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Climate Change का ही नतीजा है भीषण गर्मी, जानें कैसे सेहत को प्रभावित करता है जलवायु में बदलाव

लगातार बढ़ती गर्मी ने लोगों को Climate Change के प्रति आगाह किया है। पिछले कुछ समय से जलवायु में हुए बदलाव (Climate Change effects) की वजह से भी भीषण गर्मी और ठंड का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में बढ़ता तापमान (effects of High temperature on Body) इसका सबूत है। इसकी वजह से सेहत भी काफी प्रभावित (Health Impacts of Climate Change) होती है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 31 May 2024 05:09 PM (IST)
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जानें सेहत को कैसे प्रभावित करता है Climate Change (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों हर तरफ गर्मी की वजह से हाहाकार मचा हुआ है। तेजी से बढ़ते तापमान ने लोगों का घरों से बाहर निकलना तक दूभर कर दिया है। इस साल गर्मी से कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। चिलचिलाती धूप का यह सितम अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कुछ समय से जलवायु में हुए बदलाव की वजह से लगातार तापमान संबंधी गड़बड़ी देखने को मिल रही है। Climate Change दुनियाभर में एक चिंता का विषय है और इसे वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरे के रूप में पहचाना जा रहा है।

ऐसे में जलवायु में हुए बदलाव के स्वास्थ्य (Climate Change effects) पर प्रभाव के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने गुड़गांव एफएमआरआई में इंटरनल मेडिसीन के वरिष्ठ निदेशक और यूनिट प्रमुख, डॉ. सतीश कौल से बातचीत की। आइए जानते हैं क्लाइमेट चेंज के हेल्थ पर असर (Health Impacts of Climate Change) पर क्या है डॉक्टर की राय-

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क्लाइमेट चेंज का परिणाम है भीषण गर्मी

डॉक्टर कहते हैं कि क्लाइमेट चेंज का मानव कल्याण पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ रहा है। इसके सबसे तात्कालिक और गंभीर स्वास्थ्य परिणामों में अत्यधिक गर्मी के संपर्क के कारण होने वाली समस्याएं हैं। जैसे-जैसे दुनियाभर में तापमान बढ़ रहा है (effects of High temperature on Body), हीटवेव और ज्यादा गंभीर होती जा रही है, जिससे दुनिया भर की आबादी के लिए गंभीर हेल्थ रिस्क पैदा हो रहा है। अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने के कारण होने वाली सबसे प्रमुख समस्या हीट स्ट्रोक है, जो कई मामलों में जानलेवा भी साबित हो जाती है।

स्वास्थ्य को ऐसे प्रभावित करता है क्लाइमेट चेंज

डॉक्टर बताते हैं कि हीटवेव एक जीवन-घातक स्थिति है, जो शरीर बहुत ज्यादा गर्म होने के कारण होती है और आपका शरीर प्रभावी ढंग से ठंडा नहीं हो पाता है। हीटवेव स्ट्रोक ब्रेन, हार्ट, किडनी और मांसपेशियों सहित कई जरूरी अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में तुरंत इलाज के बिना, यह गंभीर जटिलताओं या मौत का कारण बन सकता है। इसके अलावा डिहाइड्रेशन एक और महत्वपूर्ण जोखिम है, जो अकसर शरीर में पानी की कमी की वजह से होता है, जिससे शरीर के सामान्य कार्य बाधित होते हैं और चक्कर आना, कमजोरी जैसी समस्या होती है।

बढ़ता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

इसके अलावा अत्यधिक गर्मी की वजह से ब्रेन स्ट्रोक भी हो सकता है। गर्मी का तनाव खून की चिपचिपाहट को बढ़ा सकता है, जिससे खून के थक्के जमने की संभावना बढ़ जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जो स्ट्रोक के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। तेज गर्मी में शरीर को खुद को ठंडा करने की कोशिश करता है, जिससे ब्रेन समेत शरीर के अन्य जरूरी अंगों तक खून का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे संभावित रूप से इस्केमिक स्ट्रोक हो सकता है।

दिल पर गर्मी का प्रभाव

डॉक्टर सतीश कौल ने यह भी बताया कि बहुत ज्यादा गर्मी मौजूदा हृदय संबंधी समस्याओं को भी बढ़ा सकती है। उच्च तापमान दिल को त्वचा तक खून पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करने के लिए मजबूर करता है, जिससे शरीर में गर्मी बढ़ती है। यह अतिरिक्त तनाव दिल के दौरे को ट्रिगर कर सकता है, खासकर बुजुर्गों और पहले से दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों में

इतना ही नहीं बहुत ज्यादा गर्मी से रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियां और भी बदतर हो सकती हैं। गर्म हवा में अक्सर काफी ज्यादा प्रदूषक और एलर्जी होती हैं, जो एयर वेज को उत्तेजित कर सकते हैं और अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी स्थितियों को बढ़ा सकते हैं।

इसलिए भी खतरनाक जलवायु परिवर्तन

इसके अलावा डॉक्टर ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन और बहुत ज्यादा गर्मी मम्प्स जैसी संक्रामक बीमारियों को भी प्रभावित कर सकती है। उच्च तापमान की वजह से आमतौर पर इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। साथ ही जलवायु में परिवर्तन वायरस के ट्रांसमिशन पैटर्न को प्रभावित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से उन क्षेत्रों में प्रकोप हो सकता है जो पहले इन वायरस से प्रभावित नहीं थे।

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