कैंसर एक बेहद घातक बीमारी, इससे पीड़ित मरीजों को दवा देने का एक नया तरीका खोजा
अल्टियर ने इस उपचार के लिए अध्ययन के सह-लेखक डाक्टर गेराल्ड जम्पोनी पीएचडी सीएसएम में प्रोफेसर और हाटचिस ब्रेन इंस्टीट्यूट के सदस्य के साथ एक पेटेंट आवेदन दायर किया है। इस अणु को लक्षित करके अब दर्द को रोकने के लिए पहले से मौजूद कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग संभव
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2022 05:07 PM (IST)
वाशिंगटन, एएनआइ : कैंसर एक बेहद घातक बीमारी होती है और इससे होने वाला दर्द बेहद असहनीय होता है। कैंसर से पीड़ित मरीज को एंटी कैंसर दवा दी जाती है, लेकिन यह तरीका आसान नहीं होता और इससे मरीज को काफी दर्द सहना पड़ता है। अब विज्ञानियों ने इस दिशा में एक बेहद ही अहम खोज की है। इसके तहत उन्होंने कैंसर के मरीजों को दवा देने का एक नया तरीका खोजा है। यूनिवर्सिटी आफ कैलगरी ने इस खोज के बारे में कहा है कि इसके तहत पुराने दर्द का इलाज करने का संभावित नया तरीका ओपिओइड आधारित दर्द की दवा के बजाय कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग करना है।
शोधकर्ताओं ने तंत्रिका तंत्र में एक अणु के अस्तित्व की पहचान की है, जो दर्द के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है। इस अणु को पहले कैंसर के विकास में भूमिका निभाने के लिए माना जाता था, लेकिन तंत्रिका तंत्र में कभी इसकी सूचना नहीं दी गई थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि अब इसी अणु को लक्षित करके अब दर्द को रोकने के लिए पहले से मौजूद कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग करना संभव हो सकता है। यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है।
नई दवा तैयार करने की जरूरत नहीं : कनाडा रिसर्च चेयर इन इनफ्लामेटरी पेन के पीएचडी डाक्टर क्रिस्टोफ अल्टियर और उनकी टीम ने बड़े स्तर पर उन जीन पर अध्ययन किया, जो मस्तिष्क को दर्द की संरचना की जानकारी देता है। उन्होंने तंत्रिका तंत्र में एक ऐसे अणु के अस्तित्व की पहचान की जो दर्द के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है। डा. अल्टियर के मुताबिक, इस खोज का सबसे रोचक पहलू यह है कि हमें कोई नई दवा तैयार करने की जरूरत नहीं है। हमने देखा है कि कैंसर के इलाज में स्वीकृत एक मौजूदा दवा को दर्द के इलाज के लिए दोबारा तैयार किया जा सकता है।
दवा की खुराक बढ़ाने की जरूरत नहीं : डा. अल्टियर के मुताबिक, यह खोज पुराने दर्द से पीड़ित लोगों के लिए बहुत ही अच्छी खबर है, जिनके पास भविष्य में आशंकित नशे की लत ओपिओइड लेने से रोकने का विकल्प हो सकता है, जिन्हें ठीक रहने के लिए समय के साथ खुराक में वृद्धि की आवश्यकता होती है। डा. मानोन डेफाय के मुताबिक, इस कैंसर रोधी दवाओं से सहनशीलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। दर्द से राहत देने के लिए हमें दवा की खुराक बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
यह है आगे की तैयारी : डा. अल्टियर ने बताया कि अब हमारा अगला कदम क्लिनिकल परीक्षण करना है और यह देखना है कि क्या वही सकारात्मक परिणाम पेट दर्द और सर्जरी के बाद दर्द से जूझ रहे मरीजों पर भी असर करेंगे। डा. अल्टियर के मुताबिक, हम यह परीक्षण इसलिए करना चाहते हैं, क्योंकि उपयोग की जा रहीं जो दवाएं पहले से मौजूद हैं, वो काफी अच्छी तरह से काम कर रही हैं और यह साबित हो चुका है। इससे उपचार के वास्तविक बनने की समयसीमा नई दवाओं को विकसित करने की तुलना में कम होगी।
चूहों पर किया अध्ययन : डा. अल्टियर और उनकी टीम ने चूहों पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में उन्होंने देखा कि फेफड़ों और एक तरह के मस्तिष्क कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं दर्द को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से तंत्रिका चोट और सूजन से होने वाले दर्द के लिए परीक्षण किया और पाया कि कैंसर की दवाएं बहुत अच्छी तरह से काम करती हैं।