PCOD and PCOS: जानें क्या है पीसीओएस और पीसीओडी के बीच अंतर? कैसे रहें इस प्रॉब्लम से दूर
PCOD and PCOS पीसीओएस और पीसीओडी दोनों ही लाइफस्टाइल से जुड़ी ऐसी समस्याएं हैं जो हमें फिजिकल और मेंटल दोनों ही तरीकों से प्रभावित करती हैं। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में साथ ही कैसे बचे रह सकते हैं इससे।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Fri, 09 Jun 2023 09:10 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। PCOD and PCOS: युवतियों या महिलाओं में आजकल पीसीओएस और पीसीओडी एक नॉर्मल बीमारी बन गई हैं। 18 साल से लेकर 35 तक की महिलाएं इसका ज्यादा शिकार हो रही हैं। अनियमित पीरियड्स पीसीओएस और पीसीओडी दोनों का सामान्य लक्षण होता है। पीसीओएस की तुलना में पीसीओडी महिलाओं में ज्यादा आम हो गया है। क्या है पीसीओएस और पीसीओडी के बीच का अंतर, जानेंगे आज।
पीसीओडी (PCOD)
पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर एक ऐसी मेडिकल स्टेट है, जिसमें ओवरी समय से पहले एग्स रिलीज कर देता है, जो सिस्ट में बदल जाते हैं। पीसीओडी की स्थिति में महिलाओं की ओवरी का आकार बड़ा हो जाता है। पीसीओडी महिलाओं में एंड्रोजन यानी पुरुष हार्मोन की अधिकता से होने वाली समस्या है।
पीसीओएस (PCOS)
पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम भी दूसरी गंभीर बीमारी है। इसमें मेटाबॉलिक और हार्मोनल असंतुलन ज्यादा होता है। जिन लड़कियों या महिलाओं। को लंबे समय तक पीरियड्स नहीं आते उनमें पीसीओएस होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह समस्या मेनोपॉज तक रह सकती है।दोनों के बीच का अंतर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक पीसीओएस और पीसीओडी दोनों अलग-अलग स्थितियां हैं। इन दोनों के शुरुआती लक्षण और इलाज लगभग एक जैसे होते हैं। शुरुआत में दोनों को लाइफस्टाइल में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। पीसीओएस एक गंभीर बीमारी है, जबकि पीसीओडी एक सामान्य स्थिति है। इसे जीवनशैली में बदलाव करके भी ठीक किया जा सकता है। हेल्दी फूड, योग या व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर पीसीओडी को ठीक किया जा सकता है, जबकि पीसीओएस एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है। इसमें लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही दवाइयों का सेवन करना भी जरूरी होता है।
कैसे बचें इस प्रॉब्लम से?
आजकल के बढ़ते तनाव, बिजी लाइफस्टाइल की वजह से महिलाओं में कई तरह की समस्याएं जन्म ले रही हैं। इन्हीं में पीसीओडी और पीसीओएस भी शामिल है, लेकिन अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो पीसीओडी और पीसीओएस दोनों से बचा जा सकता है, जैसे- तनाव न लें, वजन को नियंत्रण में रखें और हेल्दी खाना खाने की आदत डालें। योग या व्यायाम को अपनी लाइफस्टाइल में जरूर शामिल करें। हमेशा खुश रहने की कोशिश करें।इसके साथ ही अगर आपको पीसीओएस या पीसीओडी से जुड़ा कोई लक्षण नजर आता है, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। इसके इलाज के लिए तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। Pic credit- freepik