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वायु प्रदूषण से कैंसर समेत हो सकती हैं कई बीमारियां, बचाव के लिए रखें इन बातों का ध्यान

दिल्ली-एनसीआर की हवा का AQI 500 पार (Delhi-NCR air pollution) कर चुका है। बढ़ते प्रदूषण के कारण स्मॉग की चादर ने दिल्ली को चारों ओर से घेर लिया है। प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर पहुंचना सेहत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसलिए यहां हम कुछ ऐसे टिप्स बताने वाले हैं जिनकी मदद से वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 18 Nov 2024 10:32 AM (IST)
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500 पार पहुंचा दिल्ली का AQI (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली (Delhi Air Pollution) बन चुकी है। वायु प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि AQI का स्तर 500 पार कर चुका है और खतरनाक लेवल पर पहुंच चुका है। इस दमघोटू हवा में लोगों के लिए सांस लेना दुश्वार हो रहा है। प्रदूषण की वजह से आस-पास की चीजों को देखना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों की सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, शरीर के अन्य हिस्सों को भी काफी नुकसान पहुंचा सकता है। यहां हम वायु प्रदूषण से सेहत को होने वाले नुकसान और कैसे इससे बचा (How to Protect From Air Pollution) जा सकता है, इस बारे में जानेंगे।

वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान

वायु प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक कण, जैसे 2.5 PM पार्टिकुलेट, केमिकल और गैस हमारे शरीर में प्रवेश कर अलग-अलग तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

  • रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी बीमारियां- वायु प्रदूषण फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
  • दिल की बीमारियां- वायु प्रदूषण दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है। यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • कैंसर- लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • स्किन डिजीज- वायु प्रदूषण त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है। इससे स्किन में जलन, खुजली और एलर्जी हो सकती है।
  • आंखों की समस्याएं- वायु प्रदूषण आंखों में जलन, खुजली, रेडनेस, ड्राईनेस और आंसू आना जैसी समस्याएं पैदा कर
  • सकता है।
  • इनफर्टिलिटी- वायु प्रदूषण की वजह से व्यक्ति में इनफर्टिलिटी का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • बच्चों का विकास- वायु प्रदूषण बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकता है। यह उनके फेफड़ों के विकास को रोक सकता है और उनकी इम्युनिटी को कमजोर कर सकता है।
  • गर्भावस्था- गर्भवती महिलाओं में वायु प्रदूषण का प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है। इससे समय से पहले बच्चे का जन्म, कम वजन का बच्चा होना और शिशु मृत्यु दर बढ़ सकती है।
Delhi-NCR air pollution

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वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय

वायु प्रदूषण से पूरी तरह बचना मुश्किल है, लेकिन हम कुछ सावधानियां बरतकर इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं-

  • मास्क का इस्तेमाल- घर से बाहर निकलने से पहले N-95 मास्क का इस्तेमाल करें।
  • घर के अंदर हवा को शुद्ध करें- घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और खिड़कियां बंद रखें जब बाहर प्रदूषण का स्तर अधिक हो, खासकर सुबह और शाम के समय।
  • बाहर जाने से बचें- कोशिश करें कि आप घर के अंदर ही रहें। जरूरत न पड़ने पर बाहर निकलने से बचें।
  • इंडोर प्लांट्स लगाएं- अपने घर के अंदर स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट जैसे पौधे लगाएं। ये प्रदूषण को कम करते हैं और ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाते हैं।
  • अगरबत्ती न जलाएं- घर के अंदर अगरबत्ती, मोमबत्ती आदि न जलाएं। इनमें मौजूद वोलाटाइल तत्व हवा में जाकर प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • पर्दों की सफाई- खिड़की-दरवाजों पर लगे पर्दों की वैक्यूम क्लीनर से सफाई करें। इससे उनमें जमा धूल-मिट्टी और प्रदूषक साफ होंगे।
  • धूम्रपान न करें- स्मोकिंग वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों को और भी बढ़ा देता है। इसलिए बिल्कुल भी स्मोकिंग न करें।
  • AQI चेक करें- घर से निकलने से पहले जहां जाना है, उस जगह का AQI चेक करें और अगर स्तर खतरनाक है, तो वहां जाने से बचें।
  • बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान- बच्चों और बुजुर्गों की इम्युनिटी काफी कम होती है। इसलिए कोशिश करें कि उन्हें घर से बाहर न जाने दें और उनका खास ध्यान रखें।
  • भाप लें- स्टीम लेने से गले में जमा म्यूकस और गंदगी साफ होती है, जिससे सांस लेने में परेशानी नहीं होती।
  • एक्सरसाइज करें- योग या एक्सरसाइज घर के अंदर करें। बाहर या बालकनी में जाना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए घर में ही ब्रीदिंग एक्सरसाइज आदि करें।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।