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Diabetes In Children: तेजी से डायबिटीज के शिकार हो रहे बच्चे, एक्सपर्ट से जानें क्या है इसकी वजह

Diabetes In Children क्या आप जानते हैं दुनिया भर में बच्चे भी डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे हैं। नवजात भी इस बीमारी के चपेट में आने लगे हैं। ब्लड शुगर बढ़ने से शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। डायबिटीज को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। तो आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि बच्चों में बढ़ती डायबिटीज की समस्या के क्या कारण हैं।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Mon, 10 Jul 2023 02:26 PM (IST)
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Diabetes In Children: बच्चों में भी हो सकती है डायबिटीज
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Diabetes In Children: डायबिटीज दुनिया भर में एक आम बीमारी बनती जा रही है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। इस बीमारी की वजह से शरीर के बाकी अंग भी प्रभावित होते हैं। इसलिए, इसे 'साइलेंट किलर' भी कहा जाता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप अपनी लाइफस्टाइल में और खानपान में बदलाव कर सकते हैं।

यह बीमारी वयस्कों और बुजुर्गों में सामान्य है, लेकिन अब दुनिया भर में बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं, यहां तक कि नवजात भी इस बीमारी के चपेट में आने लगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में साल 1990 के मुकाबले 2019 में 10 से 14 साल के बच्चों में 52.06 फीसदी और एक से चार साल के बच्चों में 30.52 फीसदी डायबिटीज के केसेस बढ़े हैं। भारत में साल 1990 में डायबिटीज की दर 10.92 तो 2019 में 11.68 थी, जो कि अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक थी। भारत में डायबिटीज की वजह से बच्चों की मौत का आंकड़ा भी 1.86 फीसदी बढ़ा है।

ऐसे में जागरण ने फोर्टिस हॉस्पिटल के डायबिटीज एक्सपर्ट Dr Ritesh Gupta से बातचीत की और जाना कि बच्चों में डायबिटीज के मामले क्यों बढ़ते जा रहे हैं।

भारत में बच्चों में बढ़ती डायबिटीज की समस्या के कारण

1. बदलती जीवन शैली

भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, जिसकी वजह से बच्चों के जीवन शैली में बड़े बदलाव हुए हैं। डिजिटल युग में बच्चे फिजिकल एक्टिविटीज कम कर रहे हैं। उनकी डाइट भी अनहेल्दी होती है। बच्चे ज्यादा मीठी चीजें खाना पसंद करते हैं और कैलोरी से भरपूर स्नैक्स खाते हैं। जिससे वजन बढ़ता है, जो टाइप 2 मधुमेह का कारण है।

2. आनुवंशिक

कुछ बच्चों में डायबिटीज होने का आनुवंशिक कारण होता है, जैसे अगर माता-पिता में से किसी एक को डायबिटीज है, तो बच्चे में डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा आनुवंशिकता की वजह से देश में कुछ जातीय समूहों में इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 मधुमेह की संभावना अधिक है।

3. जागरूकता का अभाव

कुछ क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण लोगों को डायबिटीज की जानकारी नहीं होती, जिसकी वजह से वे इसके कारण, लक्षण और निदान पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में उन्हें या उनके बच्चों को डायबिटीज होने समय पर इलाज नहीं मिल पाता और स्थिति गंभीर हो जाती है।

4. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

देश के कई क्षेत्रों में आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है या फिर सीमित पहुंच है। ऐसे में बच्चों को नियमित जांच, उपचार आदि नहीं मिल पाता। इसकी वजह से भी बच्चों में डायबिटीज समेत अन्य बीमारियों का समय पर पता नहीं चलता है और मरीज पूरी तरह से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

5. सामाजिक-आर्थिक स्थिति

गरीबी और निम्न शिक्षा स्तर जैसे सामाजिक, आर्थिक कारण भी डायबिटीज की बढ़ती समस्या के कारण माने जाते हैं। सभी बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता। निम्न शिक्षा स्तर की वजह से लोग इसके प्रति जागरुक नहीं हैं। उन्हें समय पर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती। डायबिटीज होने पर भी इलाज के बजाय झाड़-फूंक करवाने में लग जाते हैं और समय पर सही इलाज न मिलने से स्थिति गंभीर हो जाती है।

बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज कैसे होता है?

टाइप 1 डायबिटीज होने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन कई कारण हैं, जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज का कारण माना जाता है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने समेत अन्य कई कारणों से अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पादक कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिसकी वजह से इंसुलिन बनना कम हो जाता है । और शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।

आनुवंशिक

माना जाता है कि अगर किसी परिवार में उनके माता-पिता को डायबिटीज रहा है, तो उनके बच्चों में इसका खतरा अधिक होता है। हालांकि जरूरी नहीं है कि फैमिली में किसी को डायबिटीज है, तो बच्चा भी इस बीमारी का शिकार हो।

ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया

वायरल संक्रमण या अनहेल्दी फूड्स खाने से ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया शुरू हो सकती है। । इम्यून सिस्टम कमजोर होने से अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पादक कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे ब्लड शुगर बढ़ जाता है।

पर्यावरणीय कारक

टाइप 1 मधुमेह के लिए संभावित ट्रिगर के रूप में विभिन्न पर्यावरणीय कारकों का भी अध्ययन किया गया है। इनमें वायरल इंफेक्शन जैसे एंटरोवायरस, मम्प्स और रोटावायरस और गाय के दूध या ग्लूटेन भी शामिल हैं। हालांकि, टाइप 1 डायबिटीज के इन कारकों की जांच अभी जारी है और कोई सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

टाइप 1 डायबिटीज बदलती लाइफस्टाइल, अनहेल्दी फूड्स या फिजिकल एक्टविटी कम होने के कारण नहीं होता है। यह बीमारी आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में होती है, लेकिन यह हर उम्र के लोगों को हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज में आजीवन इंसुलिन थेरेपी, समय पर शुगर लेवल की जांच, संतुलित आहार, नियमित शारीरिक व्यायाम और दवाइयां लेना जरूरी होता है। टाइप 1 डायबिटीज के कारणों को बेहतर ढंग से समझने और रोकथाम के लिए रिसर्च जारी है।