Vector-Borne vs Waterborne Diseases: मानसून में बढ़ जाता है इन दो बीमारियों का खतरा, जानें इनमें अंतर और लक्षण
मानसून का सीजन आ चुका है और साथ में कई सारी बीमारियां भी लेकर आया है। इस मौसम में वेक्टर बोर्न डिजीज और वॉटर बोर्न डिजीज का खतरा काफी बढ़ जाता है। वेक्टर बोर्न और वॉटर बोर्न डिजीज संचरण के तरीके के आधार पर बीमारियों की दो अलग-अलग श्रेणियां हैं लेकिन उनके कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं। आइए जानते हैं दोनों में क्या अंतर है।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Mon, 17 Jul 2023 11:54 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vector-Borne vs Waterborne Diseases: पूरा देश इस समय लगातार होती बारिश से भीगा हुआ है। राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में लगातार बारिश की वजह से जलभराव की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। मानसून का सीजन भले ही अपने साथ सुहाना मौसम लेकर आता है, लेकिन साथ ही कई सारी बीमारियां भी लेकर आता है। इस मौसम में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। सूरज की रोशनी की कमी और मच्छर आदि के बढ़ते प्रकोप की वजह से लोग कई संक्रमण और बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।
इस मौसम में वेक्टर बोर्न डिजीज और वॉटर बोर्न डिजीज का खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे में यह जरूरी है कि इन दोनों तरह की बीमारियों के बारे में व्यक्ति को सही जानकारी हो, ताकि वह उचित समय पर अपना सही इलाज करा सके। वेक्टर बोर्न डिजीज और वॉटर बोर्न डिजीज दो अलग-अलग बीमारियां हैं, जिसे संचार के तरीकों के आधार पर विभाजित किया जाता है। इन दोनों की बीमारियों में तेज बुखार, शरीर में दर्द, सिर दर्द और उल्टी जैसे लक्षण आम है। यही वजह है कि लोग आसानी से इन दोनों के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं। तो आइए जानते हैं दोनों के संकेत और लक्षण के बीच के अंतर के बारे में-
वेक्टर बोर्न डिजीज (Vector-borne diseases)
ऐसी बीमारियां जो मच्छरों, टिक्स, मक्खियों और पिस्सू आदि के काटने से फैलती हैं, उन्हें वेक्टर बोर्न डिजीज यानी वेक्टर जनित रोग कहा जाता है। यह वेक्टर अपने साथ बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट जैसे पेथोजन कैरी करते हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति बीमारियों की चपेट में आता है। इन बीमारियों के सामान्य उदाहरणों में मलेरिया, डेंगू, जीका वायरस, लाइम रोग और चिकनगुनिया आदि शामिल है।वेक्टर बोर्न डिजीज के लक्षण
- इस तरह की बीमारियों में तेज बुखार होता है।
- इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को शरीर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की शिकायत भी रहती है।
- कुछ बीमारियों के कारण त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं।
- बार बार सिर दर्द होना भी वेक्टर बोर्न डिजीज का एक सामान्य लक्षण है।
- थकान या कमजोरी महसूस होना भी वेक्टर बोर्न डिजीज का एक लक्षण है।
- इसके अलावा कुछ मामलों में पीड़ित व्यक्ति को मतली और उल्टी जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण हो सकते हैं।
- वेक्टर जनित कुछ बीमारियों में लिंफ नोड्स में सूजन भी हो सकती हैं।
- इसके अलावा कुछ मामलों में खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे सांस संबंधी लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
वॉटर बोर्न डिजीज (Waterborne Diseases)
जल जनित रोग यानी वॉटर बोर्न डिजीज बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स जैसे माइक्रोऑर्गेनिज्म द्वारा दूषित किए गए पानी के संपर्क या सेवन से होती है। यह बीमारियां दूषित पानी पीने, दूषित पानी में तैरने या दूषित पानी से धोए गए भोजन को खाने से व्यक्ति को अपना शिकार बना लेती है। वॉटर बोर्न डिजीज के उदाहरणों में हैजा, टाइफाइड, जिआर्डियासिस और हेपेटाइटिस ए आदि शामिल हैं।
वॉटर बोर्न डिजीज के लक्षण और संकेत
- जल जनित रोग अक्सर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली को प्रभावित करते हैं। इसकी वजह से दस्त, पेट में दर्द, ऐंठन और मतली की समस्या होती है।
- कुछ वॉटर बोर्न डिजीज की वजह से दस्त के साथ ही उल्टी भी हो सकती है।
- जल जनित रोग जैसे हेपेटाइटिस के मामलों में शरीर में दर्द के साथ बुखार की समस्या हो सकती है।
- इसके अलावा मतली, उल्टी, भूख की कमी के साथ त्वचा, आंखों और यूरिन में पीलापन नजर आ सकता है।
- वहीं, टाइफाइड में सिर्फ बुखार और सिर दर्द के लक्षण नजर आते हैं।
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