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Male Breast Cancer: महिलाएं ही नहीं पुरुष भी होते हैं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार, एक्सपर्ट से जानें जरूरी बातें

Breast Cancer in Males ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो मुख्य रूप से स्तन को प्रभावित करती है। यह आम धारणा है कि यह बीमारी सिर्फ महिलाओं को प्रभावित करती है लेकिन पुरुष भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के बारे में ज्यादा विस्तार से जानने के लिए अपने एक्सपर्ट से बात की।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sun, 15 Oct 2023 07:44 AM (IST)
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क्या पुरुष भी हो सकते हैं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इन दिनों कई बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। कैंसर (Cancer) इन्हीं गंभीर बीमारियों में से एक है, जिससे दुनियाभर में कई लोग प्रभावित है। यह बीमारी शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है। ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) इस बीमारी का एक गंभीर प्रकार है, जो मुख्य रूप से ब्रेस्ट यानी स्तन को प्रभावित करती है। अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है।

क्या है ब्रेस्ट कैंसर?

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताबिक ब्रेस्ट यानी स्तन कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्रेस्ट में सेल्स कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं। स्तन कैंसर विभिन्न प्रकार के होते हैं। स्तन कैंसर का प्रकार इस बात पर निर्भर करता है कि स्तन की कौन सी कोशिकाएं कैंसर में बदल जाती हैं। यह आमतौर पर महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है, लेकिन कई बार पुरुष भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में पुरुषों में इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बात की।

पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर

दिल्ली के सी के बिड़ला हॉस्‍पिटल में डायरेक्‍टर ऑफ सर्जिकल ओंकोलॉजी डॉ मनदीप सिंह मल्होत्रा बताते हैं कि कई लोगों की यह सोच है कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को प्रभावित करता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। पुरुषों को भी स्‍तन कैंसर का खतरा होता है, लेकिन इसकी संभावना काफी कम होती है। यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्ग पुरुषों में देखी गई है और यह ज्‍यादातर उम्र के छठे या सातवें दशक में प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसका जोखिम भी बढ़ता जाता है।

पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर के रिस्‍क फैक्‍टर्स

पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर से जुड़े रिस्‍क फैक्‍टर्स को समझना जरूरी है। खासतौर से इसलिए भी क्‍योंकि पुरुष आमतौर पर इस बीमारी की जांच नहीं करवाते और न ही उन्‍हें यह ख्‍याल आता है कि वे ब्रेस्‍ट कैंसर के शिकार हो सकते हैं। नतीजा यह होता है कि महिलाओं की तुलना में, जब पुरुषों में पहली बार इसका निदान होता है, तो रोग एडवांस स्‍टेज में पहुंच चुका होता है। पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर के रिस्‍क फैक्‍टर्स निम्न हैं-

  • उम्र- यह सबसे प्रमुख कारण है। महिलाओं की ही तरह पुरुषों में भी यह जोखिम उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है। पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर पकड़ में आने की औसत उम्र 68 देखी गई है।
  • अधिक एस्‍ट्रोजेन लेवल- पुरुषों में एस्‍ट्रोजेन लेवल का बढ़ना भी ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर में से एक है। पुरुषों में हार्मोनल दवाओं, मोटापा और एस्‍ट्रोजेन्‍स एक्‍सपोजर की वजह से एस्‍ट्रोजेन लेवल बढ़ सकता है।
  • ज्यादा अल्‍कोहल पीना- ज्यादा शराब पीने की वजह से ब्‍लड में एस्‍ट्रोजेन लेवल को रैग्‍यूलेट करने की लिवर की क्षमता काफी सीमित हो सकती है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  • लिवर रोग- लिवर डिजीज आमतौर पर एंड्रोजेन (पुरुष हार्मोन) लेवल को कम करते हैं और एस्‍ट्रोजेन (महिला हार्मोन) लेवल को बढ़ाते हैं। इसकी वजह से गाइनेकोमैस्टिकया (ब्रेस्‍ट टिश्‍यू ग्रोथ जो कि नॉन-कैंसरस होती है) तथा ब्रेस्‍ट कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
  • क्‍लाइनफेल्‍टर सिंड्रोम- क्‍लाइनफेल्‍टर सिंड्रोम से पीड़ि‍त पुरुषों में एंड्रोजेन (पुरुष हार्मोन) का स्‍तर कम और एस्‍ट्रोजेन (महिला हार्मोन) का स्‍तर अधिक होता है। इसलिए उन्‍हें गाइनेकोमैस्टिकया (ब्रेस्‍ट टिश्‍यू ग्रोथ जो कि नॉन-कैंसरस होती है) और ब्रेस्‍ट कैंसर का जोखिम अधिक होता है।
  • फैमिली हिस्‍ट्री या जेनेटिक म्‍युटेशंस- फैमिली हिस्‍ट्री होने पर भी पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर का रिस्‍क अधिक होता है। खासतौर पर अगर फैमिली में दूसरे पुरुष ब्रेस्‍ट कैंसर के मरीज रहे हों।
  • रेडिएशन एक्‍सपोजर- अगर किसी पुरुष का छाती या अन्‍य किसी मेडिकल कंडीशन जैसे कि लिंफोमा, बोन ट्यूमर या हाइपरट्रॉफिक स्‍कार अथवा केलॉइड आदि की वजह से रेडिएशन एक्‍सपोजर होता है, तो इन मामलों में भी ब्रेस्‍ट कैंसर का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
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पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर के लक्षण

  • ब्रेस्‍ट में गांठ महसूस होना
  • निप्‍पल में दर्द
  • इन्‍वर्टेड निप्‍पल
  • निप्‍पल से तरल पदार्थ या खून आना
  • बगल के नीचे लिंफ नोड्स का आकार बढ़ना

यह भी ध्यान रखें

यह ध्‍यान रखना जरूरी है कि दोनों स्‍तनों (केवल एक भाग में नहीं) का आकार बढ़ना कैंसर नहीं होता है। इस कंडीशन को गाइनेकोमैस्टिकया कहते हैं। ब्रेस्‍ट एन्‍लार्जमेंट किसी भी कारणवश हो सकता है या फिर कुछ खास दवाओं, ज्यादा शराब पीने या वजन बढ़ने की वजह से होता है। गाइनेकोमैस्टिकया अपने आप से कैंसर की वजह नहीं बनता, हालांकि एस्‍ट्रोजेन का अधिक लेवल जो कैंसर का कारण होता है, गाइनेकोमैस्टिकया की भी वजह हो सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर का निदान

ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर समय रहते इसका निदान कर लिया जाए, तो जीवन को काफी हद तक बचाया जा सकता है। लक्षणों एवं अन्‍य संकेतों के बाद निम्‍न तरीकों से ब्रेस्ट कैंसर को डाग्‍नॉसिस किया जाता है-

  • मैमोग्राम
  • ब्रेस्‍ट का अल्‍ट्रासाउंड
  • निप्‍पल से होने वाले डिस्‍चार्ज की जांच (साइटोलॉजी)
  • स्‍तन में गांठ की बायप्‍सी (कोर निडल)
  • PET CT/ MRI/ CT स्‍कैन/बोन स्‍कैन इमेजिंग
ब्रेस्‍ट कैंसर का इलाज

पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर का कारण आमतौर पर हार्मोन पॉजिटिव डिजीज होता है। अगर जल्दी इसका पता लगाया जाए तो सर्जरी से इसका इलाज किया जा सकता है, जिसके बाद हार्मोन थेरेपी दी जाती है। इस बीमारी के एडवांस स्‍टेज में पहुंचने पर कीमोथेरेपी और रेडिएशन की जरूरत होती है।

पुरुषों के मामले में, ब्रेस्‍ट लॉस और बॉडी डिसफिगरमेंट उतना बड़ा मसला नहीं होता, जितना कि महिलाओं के मामले में होता है। हालांकि निप्‍पल खोने का मनोवैज्ञानिक असर पुरुषों पर पड़ता है। इसलिए, पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर का जल्द पता लगाना भी निम्‍न कारणों से जरूरी होता है-

  • इस जानलेवा बनने से रोकने के लिए
  • इलाज को लंबा होने से बचाने के लिए
  • बॉडी कम से कम डिसफिगर होने से बचाने के लिए

यह भी जानें

वहीं, फोर्टिस नोएडा के रेडिएशन ओंकोलॉजी में सीनियर कंसल्‍टेंट डॉ तृप्ति सक्‍सेना बताती हैं कि पुरुषों में स्‍तन कैंसर दुर्लभ लेकिन गंभीर है। 1,000 पुरुषों में से करीब 1 को अपने जीवनकाल में कभी न कभी इस बीमारी का सामना करना पड़ता है। पुरुषों में शुरुआती चरण में ही ब्रेस्‍ट कैंसर का निदान होने पर उनके पांच साल तक जीवित रहने की संभावना 90% से अधिक होती है, जबकि एडवांस स्‍टेज का कैंसर होने पर यह संभावना कम हो जाती है।

इसके लक्षणों में, ब्रेस्‍ट टिश्‍यू में गांठ (जिसमें दर्द महसूस नहीं होता), त्‍वचा के रंग में बदलाव, निप्‍पल में परिवर्तन और स्‍तन या बगल के नीचे दर्द अथवा कोमलता महसूस होना शामिल हैं। वहीं, पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर से जुड़े रिस्‍क फैक्‍टर्स में उम्र, फैमिली हिस्‍ट्री, जेनेटिक म्‍युटेशंस, गाइनेकोमैस्टिया, क्‍लाइनफेल्‍टर सिंड्रोम और रेडिएशन एक्‍सपोजर शामिल हैं।

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