गर्भावस्था के समय ये गलतियां बढ़ा सकती हैं बच्चों में Congenital Heart Disease का खतरा, जानें क्या हैं इसके लक्षण
दिल की बीमारियां कई बार जेनेटिक कारणों से भी होती है। जन्म के समय से दिल की संरचना में गड़बड़ी कनजेनिटल हार्ट डिजीज कहलाता है। इस कंडिशन का पता कई बार बचपन में नहीं लग पाता है और वयस्क होने के बाद पता चलता है। इसके कुछ लक्षणों की मदद से बच्चों में इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। जानें क्या है कंजेनिटल हार्ट डिजीज के लक्षण।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Fri, 16 Feb 2024 05:08 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Congenital Heart Disease: दिल की बीमारियों का सबसे मुख्य कराण खराब लाइफस्टाइल माना जाता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से दिल से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन कई बार जेनेटिक कारणों से भी दिल से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ बच्चों में जन्म के समय दिल की संरचना में गड़बड़ी होती है, जिसे कंजेनिटल हार्ट डिजीज कहा जाता है। आइए जानते हैं, क्या है कंजेनिटल हार्ट डिजीज और किन लक्षणों की मदद से इसकी पहचान की जा सकती है।
क्या होता है कंजेनिटल हार्ट डिजीज?
जन्म के समय बच्चे के दिल के आकार या बनावट में कोई गड़बड़ी होती है, जिसे कंजेनिटल हार्ट डिजीज कहा जाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, दिल में छेद होना, दिल के ब्लड वेसल्स के साथ परेशानी होना, हार्ट वाल्वज में दिक्कत होना, कंजेनिटल हार्ट डिजीज में शामिल होते हैं। कई बार इनकी वजह से कोई खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन किसी-किसी मामले में यह कंडिशन जानलेवा भी साबित हो सकती है, जिस वजह से वक्त पर इसका इलाज करना बेहद जरूरी होता है। आमतौर पर इस दिल की बीमारी का पता जन्म से पहले या जन्म के कुछ समय बाद ही लग जााता है, लेकिन कई बार काफी बाद में इसका पता चल पाता है।
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क्या हैं इसके लक्षण?
- त्वचा या होठों का नीला पड़ना
- ब्लड सर्कुलेशन में समस्या होना
- असामान्य तरीके से ब्लड फ्लो होना, जिस कारण से दिल से अजीब आवाज आती है
- थकान खासकर किसी भी शारीरिक गतिविधि की वजह से
- सांस लेने में तकलीफ होना या तेज-तेज सांसे आना
- अधिक नींद आना
- चेहरे, पैर या पेट में सूजन होना
- खाने-पीने में दिक्कत होना, जिस कारण से ठीक से विकास न हो पाता है
क्या होते हैं इसके कारण?
कंजेनिटल हार्ट डिजीज क्यों होता है, इसका कोई ठोस कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ कारणों की वजह से इसका खतरा अधिक रहता है।
- गर्भावस्था के दौरान या उससे पहले डायबिटीज की समस्या की वजह से बच्चे के दिल पर प्रभाव पड़ सकता है, जिस कारण से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोक करने या शराब पीने की वजह से भी बच्चा कंजेनिटल हार्ट डिजीज का शिकार हो सकता है।
- जेनेटिक कारणों की वजह से भी बच्चे में यह कंडिशन हो सकती है।
- कई बार कुछ दवाइयों के प्रभाव की वजह से भी बच्चे के दिल में समस्याएं हो सकती हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान रूबेला होना, बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा देता है।
क्या कंजेनिटल हार्ट डिजीज वयस्कों को प्रभावित कर सकता है?
वैसे तो कंजेनिटल हार्ट डिजीज जन्म के समय से दिल की संरचना में गड़बड़ी होती है, लेकिन वयस्कों को भी कंजेनिटल हार्ट डिजीज प्रभावित कर सकता है। कई बार इस कंडिशन का पता बचपन में नहीं चल पाता है, इस कारण से वयस्कों में यह परेशानी नजर आती है या कई बार ऐसा भी होता है कि यह ट्रीटमेंट के बाद रीलैप्स हो गया हो। इनमें कुछ प्रकार के कंजेनिटल डिजीज अधिक खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन कुछ की वजह से जान जाने का खतरा भी रहता है। इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक होता है।यह भी पढ़ें: वक्त पर Blood Cancer का पता लगाकर बचा सकते हैं बच्चों की जान, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें इसकी पहचानPicture Courtesy: Freepik