सावधान! अगर नहीं कर पा रही हैं कंसीव, तो इन बीमारियों की करवा लें जांच
कंसीव करने के लिए सिर्फ रिप्रोडक्टिव हेल्थ का ही नहीं बल्कि पूरे शरीर का स्वस्थ होना जरूरी होता है। महिलाओं में होने वाली कई स्वास्थ्य समस्याएं कंसीव करने की क्षमता पर असर डालती हैं। इसलिए डॉक्टर बताते हैं कि इन बीमारियों के बारे में जानना काफी जरूरी है। आइए जानें किन बीमारियों (Disease which impacts Fertility) की वजह से कंसीव करने में दिक्कतें हो सकती हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Disease which can cause Infertility in Women: धीरे-धीरे फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को संख्या बढ़ती जा रही है। कम उम्र में भी लोगों को कंसीव करने में दिक्कतें हो रही हैं। वैसे तो, किसी भी महिला की फर्टिलिटी कई बातों से प्रभावित हो सकती है, जिसमें खान-पान से लेकर लाइफस्टाइल तक शामिल है, लेकिन बीमारियों की वजह से भी फर्टिलिटी कम होने का खतरा रहता है। इन बीमारियों (Disease which causes Infertility in women) की वजह से कंसीव करने में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
इसलिए इनके बारे में जानकारी होना जरूरी है, ताकि वक्त पर इनका इलाज करवा कर मां बनने के सफर को आसान बनाया जा सके। किन बीमारियों से फर्टिलिटी प्रभावित होती है, इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. सौजन्य अग्रवाल (मैक्स अस्पतला, वैशाली के स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग के निदेशक) से बात की।
- पीसीओएस- पोलीसिस्टिक ओवरीज एक हार्मोनल कंडिशन है, जिससे महिलाएं प्रभावित होती हैं। इसमें ओवरीज में गांठें बन जाती हैं और पुरुषों का हार्मोन एंड्रोजेन बढ़ने लगता है। इसकी वजह से अनियमित माहवारी, फेशियल हेयर्स और चेहरे पर एक्ने जैसी परेशानियां भी होती हैं। हार्मोन्स असंतुलित होने की वजह से PCOS से जूझ रही महिलाओं को कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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- एंडोमेट्रियोसिस- इसमें यूटेरस के बाहर एंडोमेट्रियल टिश्यू उगने लगते हैं, जिसके कारण मेंसुरल पेन और स्कार टिश्यू की समस्या भी हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस की वजह से यूटेरस, फैलोपियन ट्यूब्स और ओवरीज से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं, जिसके कारण कंसीव करने में परेशानी हो सकती है।
- थायरॉइड- थायरॉइड डिसऑर्डर के कारण भी अनियमित ओव्यूलेशन जैसी परेशानियां हो सकती हैं, जिसके कारण अंडे के फर्टिलाइज होने की संभावना काफी कम हो जाती है। थायरॉइड डिसऑर्डर में थायरॉइड हार्मोन ज्यादा या कम बनने लगता है, जिसके कारण हार्मोनल असंतुलन होता है। इसके अलावा, इस वजह से वजन भी ज्यादा या कम हो सकता है, जो प्रेग्नेंट होने की संभावना को प्रभावित कर सकता है।
इन बीमारियों के अलावा, यूटेरस और सर्विक्स से जुड़ी बीमारियां, जैसे- पॉलिप्स, फाइब्रॉइड्स या जन्मजात विकृतियों की वजह से भी प्रेग्नेंट होने में दिक्कत या गर्भपात होने का खतरा रहता है। डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि इन बीमारियों का वक्त पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है। जल्दी इलाज शुरू होने से कंसीव करने की संभावना बढ़ सकती है। इनसे न केवल फर्टिलिटी, बल्कि सामान्य जीवन भी प्रभावित होता है। इसलिए अपने डॉक्टर से मिलकर नियमित जांच करवानी जरूरी है।
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