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बच्चे के विकास पर गहरा असर डालता है बचपन में हुआ इयर इन्फेक्शन, जानिए क्या कहती है स्टडी

बच्चों को इयर इंफेक्शन्स की समस्या अक्सर परेशान करती है जो माता-पिता के लिए भी बड़ी टेंशन का कारण बन जाता है। जरूरत होती है कि इन्हें गंभीरता से लेकर उसका सही ढंग से इलाज कराया जाए। चूंकि ये दिक्कत आजकल आम है इसलिए कई बार पेरेंट्स भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं लेकिन ये गलती आप पर भारी पड़ सकती है। जानते हैं कैसे-

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 06 Jan 2024 08:33 AM (IST)
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बच्चों में कान इन्फेक्शन बन सकता है परेशानी की वजह

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Ear Infection in Kids: बचपन में अक्सर छोटे बच्चों को इयर इन्फेक्शन्स से जूझना पड़ता है। कई बार ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि माता-पिता के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। इसी बीच अब इयर इन्फेक्शन को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है। इस स्टडी में यह पता चला है कि बचपन में होने वाला कान का इन्फेक्शन भाषा के विकास (Language Development) को प्रभावित कर सकता है।

फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की, जिसमें सामने आया कि जब कान का संक्रमण पुराना हो जाता है, तो यह सालों बाद भी बच्चों की सुनने की क्षमता और भाषा के विकास में कमी का कारण बन सकता है। यह स्टडी इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक ओटोरहिनोलारिंजोलॉजी में प्रकाशित की गई है। आइए जानें क्या कहती है इससे जुड़ी रिसर्च।

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पेरेंट्स को रहना चाहिए जागरूक

इस स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता कहते हैं कि, "कान में इन्फेक्शन इतना आम है कि हम आगे चलकर इसके होने वाले इफेक्ट्स को भी नजरअंदाज कर देते हैं।" वे कहते हैं कि, "माता-पिता को इस बारे में अवेयर रहना चाहिए क्योंकि उनके बच्चे के कान में बिना किसी दर्द के भी कुछ तरल पदार्थ जमा हो सकता है। ऐसे में इसे लेकर सजग रहें और डॉक्टर के संपर्क रहें।

क्या कहती है स्टडी?

यूएफ हेल्थ क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल साइंस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने 117 बच्चों के सुनने की क्षमता और भाषा के विकास को लेकर एक स्टडी की। इसमें 5-10 साल की उम्र के बच्चों को शामिल किया गया। इसमें दोनों तरह के बच्चे शामिल किए गए, चाहे वे शुरुआती बचपन से क्रोनिक इयर इन्फेक्शन की हिस्ट्री रखते थे या नहीं। औसतन, 3 साल से पहले कुछ इयर इन्फेक्शन्स वाले बच्चों की वोकैबलरी किसी भी तरह के संक्रमण की हिस्ट्री न होने वाले बच्चों की तुलना में कम पाई गई। यही नहीं, उन्हें अलग-अलग आवाजों में होने वाले बदलाव की पहचान करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

इस आधार पर निकला निष्कर्ष

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने लैंग्वेज डेवलपमेंट का आकलन करने के लिए तीन तरह के टेस्ट का इस्तेमाल किया। पहले टेस्ट में बच्चों को तीन कार्टून कैरेक्टर में से एक ऐसे कार्टून की पहचान करनी थी, जो बाकि दो से अलग सुनाई देता है। दूसरे टेस्ट में बच्चों से उनके सामने पेश किए गए फोटोज के नाम बताने को कहा गया, जिन्होंने उनकी वोकैबलरी को मापने का काम किया। वहीं, आखिर में बच्चों से इस आधार पर शब्दों का मिलान करने के लिए कहा गया, जिसमें जो एक ही स्पीच साउंड के साथ शुरू या खत्म हो रहे थे। ये टास्क न सिर्फ उनकी भाषा के विकास बल्कि रीडिंग और याद करने की कैपेसिटी के लिए भी जरूरी माना गया।

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Author- Nikhil Pawar

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik