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Budget 2024: Cervical Cancer से बचाव के लिए वैक्सीन को बढ़ावा देगी सरकार, जानें एचपीवी से जुड़े कुछ आम मिथक

Cervical Cancer महिलाओं को संक्रमित करने वाला चौथा सबसे प्रमुख कैंसर है। इससे बचाव पर जोर देते हुए Budget 2024 के दौरान केंद्रिय वित्त मंत्री ने HPV Vaccine को बढ़ावा देने की घोषणा की। इस कैंसर की वजह HPV है जो एक प्रकार का वायरस होता है। इससे जुड़े मिथकों की वजह से इसकी वैक्सीन की दर काफी कम है। जानें एचपीवी से जुड़े कुछ आम मिथक।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Thu, 01 Feb 2024 01:07 PM (IST)
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जानें एचपीवी से जुड़े कुछ आम मिथकों की सच्चाई

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Budget 2024: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे प्रमुख कैंसर है। साल 2018 में दुनिया भर में लगभग 5.7 लाख महिलाएं सर्वाकल कैंसर से पीड़ित थीं और लगभग 3.1 लाख महिलाओं की इस कारण से मौत हो गई। यह आंकड़ा इतना भयानक है, कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव करना काफी जरूरी है। बजट (Budget 2024) पेश करते हुए केंद्रिय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने हेल्थ सेक्टर के लिए भी कई ऐलान किए। इस दौरान, उन्होंने Cervical Cancer से जुड़ी भी एक बड़ी अपडेट दी।

क्या हुई घोषणा?

उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 9-14 साल की लड़कियों में HPV Vaccine को बढ़ावा दिया जाएगा। आपको बता दें कि एचपीवी वैक्सीन Human papillomavirus (HPV) से बचाव के लिए दिया जाता है। यह वायरस महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की वजह बनता है, इसलिए इससे बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन लेना बेहद आवश्यक होता है। हालांकि, इस वायरस के बारे में सही जानकारी की कमी की वजह से, इससे बचाव के लिए टीकाकरण की दर काफी कम है। इसलिए आज हम आपको बताने वाले हैं कि एचपीवी क्या है और इससे जुड़े कुछ मिथकों की सच्चाई।

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क्या है एचपीवी?

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, एचपीवी एक सामान्य वायरस है, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इस वायरस के 100 से भी अधिक प्रकार होते हैं, जिनके कुछ टाइप ऐसे हैं, जो चेहरे, हाथ, पैर आदि पर वॉर्ट्स का कारण बन सकते हैं। इस वायरस के लगभग 30 प्रकार ऐसे हैं, जो वल्वा, योनि (वजाइना), सर्विक्स, पीनिस, एनस आदि को प्रभावित कर सकते हैं।

एचपीवी से जुड़े कुछ मिथक

मिथक 1- हर प्रकार से एचपीवी से कैंसर होता है

जी नहीं। यह एक मिथक है। हर प्रकार के एचपीवी से कैंसर नहीं होता है। कुछ एचपीवी की वजह से वॉर्ट्स की समस्या होती है और कुछ ऐसे प्रकार हैं, जो सेल्स में बदलाव कर, कैंसर की वजह बन सकते हैं। जिन एचपीवी की वजह से कैंसर होता है, उन्हें हाई रिस्क एचपीवी टाइप कहा जाता है, जिसमें एचपीवी टाइप 16 और 18 शामिल हैं, जो कैंसर की वजह बन सकते हैं। हालांकि, यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि इनकी वजह से कैंसर होगा ही होगा। यह बस कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। आमतौर पर, हमारा इम्यून सिस्टम इस वायरस को खुद को खत्म कर देता है, लेकिन अगर फिर भी एचपीवी शरीर में रह जाता है, तो यह आगे चलकर कैंसर की वजह बन सकता है। इसमें कई सालों का समय भी लग सकता है, इसलिए इसके नियमित चेकअप पर जोर दिया जाता है।

मिथक 2- एचपीवी केवल महिलाओं को संक्रमित करता है

ऐसा बिल्कुल नहीं है। पुरुष भी एचपीवी से संक्रमित हो सकते हैं। एचपीवी के संक्रमण की वजह से पुरुषों में वॉर्ट्स और जेनिटल कैंसर का खतरा रहता है। इसके अलावा, एनस और कंठ के पिछले हिस्से में कैंसर हो सकता है। हालांकि, पुरुषों में एचपीवी का संक्रमण महिलाओं की तुलना में कम होता है, लेकिन होने की संभावना जरूर रहती है। खासकर, उन पुरुषों में जिनका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो।

मिथक 3- एचपीवी वैक्सीन की वजह से इंफर्टिलिटी हो सकती है।

नहीं, यह सच नहीं है। एचपीवी वैक्सीन की वजह से इंफर्टिलिटी का बिल्कुल खतरा नहीं होता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी एचपीवी वैक्सीन को बिल्कुल सेफ बताते हुए, सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए सबसे बेहतर तरीका बताया है।

मिथक 4- एचपीवी संक्रमण केवल शारीरिक संबंध बनाने से ही होता है।

यह एक मिथक है। एचपीवी के संक्रमण का एक कारण शरीरिक संबंध हो सकता है, लेकिन यह एकलौती वजह नहीं है। एचपीवी स्किन टू स्किन यानी त्वचा से त्वचा के संपर्क के जरिए भी हो सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए शारीरिक संबंध बनाते समय कंडोम, डायफ्राम आदि का इस्तेमाल करना प्रभावी होता है, लेकिन यदि शरीर का वह भाग त्वचा के संपर्क में आए, जो इस वायरस से संक्रमित है, तो भी इसके संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

मिथक 5- एचपीवी से संक्रमित होते ही लक्षण नजर आने लगते हैं।

अगर आप भी ऐसा मानते हैं, तो हम आपको बताना चाहते हैं कि यह बिल्कुल गलत है। ज्यादातर लोगों में एचपीवी के संक्रमण के बाद कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। यहीं कारण है, जो पैप टेस्ट को जरूरी बनाता है। इस वायरस से संक्रमित होने के बाद इम्यून सिस्टम इसे खत्म करने के काम में लग जाता है, लेकिन अगर इम्यून सिस्टम इसे शरीर से बाहर नहीं भी निकाल पाता है, तो वॉर्ट्स हो सकते हैं और कैंसर के लक्षण नजर आने में कम से कम साल भर तक का समय लग सकता है।

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Picture Courtesy: Freepik