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दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे हैं COPD के मामले, एक्सपर्ट ने बताई ये वजहें

दिल्ली में COPD के बढ़ते मामले काफी चिंता का कारण हैं। इसकी वजह से होने वाली मौत के आंकड़े भी पिछले सात साल की तुलना में काफी भयावह हैं लेकिन सीओपीडी के मामलों में बढ़ोतरी होने के पीछे कारण क्या है। इसका कारण और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट से बात की। जानें उनका क्या कहना है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Thu, 14 Mar 2024 03:12 PM (IST)
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दिल्ली में बढ़ रहे हैं सीओपीडी के मामले
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। COPD: दिल्ली में सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary disease) के मामलों में पिछले सात सालों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण होने वाली मौतों में भी काफी वृद्धि हुई है। पिछले सात-आठ सालों की तुलना में, इस कारण होने वाली मौतों में नौ गुना बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है, इस बारे में जानने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की। आइए जानते हैं, इस बारे में उनका क्या कहना है।

सीओपीडी के बढ़ते मामलों के बारे में सी.के बिरला अस्पताल, गुरुग्राम के क्रिटिकल केयर के प्रमुख, डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर ने कहा कि सीओपीडी के बढ़ते मामले एक गंभीर चिंता का विषय हैं। पिछले सात-आठ सालों में दिल्ली में सीओपीडी की वजह से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या काफी चिंताजनक हैं।

क्या है COPD?

उन्होंने कहा कि सीओपीडी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में एयर फ्लो में रुकावट होने लगती है, जिस कारण सांस लेने में मुश्किल होती है। इस बीमारी का कोई इलाज न होने की वजह से, यह धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। सीओपीडी में एंफीसीमा और क्रॉनिक ब्रॉनकाइटिस शामिल हैं, जो वायु प्रदूषण, पार्टिकल मैटर और हानिकारक रसायनों के लगातार और लंबे समय तक संपर्क में रहने की वजह से होता है।

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COPD के रिस्क फैक्टर्स

दिल्ली में सीओपीडी के मामले बढ़ने और इस कारण से होने वाली मौतों के पीछे कई फैक्टर्स का हाथ हो सकता है। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, इंडस्ट्रीज से निकलने वाला धुंआ या वेस्ट प्रोडक्ट्स, धूल-मिट्टी, आस-पास के राज्यों से पराली जलाना आदि, दिल्ली की हवा को दूषित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बढ़ते प्रदूषण में सांस लेना सीओपीडी के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, जिस कारण मौत के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है।

मैक्स सुपर स्पेशेलिटी अस्पताल, वैशाली प्लमनरी विभाग के निदेषक और प्रमुख, डॉ. शरद जोशी ने भी कहा कि प्रदूषण न केवल सीओपीडी की वजह बन सकता है बल्कि, दूषित हवा के कारण सीओपीडी के मरीजों की हालत भी गंभीर हो सकती है। उन्होंने कहा कि लाइफस्टाइल और खान-पान की आदतें भी इस बीमारी से होने वाली मौतों में अहम भूमिका निभाते हैं।

COPD

स्मोकिंग भी है बड़ी वजह

इस बारे में और बताते हुए डॉ.ग्रोवर ने कहा कि स्मोकिंग आजकल युवाओं में काफी प्रचलित है। कूल दिखने के लिए या पीयर प्रेशर की वजह से उन्हें इसकी लत लग जाती है। तंबाकू से निकलने वाले पार्टिकल मैटर सीओपीडी की समस्या को गंभीर बनाते हैं।

सिर्फ सिग्रेट ही नहीं हुक्के के कारण भी सीओपीडी का जोखिम बढ़ सकता है। दिल्ली में स्मोकिंग के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए चलाए गए प्रोग्राम और कानूनों के बावजूद धूम्रपान काफी प्रचलन में है। यह सीओपीडी के कारण होने वाली मौतों को बढ़ाने में बहुत बड़ रिस्क फैक्टर है। उन्होंने यह भी बताया कि दिवाली के बाद रेस्पिरेटरी डिजीज के मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इन मरीजों में बलगम, चेस्ट व नेजल कंजेशन जैसी शिकायतें देखने को मिली।

आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि इंडोर एयर पल्यूशन के कारण भी सीओपीडी के मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। घर के भीतर होने वाले प्रदूषण की वजह से सीओपीडी के मरीजों के फेफड़ों के टिश्यू में सूजन हो जाती है, जो इसके लक्षणों को गंभीर बनाते हैं। डॉ. जोशी ने कहा कि सीओपीडी की वजह से होने वाली मौतों की एक वजह यह भी है कि अक्सर इसके शुरुआती लक्षणों को लोग नजरअंदाज करते हैं और डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज करवाने के बदले घरेलू नुस्खों की मदद से इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं, जो इस समस्या को और गंभीर बना देते हैं।

कैसे करें COPD से बचाव?

इस बारे में डॉ. ग्रोवर ने कहा कि सीओपीडी के मरीजों के लिए आवश्यक है कि वे कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखें। प्रदूषण से बचाव करना इसमें सबसे अहम कदम है। इसलिए अपने घर के भीतर की हवा को शुद्ध रखें और बाहर निकलते समय भी मास्क लगाएं और अन्य सावधानियों का ख्याल रखें। इसके अलावा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, जैसी क्रॉनिक बीमारियों की काफी हाई डोज के स्टेरॉइड दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जो सीओपीडी के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

इसलिए सीओपीडी के खतरे को कम करने के लिए जरूरी है कि प्रदूषण कम किया जाए। खाना बनाने के लिए इकोफ्रेंडली तकनीकों का इस्तेमाल करें, घर की हवा को शुद्ध रखने के लिए एयर प्योरिफायर और इंडोर प्लांट्स की मदद लें, बाहर निकलते समय AQI चेक करें और मास्क का प्रयोग करें। इन बातों के साथ-साथ वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लोगों में जागरुकता फैलाना भी बेहद जरूरी है।

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Picture Courtesy: Freepik

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