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World IVF Day: आंख मूंद कर न कर लें भरोसा आईवीएफ से जुड़ी इन गलतफहमियों पर, जान लें इसके पीछे का सच

25 जुलाई को World IVF Day मनाया जाता है। गर्भधारण में मुश्किलों का सामना कर रहे दंपतियों के लिए आईवीएफ बहुत ही मददगार तकनीक है लेकिन इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह की गलतफहमियां हैं। इस वजह से कई बार कपल्स इसके लिए खुद को रेडी नहीं कर पाते। आज इस खास मौके पर हम ऐसी ही कुछ भ्रांतियों और उनके पीछे का सच जानेंगे।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Thu, 25 Jul 2024 01:47 PM (IST)
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आईवीएफ से जुड़े मिथ और उनका सच (Pic credit- freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ज्यादा उम्र में शादी, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, डाइट, बहुत ज्यादा स्ट्रेस जैसी कई सारी चीजें गर्भधारण में बाधा बन रही हैं। इस समस्या से सिर्फ महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी जूझ रहे हैं। ऐसे ही लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है आईवीएफ ट्रीटमेंट। हर साल 25 जुलाई का दिन World IVF Day के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो ये ट्रीटमेंट फायदेमंद है, लेकिन इसे लेकर लोग कई गलतफहमियों का शिकार हैं। आज हम इन्हीं भ्रांतियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में अंडे को स्पर्म के साथ लैब में मिलाया जाता है। यह तरीका आमतौर पर बांझपन का इलाज करने के लिए इस्तेमाल होता है। सही जानकारी पाना और जागरूक होकर फैसला लेना बहुत जरूरी है। इससे आपको सबसे अच्छा इलाज चुनने में मदद मिलेगी। डॉ. अस्वती नायर, फर्टिलिटी विशेषज्ञ, नोवा साउथएंड फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने आईवीएफ से जुड़े ऐसी ही कुछ मिथकों के बारे में जानकारी दी है।

1. मिथक: आईवीएफ सिर्फ महिलाओं के लिए होता है।

तथ्य: आईवीएफ की मदद से प्रजनन से जुड़ी कई समस्याओं का इलाज किया जा सकता है, चाहे वो पुरुष से जुड़ी हों या फिर महिला से। इसमें ट्यूब की वजह से होने वाला बांझपन और अज्ञात कारणों से होने वाला बांझपन भी शामिल है। यह सिर्फ महिलाओं का इलाज नहीं है। अगर पुरुष को भी प्रजनन की समस्या है, तो आईवीएफ उनकी भी मदद कर सकता है। 

2. मिथक: आईवीएफ से कई बच्चे हो सकते हैं।

तथ्य: यह एक गलतफहमी है कि आईवीएफ से कई गर्भ ठहर सकते हैं। हालांकि, गर्भधारण को सफल बनाने के लिए कई भ्रूण प्रत्यारोपित किए जा सकते हैं, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य स्वस्थ गर्भधारण कराना है। आईवीएफ तकनीक में हुई हालिया उन्नति और प्रत्यारोपण से पहले जेनेटिक परीक्षण की वजह से कई गर्भ का खतरा कम हो जाता है। आजकल फर्टिलिटी क्लीनिक एक ही भ्रूण को प्रत्यारोपित करने की कोशिश करते हैं। वे सबसे अच्छे भ्रूण का चुनाव करते हैं, जिससे कई गर्भ की संभावना कम हो जाती है और सफलता की दर बढ़ जाती है। प्रत्यारोपित भ्रूणों की संख्या महिला की उम्र और प्रजनन स्वास्थ्य की हिस्ट्री के आधार पर सावधानी से तय की जाती है।

3. मिथक: आईवीएफ बांझपन के उपचार के लिए सबसे आखिरी सहारा होता है।

तथ्य: कई लोगों को लगता है कि आईवीएफ सिर्फ उन लोगों के लिए है, जिन्होंने सभी ऑप्शन्स ट्राई कर लिए हैं। असल में, यह दंपति की स्थिति पर निर्भर करता है और आईवीएफ को पहले भी इस्तेमाल किया जा सकता है। फर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह लेकर सही इलाज की योजना बनाना बहुत जरूरी है।

4. मिथक- आईवीएफ केवल उम्रदराज महिलाओं के लिए ही होता है।

तथ्य: यह आम धारणा है कि आईवीएफ सिर्फ उम्रदराज महिलाओं के लिए होता है। हालांकि, महिला की उम्र उसकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह एकमात्र कारक नहीं है। युवा दंपतियों में एग्स और स्पर्म की गुणवत्ता की वजह से आईवीएफ के सफल होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही, एंडोमेट्रियोसिस या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी समस्याओं से पीड़ित महिलाओं को भी आईवीएफ से लाभ मिल सकता है। कुछ लोगों के लिए, जिन्होंने अपने कॅरियर या व्यक्तिगत लक्ष्यों पर ध्यान दिया है, आईवीएफ उनकी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। आईवीएफ कराने का फैसला व्यक्तिगत है और इसे फर्टिलिटी विशेषज्ञ की सलाह से ही लेना चाहिए।

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5. मिथक- आईवीएफ पीड़ादायक और जोखिम भरा होता है।

तथ्य: प्रजनन के उपचार के लिए आईवीएफ एक सुरक्षित और पूरी तरह से स्थापित प्रक्रिया है। इसे मरीज को बेहोश करके किया जाता है जिससे उन्हें कोई दर्द न हो। पहले, रोजाना हॉर्मोन के इन्जेक्शन की वजह से आईवीएफ में दर्द और असहजता होती थी, लेकिन अब दवाओं में प्रगति होने से यह प्रक्रिया कम दर्दनाक और अधिक आरामदायक हो गई है। अब इन्जेक्शन नसों में नहीं, बल्कि त्वचा के ऊपर लगाए जाते हैं, जिससे दर्द बहुत कम होता है।

6. मिथक- आईवीएफ की वजह से बच्चे में विकार आ जाता है।

तथ्य: एक मिथक है कि आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चे असामान्य होते हैं और उनमें जन्मजात विकार होते हैं। हालांकि, सच्चाई यह है कि आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चे प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले बच्चों की ही तरह स्वस्थ होते हैं। असल में, जोखिम प्रजनन समस्याओं की वजह से होता है, न कि आईवीएफ प्रक्रिया की वजह से। आईवीएफ में लैब में अंडे को स्पर्म से मिलाया जाता है, जो गर्भधारण में मुश्किलों का सामना कर रहे लोगों के लिए एक सामान्य और मददगार तकनीक है।

7. मिथक- आईवीएफ हमेशा ही सफलता की गारंटी होता है

तथ्य: आईवीएफ में सफलता की दर कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे महिला की उम्र, बांझपन का कारण, प्रत्यारोपित किए गए भ्रूण की संख्या और भ्रूण की गुणवत्ता। आईवीएफ कई लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, लेकिन सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए और भी कई प्रक्रियाएं करना जरूरी हो सकता है, खासकर अधिक उम्र की महिलाओं के लिए। तकनीक में हुई प्रगति और व्यक्तिगत उपचार ने उम्रदराज महिलाओं में भी सफलता की दर बढ़ा दी है।

आईवीएफ सफलता की गारंटी नहीं देता, लेकिन यह बांझपन से जूझ रहे दंपतियों में गर्भधारण की संभावना को काफी बढ़ा सकता है।

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