापमान के कारण विभिन्न बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में थोड़ी सी असावधानी सेहत पर भारी पड़ सकती है। इस समय सबसे अधिक मामले हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक के आ रहे हैं। आकड़ों के अनुसार, भारत में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आता है और अन्य मौसमों की तुलना में सर्दियों में इसमें और वृद्धि होती है। हमारा शरीर मौसम में आए बदलाव के साथ बहुत धीमी गति से सामंजस्य बिठाता है, जबकि तापमान का प्रभाव शरीर की कार्यप्रणाली पर तेजी से पड़ता है। तापमान मे कमी के कारण रक्त गाढ़ा होने लगता है, जिससे शरीर के अंगों की सक्रियता प्रभावित होती है।

ऐसे में रक्त प्रवाहित करने वाली धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और मस्तिष्क में पहुंचने वाले रक्त के प्रवाह की गति धीमी हो जाती है। इससे हार्ट व मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है। आक्सीजन व रक्त के प्रवाह में बाधा आने से रक्त का थक्का बनता है। हाई ब्लडप्रेशर से मस्तिष्क की धमनियां फट जाती हैं, इससे दिमाग में रक्त स्राव होता है। ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। पहला है इसकिमिक ब्रेन स्ट्रोक। इसमें मस्तिष्क की धमनियों में रक्त का थक्का बनने से रक्त प्रवाह बाधित होता है, जिससे दिमाग की कोशिकाओं को आक्सीजन नहीं मिल पाती है। इससे वे बहुत तेजी से नष्ट होने लगती हैं। दिमाग का जो भाग प्रभावित होता है और वह जिस काम पर नियंत्रण रखता है, वह काम ब्रेन स्ट्रोक आने पर रोगी नहीं कर पाता है। जबकि दूसरी स्थिति में हेमरेजिक स्ट्रोक आता है। इसमें मस्तिष्क की नस फटने से रक्त स्राव होता है और रक्त मस्तिष्क के किसी भाग में जमा हो जाता है, जिससे मस्तिष्क का कार्य प्रभावित होता है। इसमें रोगी को लकवा मार सकता है और कई बार समय पर उपचार न मिलने पर जीवन पर भी खतरा आ सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक के उपचार

ब्रेन स्ट्रोक आने पर लक्षण महसूस हों तो रोगी को तत्काल अस्पताल लेकर जाएं। इसमें पहले तीन से चार घंटे (गोल्डन आवर्स) बेहतर इलाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसके उपचार में चिकित्सक स्ट्रोक की स्थिति के अनुसार सीटी, एमआरआइ जैसी जांचे करवाते हैं। जिन मामलों में रक्त का थक्का बना होता है, काफी संभावना रहती है कि उसका निदान दवाओं से हो जाए, लेकिन अगर धमनी फटने से रक्त मस्तिष्क के किसी भाग में जमा हो जाता है तो सर्जरी का विकल्प अपनाया जाता है।

ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षण

यदि अचानक से किसी व्यक्ति का चेहरा टेढ़ा होने लगे, शरीर के एक हाथ-पैर में ताकत कम होने लगे, हाथ ऊपर उठाने व चलने में परेशानी के साथ व्यक्ति चलते समय पैर को फर्श पर खीचकर चले तो तत्काल उपचार के लिए ले जाना चाहिए। ये ब्रेन स्ट्रोक आने के लक्षण हैं। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

-शरीर का शिथिल होना

-बोलने में कठिनाई

-घबराहट के साथ सांस लेने की परेशानी होना

-तेज सिरदर्द होना

- एक तरफ चेहरे में सुन्नता महसूस करना

- कमजोरी के साथ भ्रम की स्थिति में आ जाना

- आंखों में धुंधलापन आना

- जी मिचलाना या उल्टी होना

ये अवश्य करें:

-तनाव से बचें

-हाई ब्लडप्रेशर से ग्रसित हैं तो नियमित दवाएं लें और ब्लडप्रेशर की जांच कराते रहें

- अल्कोहल व धूमपान के सेवन से बचें

- योग, व्यायाम व प्राणायाम करें

- सिर दर्द को गंभीरता से लें

-सुबह धूप निकलने के बाद टहलने जाएं और अच्छी तरह से गर्म कपड़े पहनें

-माइग्रेन से ग्रसित हैं तो चिकित्सक से सलाह व दवाएं लेते रहें

इन्हें है ज्यादा खतरा

- मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रसित व्यक्ति

- अधिक वसा (कोलेस्ट्राल) से ग्रसित व्यक्ति

- अनियंत्रित वजन वाले लोग

- गर्भवती महिलाएं

- गर्भ निरोधक, हार्मोंस की दवाओं का सेवन करने वाली महिलाएं

- 55 साल से अधिक उम्र वाले लोग

- किसी जटिल बीमारी का उपचार ले रहे रोगी

- एनीमिया के रोगी 

(डॉ. ए. के. सिंह, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, न्यूरोलाजी विभाग, डा. राममनोहर लोहिया, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान एवं चिकित्सा संस्थान, लखनऊ से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik