Diet for Anxiety: एंग्जायटी के लक्षणों को कम करते हैं ये पोषक तत्व, आज ही बनाएं इन्हें डाइट का हिस्सा
Diet for Anxiety इन दिनों कई लोग शारीरिक और मानसिक समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। एंग्जायटी इन्हीं समस्याओं में से एक है जिससे आजकल कई लोग प्रभावित है। ऐसे में इसके लक्षणों को कम करने और इससे राहत पाने के लिए आप अपनी डाइट और जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव कर सकते हैं। जानते हैं कुछ पोषक तत्वों के बारे में जो एंग्जायटी कम करने मे मददगार हैं।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Thu, 19 Oct 2023 10:53 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Diet for Anxiety: स्वस्थ रहने के लिए पोषण से भरपूर खानपान बेहद जरूरी होता है। हम जो कुछ भी खाते हैं, उसका असर सिर्फ हमारे शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ भी लोगों को पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाने की सलाह देते हैं। इन दिनों बदलती जीवनशैली की वजह से लोग अक्सर विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। एंग्जायटी इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे वर्तमान में कई लोग प्रभावित है।
ऐसे में आप अपने खानपान में सही बदलाव कर इस समस्या से राहत पा सकते हैं। हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और एंग्जायटी की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ ऐसे पोषक तत्व बताए हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल करने से आपको राहत मिलेगी।
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मैग्नीशियम
मैग्नीशियम न्यूरोट्रांसमीटर और सेंट्रल नर्व सिस्टम के फंक्शन को रेगुलेट करने में अहम भूमिका निभाता है। यह दिमाग को पोषण प्रदान करता है, जिससे एंग्जायटी के लक्षणों को काफी हद तक कम करने में मदद मिलती है। मैग्नीशियम गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड (जीएबीए) के प्रोडक्शन को बढ़ा सकता है, यह एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो दिमाग को शांत करने में प्रभावी है।
एनएसी
एनएसी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पुरानी सूजन से बचाने में मदद करते हैं, जो कई मानसिक विकारों की वजह बन सकते हैं। एनएसी मस्तिष्क में ग्लूटामेट नामक न्यूरोट्रांसमीटर के संतुलन को प्रभावित कर सकता है। ग्लूटामेट में असंतुलन एंग्जायटी से जुड़ा हुआ है और एनएसी इस संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।विटामिन डी
विटामिन डी में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, न्यूरोप्रोटेक्टिव और न्यूरोट्रॉफिक गुण होते हैं और यह एंग्जायटी के पैथोफिजियोलॉजी में शामिल मस्तिष्क के टिशूज को प्रभावित कर सकता है।