दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे हैं COPD के मामले, एक्सपर्ट ने बताई ये वजहें
दिल्ली में COPD के बढ़ते मामले काफी चिंता का कारण हैं। इसकी वजह से होने वाली मौत के आंकड़े भी पिछले सात साल की तुलना में काफी भयावह हैं लेकिन सीओपीडी के मामलों में बढ़ोतरी होने के पीछे कारण क्या है। इसका कारण और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट से बात की। जानें उनका क्या कहना है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। COPD: दिल्ली में सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary disease) के मामलों में पिछले सात सालों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण होने वाली मौतों में भी काफी वृद्धि हुई है। पिछले सात-आठ सालों की तुलना में, इस कारण होने वाली मौतों में नौ गुना बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है, इस बारे में जानने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की। आइए जानते हैं, इस बारे में उनका क्या कहना है।
सीओपीडी के बढ़ते मामलों के बारे में सी.के बिरला अस्पताल, गुरुग्राम के क्रिटिकल केयर के प्रमुख, डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर ने कहा कि सीओपीडी के बढ़ते मामले एक गंभीर चिंता का विषय हैं। पिछले सात-आठ सालों में दिल्ली में सीओपीडी की वजह से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या काफी चिंताजनक हैं।
क्या है COPD?
उन्होंने कहा कि सीओपीडी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में एयर फ्लो में रुकावट होने लगती है, जिस कारण सांस लेने में मुश्किल होती है। इस बीमारी का कोई इलाज न होने की वजह से, यह धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। सीओपीडी में एंफीसीमा और क्रॉनिक ब्रॉनकाइटिस शामिल हैं, जो वायु प्रदूषण, पार्टिकल मैटर और हानिकारक रसायनों के लगातार और लंबे समय तक संपर्क में रहने की वजह से होता है।यह भी पढ़ें: गट में मौजूद बैक्टीरिया कर सकता है Respiratory Disease से बचाव, जानें कैसे रख सकते हैं गट हेल्थ का ख्याल
COPD के रिस्क फैक्टर्स
दिल्ली में सीओपीडी के मामले बढ़ने और इस कारण से होने वाली मौतों के पीछे कई फैक्टर्स का हाथ हो सकता है। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, इंडस्ट्रीज से निकलने वाला धुंआ या वेस्ट प्रोडक्ट्स, धूल-मिट्टी, आस-पास के राज्यों से पराली जलाना आदि, दिल्ली की हवा को दूषित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बढ़ते प्रदूषण में सांस लेना सीओपीडी के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, जिस कारण मौत के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है।मैक्स सुपर स्पेशेलिटी अस्पताल, वैशाली प्लमनरी विभाग के निदेषक और प्रमुख, डॉ. शरद जोशी ने भी कहा कि प्रदूषण न केवल सीओपीडी की वजह बन सकता है बल्कि, दूषित हवा के कारण सीओपीडी के मरीजों की हालत भी गंभीर हो सकती है। उन्होंने कहा कि लाइफस्टाइल और खान-पान की आदतें भी इस बीमारी से होने वाली मौतों में अहम भूमिका निभाते हैं।