Rheumatoid Arthritis के इलाज में असरदार साबित हो सकता है आयुर्वेद, वैज्ञानिकों ने किया वजह का खुलासा
आयुर्वेद न सिर्फ रूमेटोइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) के लक्षणों को कम करता है बल्कि पेशेंट्स को नॉर्मलाइजेशन की बढ़ाने के लिए मेटाबॉलिज्म रेट में भी बदलाव को बढ़ावा देता है जो उपचार के पारंपरिक तरीकों को लेकर आशावादी नजरिया पैदा करता है। आइए जानते हैं कि क्यों रूमेटोइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए वैज्ञानिक आयुर्वेदिक को मददगार मान रहे हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में, एक नई स्टडी ने आयुर्वेदिक की प्रभावशीलता को उजागर किया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इसकी मदद से रूमेटोइड अर्थराइटिस को जो कि एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है और दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है, उसे मैनेज करने में आयुर्वेद बड़ी भूमिका निभा सकता है। बता दें, यह अध्ययन प्रतिष्ठित शोध संस्थानों के वरिष्ठ शोधकर्ताओं के एक ग्रुप ने किया है, जिसमें अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर (ए-एटीएआरसी), काया चिकित्सा विभाग, राज्य आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, लखनऊ विश्वविद्यालय; जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (सीबीएमआर), एसजीपीजीआईएमएस परिसर, लखनऊ; विज्ञान और नवीन अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर), गाजियाबाद शामिल हैं।
डॉ. संजीव रस्तोगी कहते हैं कि "यह स्टडी रूमेटोइड अर्थराइटिस के मामले में संपूर्ण तंत्र आयुर्वेद दृष्टिकोण (Ayurvedic Whole System) के साथ इलाज किए जाने पर मुमकिन रोगविज्ञान में बदलाव के नजरिए से जरूरी है। यह आयुर्वेदिक अवधारणाओं का समर्थन करता है, जहां एक रोग जटिलता को तोड़कर 'दोष' को सामान्य स्थिति में लाया जाता है।"
पबमेड-सूचीबद्ध शोध पत्रिका (PubMed-Indexed Research Journal), जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (जेएआईएम) में प्रकाशित हुआ यह अध्ययन रूमेटोइड अर्थराइटिस के पेशेंट्स में जरूरी पैरामीटर्स में पर्याप्त सुधार की गुजाइंश बताता है, बताया गया है कि रोग गतिविधि स्कोर (Disease Activity Score)-28 Erythrocyte Sedimentation Rate में उल्लेखनीय कमी आई है, साथ ही सूजन और टेंडर ज्वाइंट्स की कुल संख्या में भी कमी आई है।
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रूमेटोइड अर्थराइटिस के मैनेजमेंट को लेकर पहला अध्ययन
शोध ने रूमेटोइड अर्थराइटिस के रोगियों के मेटाबॉलिक प्रोफाइल का भी पता लगाया, उनकी तुलना हेल्दी पैरामीटर्स से की गई। अध्ययन की शुरुआत में, रूमेटोइड रोगियों ने कुछ मेटाबॉलिक आइटम्स के हाई लेवल का प्रदर्शन किया, जिसमें सक्सीनेट, लाइसिन, मैन्नोस, क्रिएटिन और 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट (3-एचबी) शामिल थे, साथ ही एलानिन के स्तर में कमी आई थी। हालांकि, एडब्ल्यूएस उपचार के बाद, ये मेटाबॉलिक संकेत स्वस्थ लोगों में देखे गए।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह पहला अध्ययन है जो स्पष्ट रूप से रूमेटोइड अर्थराइटिस के मैनेजमेंट में एडब्ल्यूएस की नैदानिक प्रभावशीलता को बताता है। आयुर्वेद की मदद से न सिर्फ इसके लक्षणों को कम किया गया बल्कि होमियोस्टैसिस के लिए अनुकूल एक चयापचय वातावरण को भी बढ़ावा दिया, जो रूमेटोइड अर्थराइटिस के रोगियों के लिए भविष्य में फायदेमंद साबित हो सकता है।यह भी पढ़ें- 30 की उम्र में Vitamin D की कमी गिरा देगी ढांचा, कमजोर होती हड्डियों में ताकत भरने के लिए अपनाएं ये उपाय