'Chello Show' के चाइल्ड एक्टर राहुल कोली का 10 साल की उम्र में ल्यूकेमिया से निधन, जानें इस कैंसर के बारे में
Leukemia ऑस्कर में एंटी पाने वाली भारतीय फिल्म छेलो शो के चाइल्ड आर्टिस्ट राहुल कोली का निधन हो गया। वह 10 साल के थे और ल्यूकीमिया से पीड़ित थे। उनका इलाज अहमदाबाद में चल रहा था। फिल्म के ऑफिशियल रिलीज़ के 10 दिन पहले ही राहुल का निधन हो गया।
By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Tue, 11 Oct 2022 11:38 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Leukemia: गुजराती फिल्म 'छेलो शो' (The Last Film Show) के चाइल्ड स्टार राहुल कोली (Rahul Koli) का निधन हो गया है। राहुल सिर्फ 10 साल के थे और ल्यूकीमिया यानी ब्लड कैंसर से पीड़ित थे। राहुल का इलाज गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में चल रहा था। उनके परिवार ने जामनगर के पास हापा गांव में उनके लिए प्रार्थना सभा रखी थी।
पान नलिन द्वारा निर्देशित फिल्म 'छेलो शो' को भारत की तरफ से 95वें अकैडमी अवॉर्ड्स यानी ऑस्कर्स के लिए भेजा गया है। फिल्म सौराष्ट्र के एक नौ साल के लड़के की कहानी है, जिसे सिनेमा से प्रेम हो जाता है। पान नलिन का कहना है कि फिल्म की कहानी उनकी खुद की लाइफ से इंस्पायर्ड है। वह सौराष्ट्र में पले-बड़े और जादुई फिल्मी दुनिया की खोज की। फिल्म की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। राहुल ने फिल्म में मनू का किरदार निभाया है, जो फिल्म के लीड कैरेक्टर का करीबी दोस्त बना है।
क्या है ल्यूकीमिया
मायो क्लीनिक के अनुसार, ल्यूकीमिया ब्लड कैंसर होता है, जिसमें शरीर के रक्त बनाने वाले ऊतकों में कैंसर हो जाता है, जिसमें अस्थि मज्जा और लसीका तंत्र शामिल हैं। रोग में आमतौर पर श्वेत रक्त कोशिकाएं शामिल होती हैं, जो अस्थि मज्जा में अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होती हैं।क्या हैं ल्यूकीमिया के लक्षण
ल्यूकीमिया के लक्षण ल्यूकीमिया के प्रकार के आधार पर अलग होते हैं। सामान्य ल्यूकीमिया के लक्षण और लक्षणों में शामिल हैं:
- बुखार
- लगातार रहने वाली कमज़ोरी, थकान- अकस्र गंभीर इन्फेक्शन हो जाना- बिना कोशिश किए वज़न का कम हो जाना- लिम्फ नोड्स में सूजन, लिवर या स्प्लीन का बढ़ जाना- आसानी से ब्लीडिंग या चोट लग जाना- अक्सर नाक से खून आने लगना- त्वचा पर छोटे-छोटे लाल दाग पर जाना- ज़रूरत से ज़्यादा पसीना आना, खासतौर पर रात में- हड्डियों में दर्द या उनका नरम पड़ जाना
आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में अनुमानित 54,025 बच्चे और 20 वर्ष से कम उम्र के किशोर ल्यूकीमिया, लिम्फोमा, मायलोमा, मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (एमडीएस), या मायलोप्रोलिफेरेटिव नियोप्लाज्म के साथ या रिमिशन में जी रहे हैं। ल्यूकीमिया 20 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरों में निदान किए जाने वाला सबसे आम कैंसर है और इस आयु वर्ग के सभी कैंसर के मामलों का 25.1 प्रतिशत हिस्सा है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।