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Low Appetite: आपकी भूख खत्म कर सकती हैं ये दो मानसिक स्थितियां, जानें इनके बारे में

आज हम बता रहे हैं दो ऐसी मानसिक स्थितियों के बारे में जो आपकी भूख को पूरी तरह से खत्म कर सकती हैं। डिप्रेशन और एंग्जायटी का गहरा असर हमारी सेहत के साथ भूख पर भी पड़ता है जिसके परिणाम अच्छे नहीं होते।

By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Wed, 10 May 2023 04:55 PM (IST)
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आपकी भूख खत्म कर सकते हैं डिप्रेशन और एंग्जायटी

नई दिल्ली, रूही परवेज़। खाना न सिर्फ हमारी भूख को शांत करता है, बल्कि साथ ही एक तरह का सेटिस्फेक्शन का अहसास भी देता है। खासतौर पर अगर आपने अपना मनपसंद खाना खाया हो। यह खाने की चाहत ही है, जो स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। खाने के साथ यह खास रिश्ता आपको हेल्दी रखता है और जीने की एनर्जी देता है। आपने गौर किया होगा कि बीमार पड़ने पर आपकी भूख भी प्रभावित होती है, जिससे आप कमजोर हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ मानसिक बीमारियों के साथ भी होता है।

हम बात कर रहे हैं, डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की जिसका गहरा असर हमारी सेहत के साथ खान-पान पर भी पड़ता है। यह दोनों मानसिक स्थितियां एक व्यक्ति के खाने के साथ खास रिश्ते को प्रभावित करती हैं, जिसके परिणाम अच्छे नहीं होते। साइकोलॉजिकल रिसर्च में देखा गया कि 'डिस्फोरिया' खाने के साथ आपके संबंध को बिगाड़ने का काम करता है। जिसमें खाने की पसंद पर नकारात्मक भावनाओं का प्रभाव, खाने के व्यवहार पर तनाव का प्रभाव, और नकारात्मक शरीर की छवि और अव्यवस्थित खाने के पैटर्न के बीच संबंध शामिल हैं। डिप्रेशन और एंग्जायटी से जूझ रहा व्यक्ति भूख और खानपान में बदलाव महसूस कर सकता है।

क्या है डिप्रेशन और एंग्जायटी?

मुंबई के सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, मेहज़बीन दोर्डी ने बताया कि डिप्रेशन यानी अवसाद में व्यक्ति उदास, मूल्यहीन और कम ऊर्जा महसूस करता है और इन भावनाओं का असर आपके खाने की पसंद और भूख पर भी पड़ सकता है। जो लोग डिप्रेशन से जूझते हैं, उनको भूख नहीं लगती और न ही खाना खाने पर किसी तरह की संतुष्टि होती है, जिससे वजन कम होने लगता है और पोषण की कमी भी हो जाती है। इसके अलावा डिप्रेशन में कई बार मरीज जरूरत से ज्यादा खाने लगता है, खासतौर पर हाई-कैलोरी, कम पोषक तत्व वाला खाना, जिससे शरीर को फायदा नहीं होता, लेकिन वजन बढ़ता जाता है।

वहीं, एंग्जायटी उसे कहते हैं, जब व्यक्ति हर वक्त चिंता, डर और परेशानी महसूस करता है। जिसकी वजह से भूख प्रभावित होने लगती है। व्यक्ति कुछ तरह के फूड्स या स्थिति से दूरी बनाने लगता है, जैसे सोशल गैदरिंग या फिर खास रेस्टॉरेंट या खाना। साथ ही एंग्जायटी और तनाव से जूझने के लिए लोग जरूरत से ज्यादा खाने लगते हैं या फिर खूब सारा खा लेते हैं। जिसका सेहत पर बुरा प्रभाव ही पड़ता है।

तनाव का भी भूख पर पड़ता है असर

डिप्रेशन और एंग्जायटी से तनाव का स्तर भी बढ़ने लगता है, जिससे भूख और खाने की चाह प्रभावित होती है। लगातार तनाव शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है, जिससे भूख और मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने के साथ वजन भी बढ़ने लगता है।

बॉडी से नाखुश होना भी है एक कारण

अगर आप अपनी बॉडी या फिजीक से खुश नहीं हैं, तो इसकी वजह से भी आपके खाने-पीने का पैटर्न खराब होने लगता है, जिससे डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को बढ़ावा मिलता है। जो लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी से जूझते हैं, वे अक्सर अपने शरीर के बारे में नकारात्मक महसूस करते हैं। इससे खाने पर रोक लगती है या फिर जरूरत से ज्यादा खाना शुरू कर देते हैं। यह दोनों ही आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

रूबी हॉल क्लिनिक में सलाहकार मनोचिकित्सक, डॉ. पंकज बी बोराडे ने कहा, " खाने के विकार, जैसे एनोरेक्सिया, बुलिमिया, और बिंज-ईटिंग डिसऑर्डर, अक्सर कम आत्मसम्मान, पूर्णतावाद और नकारात्मक शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक मुद्दों की वजह से होते हैं। कुपोषण, पाचन समस्याएं और सामाजिक अलगाव सहित इनके कई गंभीर शारीरिक और भावनात्मक परिणाम हो सकते हैं।

अगर आप या आपके जानना वाला कोई व्यक्ति डिप्रेशन, एंग्जायटी या फिर ईटिंग डिसऑर्डर से जूझ रहा है, तो प्रोफेशनल मदद जरूर लेनी चाहिए। थैरेपी, दवाइयां और लाइफस्टाइल में बदलाव इन समस्याओं को मैनेज करने में मदद करते हैं और आपकी जिंदगी में सुधार लाते हैं।

Picture Courtesy: Freepik