Dementia: नींद में खलल बढ़ा सकता है डिमेंशिया का खतरा, ताजा स्टडी में सामने आई वजह
हाल ही में हुई एक स्टडी में नींद और कॉग्निटिव हेल्थ के बारे में काफी गहरा संबंध पता चला है। यह स्टडी काफी चौंकाने वाला हो सकता है। इस स्टडी की मदद से नींद और बढ़ती उम्र में डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरे को समझने में काफी मदद मिल मिलती है। आइए जानते हैं कैसे नींद आपकी कॉग्निटिव डिक्लाइन की वजह बन सकती है।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Sat, 06 Jan 2024 02:51 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Dementia: रोज 7-8 घंटे की नींद लेना हमारे लिए कितना जरूरी है, इसके बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन इसके साथ ही सुकून की नींद लेना, यानी बिना किसी खलल के नींद को पूरा करना और भी अधिक आवश्यक होता है। हाल ही में, इस बारे में एक स्टडी भी सामने आई है, जिससे नींद में डिस्टर्बेन्स की वजह से होने वाली समस्या के बारे में खुलासा हुआ है। न्यूरोलॉजी, द जर्नल ऑफ अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यरोलॉजी में आई एक स्टडी में पाया गया कि वे लोग जो अपनी 30 या 40 की उम्र में नींद में बाधा महसूस करते हैं, उन्हें आगे चलकर याददाश्त और कॉग्निटीव हेल्थ से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए 526 लोगों के स्लीप पैटर्न पर 11 साल तक अध्ययन किया गया। इस स्टडी के लिए अपने सोने और जागने का समय, कितनी देर तक सोएं और एक स्लीप सर्वे, जिसमें उन्होंने अपनी नींद की क्वालिटी को मार्क किया।
इस स्टडी के मुताबिक, 46 प्रतिशत लोगों को खराब नींद की समस्या थी। स्लीप सर्वे को तीन समूहों में विभाजित किया गया और पाया गया कि सबसे खराब स्लीप क्वालिटी वाले लोगों में से 44 लोगों की कॉग्निटिव परफॉरमेंस खराब थी। इसकी तुलना में सबसे कम बाधित नींद वाले लोगों की कॉग्निटिव हेल्थ, खराब क्वालिटी की नींद वाले लोगों की तुलना में बेहतर थी। खराब नींद वाले लोगों में खराब नींद वालों को कॉग्निटिव डिक्लाइन का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
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इस स्टडी से यह बात साफ होती है कि चैन की नींद लेना कितना आवश्यक होता है। नींद की कमी की वजह से कॉग्निटिव डिक्लाइन के अलावा और भी कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम उन बातों का ध्यान रखें, जिससे नींद में कोई बाधा न आए और हम बेहतर तरीके से सो सकें।
इन टिप्स की मदद से आपको बेहतर नींद लेने में मदद मिल सकती है-
- अपने सोने और जागने का समय फिक्स करें। इससे आपके इंटरनल बॉडी क्लॉक को, उस समय पर सोने और जागने की आदत लगेगी।
- अपने कमरे में सोते समय अंधेरा करके सोएं। लाइट की वजह से नींद न आने या नींद में बार-बार बाधा आने की समस्या होती है।
- सोने से पहले कॉफी, अल्कोहल आदि का सेवन न करें। इससे आपकी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है।
- सोने से पहले फोन या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल न करें।
- लाइट स्ट्रेचिंग की मदद से भी रात को बेहतर नींद आती है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।Picture Courtesy: Freepik