World Kidney Day 2024: किडनी हमेशा रहेंगी हेल्दी अगर कंट्रोल में रहेगा बीपी और शुगर का स्तर
रक्त को स्वच्छ कर शरीर को सेहतमंद बनाए रखने में किडनी (गुर्दे) की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर किडनी की कार्यप्रणाली ही बाधित हो जाए तो शरीर का सुचारु ढंग से चल पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में किडनी से जुड़ी समस्याओं से सचेत रहने के साथ-साथ किडनी की क्षमता कैसे रहे बरकरार और किन जरूरी बातों का रखना है ध्यान आइए जानते हैं...
नई दिल्ली। World Kidney Day 2024: किडनी (गुर्दे) की क्षमता प्रभावित होने या उसके खराब होने के पीछे मुख्य रूप से दो कारण होते हैं- डायबिटीज और ब्लडप्रेशर। हालांकि, किडनी से जुड़े कुछ रोग जन्मजात भी होते हैं, जैसे कि पालिसिस्टिक किडनी डिजीज। लेकिन, अगर ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखा जाए तो किडनी के फेल होने के जोखिम को बहुत कम किया जा सकता है। किडनी फेल होने के पीछे कई तरह के अन्य कारण भी होते हैं, जैसे कि दुष्प्रभावों को जाने समझे बगैर ही लोग देसी दवाओं का प्रयोग शुरू कर देते हैं, उससे भी कई बार किडनी के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
आमतौर पर देसी दवाओं में भारी धातुएं होती हैं, जो किडनी की क्षमता को प्रभावित करती हैं। दूसरा बड़ा कारण है- पेन किलर, जैसे कि ब्रूफेन की गोलियां आदि। इसके अधिक और अविवेकपूर्ण सेवन से किडनी का जोखिम बढ़ता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि एनएसएआइडी (नान स्टेरायडल एंड एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स) दवाओं से गुर्दे को बहुत नुकसान होता है, इसलिए इसका सेवन चिकित्सक की निगरानी में ही होना चाहिए।
इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए ब्रह्मानंद मिश्र ने डॉ. संदीप गुलेरिया (सीनियर कंसल्टेंट, जीआइ सर्जरी एंड ट्रांसप्लांटेशन, इंद्रप्रस्थ अपोलो, नई दिल्ली) से बातचीत की।
सतर्कता बढ़ाएं जब...
अगर रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़ रहा है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार किडनी के सही से काम नहीं करने के कारण भी ऐसा होता है। इस स्थिति में अच्छे चिकित्सक से परामर्श करके किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी) करा लेना चाहिए। यह कार्य साल में कम से कम एक बार जरूर कराना चाहिए। आजकल किडनी स्टोन की समस्या भी बहुत देखने में आती है। हालांकि, बहुत ही कम मामलों में इससे किडनी फेल होने की समस्या आती है। अगर किडनी में स्टोन होगा, तो उससे दर्द होता है। अगर ऐसा हो रहा है, तो डाक्टर से मिलकर इसकी जांच और उपचार शुरू कर देना चाहिए।
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किडनी फेल होने के लक्षण
अगर किडनी में समस्या आ रही है, तो भूख कम लगने लगती है। कई बार उल्टियां महसूस होने लगती है। शरीर में खून कम होने लगता है। गुर्दा शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है, अस्थियों को मजबूती प्रदान करता है और शरीर में खून बनाता है। ऐसे में अगर किडनी में ही समस्या आ रही है, तो खून बनना कम हो जाएगा और हड़्डियां कमजोर होने लगेंगी। शरीर में विषाक्तता बढ़ने से अन्य तरह की दिक्कतें भी आने की आशंका रहती है। किडनी की गंभीरता बढ़ जाने पर डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में सोचना पड़ेगा।
बचाव के उपाय
- गुर्दे की समस्या से बचने के लिए सबसे अनिवार्य है कि डायबिटीज और रक्तचाप जैसी समस्याओं को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और समय रहते उसे नियंत्रित किया जाए।
- यूरिन में प्रोटीन की जांच जरूर कराना चाहिए, क्योंकि किडनी फेल होने का यह शुरुआत लक्षण होता है।
- अगर डायबिटीज या रक्तचाप नहीं है, लेकिन अगर गुर्दे में गुब्बारे जैसे सिस्ट बन जाए या बहुत अधिक पेन किलर का सेवन कर रहे हैं या फिर देसी दवाओं के सेवन की आदत है, तो यह किडनी फेल होने का कारण बन सकता है। ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस भी किडनी फेल का कारण बन सकता है।
- इसके लिए देखना होगा कि यूरिन में कहीं रक्त या प्रोटीन तो नहीं आ रहा है। प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाने पर किडनी बायप्सी करने की जरूरत पड़ जाती है। इसी आधार पर आगे का उपचार उपाय निर्धारित किए जाते हैं।
सतर्कता ही उपाय
- किडनी या किसी अंग की बेहतरी के लिए जरूरी है कि स्वस्थ जीवनशैली को अपनाया जाए।
- किसी तरह की वैकल्पिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
- नियमित रूप से किडनी के टेस्ट कम से साल में एक से दो बार आवश्यक है।
- अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को भी नियंत्रण में रखने की जरूरत होती है।