Artificial Sweetners: सेहत के लिए फायदेमंद समझ कर रहे हैं आर्टिफिशयल स्वीटनर्स का सेवन, तो हो जाएं सावधान
Artificial Sweetners कम कैलोरी इंटेक के लिए कुछ लोग आर्टिफिशयल स्वीटनर्स का खूब इस्तेमाल करते हैं। कुछ ही समय में काफी लोकप्रिय हुए इस प्रोडक्ट के काफी नुकसान भी हैं जिसके बारे में आपको समय रहते जान लेना चाहिए।
By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Sun, 07 May 2023 12:01 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Artificial Sweetners: फिट रहने के लिए कुछ लोग चीनी के बजाय आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं। कम कैलोरी इंटेक के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है, ताकि खाने में मिठास भी बनी रहे और शरीर में कैलोरी की मात्रा अधिक न पहुंचे। कुछ ही समय में इसने काफी तेजी से लोकप्रियता हासिल कर ली है। Saccharin, aspartame, acesulfame Potassium (acesulfame-K, Ace-K), sucralose, neotame, और advantame additive कुछ ऐसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स हैं, जिनका इस्तेमाल चीनी की जगह पर किया जा रहा है।
डायबेटिक, प्रीडायबिटीज या फिर जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, वे अक्सर इन कम कैलोरी वाले मिठास का उपयोग करते हैं। लेकिन, अब अध्ययनों से पता चलता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं। नियमित रूप से इनका सेवन हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा सकते हैं, जिसमें दिल का दौरा भी शामिल है। इस लेख में यही जानने की कोशिश करेंगे कि अधिक कैलोरी के सेवन को कम करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ये आर्टिफिशियल स्वीटनर शरीर पर किस प्रकार हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं।
आर्टिफिशियल स्वीटनर के दुष्प्रभाव-
1. लीवर खराब कर सकता हैनॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की शुरुआत में आर्टिफिशियल स्वीटनर की भूमिका हो सकती है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से लिवर डैमेज की समस्या हो सकती है। ट्राइग्लिसराइड्स लिपिड का एक रूप है, जो एस्पार्टेम सहित कुछ स्वीटनर अधिक उत्पादन कर सकते हैं। समय के साथ, ये ट्राइग्लिसराइड्स लिवर में जमा हो सकते हैं और इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
2. वजन बढ़ना
कैलोरी कम करने और वेट लूज करने में मदद करने के लिए अक्सर आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रचार किया जाता है। लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि आर्टिफिशियल मिठास वजन बढ़ने का एक कारण हो सकता है क्योंकि वे कैलोरी सेवन को नियंत्रित करने की शरीर की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकते हैं, नतीजतन अधिक खाने की इच्छा हो सकती है।3. रोग का खतरा बढ़ जाता है
कुछ अध्ययनों में पता चला है कि, आर्टिफिशियल स्वीटनर के उपयोग से टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम सहित कई समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। कुछ मिठास इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ा सकते हैं, सूजन को बढ़ा सकते हैं और गट फ्लोरा को बदल सकते हैं।4. माइग्रेन और सिरदर्दआर्टिफिशियल स्वीटनर्स के इस्तेमाल से दिमाग में मौडूज केमिकल्स और नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर और ब्लड सर्कुलेशन को बदलते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या हो सकती है।
5. खराब मूडदिमाग में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर का लेवल आर्टिफिशियल स्वीटनर से प्रभावित हो सकता है, जो मूड और व्यवहार को बदल सकता है। अध्ययन में पाया गया है कि ये स्वीटनर मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को कम करते हैं। सेरोटोनिन मूड और चिंता को नियंत्रित करने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।6. आंत का स्वास्थ्य प्रभावित होता हैआर्टिफिशियल स्वीटनर्स आंत में मौजूद अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के अनुपात को बदल हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वे आंत के माइक्रोबायोटा को बदल देते हैं और नेचुरल शुगर के समान मेटाबॉलिज्म नहीं होते हैं। नतीजतन पेट में गैस, सूजन और यहां तक कि दस्त सहित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।Picture Courtesy: Freepik