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CAR-T Cell Therapy हो सकती है कैंसर के मरीजों के लिए वरदान, एक्सपर्ट से जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जिसका वक्त रहते इलाज करवाने से जान बचाने की संभावना रहती है। इसके इलाज के लिए कई प्रकार की ट्रीटमेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें कीमोथेरेपी सबसे कॉमन है। हाल ही में इसके इलाज के लिए CAR-T Cell Therapy के बारे में काफी चर्चा हो रही है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 23 Feb 2024 06:33 PM (IST)
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जानें CAR-T Cell Therapy से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। CAR-T Cell Therapy: कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो किसी भी उम्र और लिंग के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, साल 2018 में दुनियाभर में लगभग 90 लाख मौतें कैंसर की वजह से हुईं। यह आंकड़ा काफी भयानक है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिसमें फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर, सर्वाइकल और लिवर कैंसर सबसे आम हैं।

क्या है कैंसर?

कैंसर तब होता है, जब किसी अंग के सेल्स में कुछ असामान्य बदलाव होने के बाद, वे सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं और ट्यूमर में तब्दील हो जाते हैं। ये सेल्स बढ़ने के बाद ब्लड के जरिए शरीर के अन्य दूसरे अंगों में भी फैल सकते हैं। इसलिए कैंसर के लक्षणों की पहचान कर, इसका जल्द से जल्द इलाज शुरू करना बेहद अहम भूमिका निभा सकता है।

कैंसर के शुरुआती स्टेज में इसका पता लगाकर, इलाज करवाने से बेहतर परिणाम मिलने की ज्यादा उम्मीद होती है क्योंकि तब तक वह शरीर के एक ही हिस्से को प्रभावित कर रहा होता है और इसे फैलने से रोका जा सकता है। कैंसर के इलाज के लिए आमतौर पर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, सर्जरी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट और इम्यूनोथेरेपी की मदद ली जाती है। हालांकि, कैंसर का इलाज काफी महंगा होता है, जिस वजह से कई लोग इस बीमारी का बेहतर इलाज करवाने में असमर्थ होते हैं।

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हाल ही में कैंसर के इलाज के लिए CAR-T Cell Therapy को लेकर काफी चर्चा हो रही है। CAR-T Cell Therapy का इस्तेमाल भारत में पहली बार एक कैंसर के मरीज पर किया गया। इस थेरेपी के बाद मरीज कैंसर मुक्त पाया गया। CAR-T Cell Therapy एक तरह की इम्यूनोथेरेपी होती है जो शरीर से कैंसर को खत्म करने का सफल काम करती है। आपके बता दें कि भारत में भले ही इस थेरेपी का उपयोग पहली बार किया, लेकिन विदेशों में यह थेरेपी नई नहीं है।

भारत में विदेशों की तुलना में इस थेरेपी में काफी कम पैसे लगे, जिसके बाद से कैंसर के इस इलाज के बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता बढ़ने लगी। यह थेरेपी आखिर है क्या और कैसे काम करती है, इन बातों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के हेड एंड नेक कैंसर सर्जन डॉ. अक्षत मलिक से बात की, जिन्होंने हमें बेहद विस्तार से इस थेरेपी के बारे में बताया।

क्या है CAR-T Cell Therapy?

CAR-T Cell Therapy (Chimeric antigen receptor T Cell Therapy) इम्यूनोथेरेपी की एक इनोवेटिव फॉर्म है, जिसके जरिए इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर कैंसर कोशिकाओं को टारगेट किया जाता है और नष्ट किया जाता है। इस थेरेपी में मरीज के शरीर में मौजूद टी-सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है और उनमें काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर के जरिए, कैंसर सेल्स की पहचान कर उन्हें नष्ट करने का काम बहुत सटीकता से किया जाता है।

कैसे काम करती है CAR-T Cell Therapy?

  • टी-सेल कलेक्शन- इस थेरेपी के लिए सबसे पहले मरीज के शरीर से टी-सेल्स को इकट्ठा किया जाता है। इसके लिए ल्युका फेरेसिस प्रक्रिया की मदद ली जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान एक खास मशीन की मदद से मरीज के ब्लड से टी-सेल्स को अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर कुछ घंटो का समय लगता है।
  • जेनेटिक मॉडिफिकेशन- मरीज के शरीर से निकाले गए टी-सेल्स को इकट्ठा करने के बाद, लेबोरेटरी में इनमें जेनेटिक मॉडिफिकेशन किए जाते हैं, ताकि उन सेल्स की सतह पर काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर को लगाया जा सके। काइरेमिक एंटीजन रिसेप्टर, जिसे CAR कहा जाता है, सिंथेटिक रिसेप्टर होते हैं, जो एक एंटीजन बाइंडिंग डोमेन, एक स्पेसर रीजन, एक ट्रांस मेंब्रेन और एक या एक से अधिक इंट्रासेल्युलर सिग्नलिंग डोमेन से बने होते हैं। इनमें एंटीजन बाइंडिंग डोमेन को कैंसर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद एक खास तरह के प्रोटीन या एंटीजन को पहचानने के लिए डिजाइन किया जाता है।
  • मल्टीप्लाई और एक्टिवेशन- जेनेटिक मॉडिफिकेशन के बाद, CAR T-Cells की संख्या को बढ़ाने के लिए उन्हें लैब में कल्चर करके, मल्टीप्लाई किया जाता है, ताकि शरीर में डालने के लिए वे अधिक संख्या में मिल सकें। इसके बाद कैंसर सेल्स को पहचान कर, उन्हें मारने की क्षमता बढ़ाने के लिए CAR-T Cells को एक्टिव किया जाता है।
  • इंफ्यूजन- जब CAR-T Cells काफी संख्या में मल्टीप्लाई हो जाते हैं और वे एक्टिव हो जाते हैं, तब उन्हें मरीज के शरीर में वापस डाला जाता है। इसके लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जरिए CAR-T Cells मरीज के ब्लड में पहुंचते हैं।
  • कैंसर सेल्स को टारगेट किया जाता है- शरीर में प्रवेश करने के बाद कैंसर सेल्स पर मौजूद एंटीजन से चिपक जाते हैं और एक बार कैंसर सेल्स की पहचान करने के बाद, वे उन सेल्स को मारना शुरू कर देते हैं। CAR-T Cells एक्टिव होने के बाद, उनमें इम्यून रिस्पॉन्स आने लगते हैं। ये साइटोटॉक्सिक मॉलिक्यूल्स और साइटोकाइन्स रिलीज करते हैं, जो कैंसर सेल्स को मारते हैं।
  • मेमोरी- एक बार में मरीज के शरीर में प्रवेश करने के बाद ये सेल्स मरीज के ब्लड में लंबे समय तक रहते हैं और ये कैंसर सेल्स की पहचान करने के बाद उनकी मेमोरी बना लेते हैं, जो काफी लंबे समय तक शरीर में मौजूद रहकर, कैंसर से बचाव कर सकते हैं।
इस बारे में और बताते हुए, डॉ. मलिक ने बताया कि CAR-T Cell Therapy की मदद से कई तरह के ब्लड कैंसर का इलाज किया गया है, जिसमें काफी शानदार परिणाम देखने को मिले हैं। खासकर, बी-सेल विकृतियों (B-cell malignancies), जैसे- एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL) और कुछ तरह के नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के मामलों में कारगर रहा है। हालांकि, इस थेरेपी पर अभी भी रिसर्च चल रही है ताकि, ब्लड कैंसर के अलावा, अन्य प्रकार के कैंसर का इलाज भी किया जा सके। साथ ही, इसके प्रभाव व सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए भी रिसर्च की जा रही है।

CAR-T Cell Therapy कैंसर के इलाज में प्रभावी तो है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसके साइड इफेक्ट्स में साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (CRS) और न्यूरोटॉक्सिटी शामिल हैं। इसलिए इस प्रक्रिया के दौरान काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

क्यों हो सकती है CAR-T Cell Therapy असफल?

कई बार यह भी पाया गया है कि CAR-T Cell Therapy कैंसर सेल्स को खत्म करने में कारगर साबित नहीं हो पाती है। क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, इसके पीछे कुछ खास कारण हो सकते हैं। जैसे-

  • टी-सेल्स में जेनेटिक म्यूटेशन के बाद CAR रिसेप्टर्स बनने शुरू होते हैं, जो एक्टिव होकर, कैंसर सेल्स को खत्म करते हैं, लेकिन अगर वे रिसेप्टर एक्टिव नहीं हो पाए हैं, तो यह थेरेपी कैंसर के इलाज में असफल हो जाती है।
  • कई बार CAR-T Cells कैंसर सेल्स को टी-सेल्स एग्जॉशन की वजह से नहीं मार पाते हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि सेल में मौजूद प्रोटीन जिन्हें ट्रांस्क्रिप्शन कहा जाता है, म्यूटेट किए हुए जीन्स को इनएक्टिव कर देता है।
  • CAR-T Cells को शरीर में प्रवेश करने के बाद मल्टिप्लाई करना होता है ताकि वे कैंसर सेल्स, को मार सके, लेकिन जब वे मल्टिप्लाई नहीं हो पाते हैं, तब वे सभी कैंसर सेल्स को खत्म करने में असमर्थ होते हैं, जिससे कैंसर शरीर में फैलता ही रहता है।
  • कैंसर के सेल्स को प्रोटीन में बदलाव होने की वजह से CAR-T Cells उन्हें पहचान नहीं पाते हैं, जिस कारण से वे कैंसर से लड़ नहीं पाते हैं।
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Picture Courtesy: Freepik

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