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क्या आप भी करते हैं Cervical Cancer से जुड़े इन 8 मिथकों पर यकीन, तो जानें क्या हैं इनकी सच्चाई

Cervical Cancer Awareness Month 2024 सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में कई महिलाओं की मौत का कारण बनता है। यह महिलाओं में होने वाले दूसरा सबसे आम कैंसर है। ऐसे में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल जनवरी में सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है। इस मौके पर एक्सपर्ट से जानते हैं इससे जुड़े कुछ आम मिथक और उनकी सच्चाई-

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 12 Jan 2024 11:45 AM (IST)
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क्या आप भी सच मानते हैं सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी ये बातें

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो सही समय पर पहचान में न आने की वजह से जानलेवा तक साबित हो सकती है। यह एक गंभीर है, जो किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले कैंसर को उन्हीं नामों से जाना जाता है। सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) इस गंभीर बीमारी का ऐसा ही एक प्रकार है, जो महिलाओं में होने वाला एक आम कैंसर है। यह कैंसर महिला के सर्वाइकल यानी गर्भाशय ग्रीवा में विकसित होता है। इसके लगभग सभी मामले हाई रिस्क वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के संक्रमण से जुड़े हैं, जो यौन संपर्क के जरिए फैलने वाला एक बेहद आम वायरस है।

हालांकि एचपीवी के ज्यादा मामलों में संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है और कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है, लेकिन लगातार संक्रमण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है। ऐसे में इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल जनवरी को सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर इस गंभीर बीमारी से जुड़े कुछ आम मिथक और इनकी सच्चाई के बारे में गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला हॉस्पिटल में स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विभाग के डॉ. अरुणा कालरा से बात की।

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मिथक 1- आपको हर साल पैप टेस्ट की जरूरत होती है।

फैक्ट- अगर आपका पैप टेस्ट और एचपीवी टेस्ट दोनों सामान्य हैं, तो हर साल पैप टेस्ट कराने की कोई जरूरत नहीं है। महिलाओं के लिए सर्वाइकल कैंसर से जुड़े दिशानिर्देश के मुताबिक विभिन्न उम्र में महिलाओं को अलग-अलग समय पर टेस्ट कराना चाहिए।

  • आयु 21-30- हर तीन साल में पैप टेस्ट
  • आयु 30-64- हर पांच साल में पैप और एचपीवी टेस्ट
  • उम्र 65 और उससे अधिक- डॉक्टर से परामर्श लें। अगर आप यौन रूप से सक्रिय हैं, तो इसे हर 5 साल में टेस्ट करवाएं।

मिथक 2- एचपीवी केवल उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनके कई यौन पार्टनर होते हैं।

फैक्ट- एचपीवी संक्रमण लगभग 80% पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है। हालांकि, यह हर किसी में कैंसर का कारण नहीं बनता है।

मिथक 3- एचपीवी संक्रमण शरीर से अपने आप साफ हो जाता है।

फैक्ट- कुछ मामलों में, एचपीवी संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। साथ ही इसके कोई लक्षण भी सामने नहीं आते हैं। हालांकि, अगर संक्रमण बना रहता है, तो इससे सर्वाइकल, पेनिकल और ओरल कैंसर हो सकता है।

मिथक 4- अगर मुझे सर्वाइकल कैंसर है, तो मैं मां नहीं बन सकती।

फैक्ट- ऐसे कई नए ट्रीटमेंट ऑप्शन हैं, जो प्रजनन क्षमता को बचाने में सक्षम हैं। आप अंडों को फ्रीज करने के लिए रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप ओवरीज को सर्जिकली बाहर निकाल सकते हैं, ताकि रेडिएशन के इन्हें कोई नुकसान न पहुंचे।

मिथक 5- सर्वाइकल कैंसर जेनेटिक होता है।

फैक्ट- यह धारणा पूरी तरह गलत है। ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर की तरह सर्वाइकल कैंसर वंशानुगत नहीं होता है। यह एचपीवी संक्रमण के कारण होता है। ऐसे में अपनी बेटी को इस संक्रमण से बचाने के लिए, सुनिश्चित करें कि उन्हें 15 साल की आयु से पहले एचपीवी टीका लग जाए।

मिथक 6- सर्वाइकल कैंसर का कारण अज्ञात है।

फैक्ट- यह बात भी पूरी तरह से गलत है। ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर एचपीवी वायरस के कारण होते हैं, जो एक यौन संचारित संक्रमण है।

मिथक 7- अगर आपको एचपीवी है, तो आपको सर्वाइकल कैंसर हो जाएगा।

फैक्ट- एचपीवी वायरस के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ में सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है और कुछ में नहीं। आमतौर पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को खुद ही खत्म कर देती है। हालांकि, कुछ मामलों में यह शरीर से बाहर नहीं निकलता है, जिससे कैंसर होता है।

मिथक 8- अगर मुझमें कोई लक्षण नहीं हैं, तो मुझे स्क्रीनिंग कराने की जरूरत नहीं है।

फैक्ट- जिन महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं, उनमें सर्वाइकल में कोई असामान्य सेल परिवर्तन हो रहा है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। असामान्य सर्वाइकल सेल पहले कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं, लेकिन स्क्रीनिंग के दौरान उनका पता लगाया जा सकता है।

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Picture Courtesy: Freepik