Diwali 2024: बच्चे और बुजुर्ग ही नहीं इन लोगों की जान पर भी आफत बन सकते हैं पटाखे, ऐसे पहुंचाते हैं नुकसान
दिवाली (Diwali 2024) का त्योहार इस साल 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है जिसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान पटाखे फोड़ने का भी काफी चलन है। हालांकि पटाखों का इस्तेमाल कई लोगों की सेहत के लिए हानिकारक होता है। आइए जानते हैं किन्हें और कैसे नुकसान पहुंचाते हैं पटाखें (side effects of crackers)।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिवाली का त्योहार बस कुछ ही दिनों में आने वाला है। रोशनी का यह त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, जिसे देशभर में मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं और मां लक्ष्मी के स्वागत में रंगोली भी बनाते हैं। इसके अलावा इस दौरान खानपान का भी खास ख्याल रखा जाता है। साथ ही इस दिन पटाखे भी जलाए जाते हैं। बच्चा हो या बड़ा पटाखे फोड़ना लगभग सभी को पसंद होता है। सिर्फ दिवाली ही नहीं, कई खास मौकों पर इन्हें जलाया जाता है।
भारत की जीत का जश्न मनाना हो या दोस्त की शादी में खुशी मनाना हो, पटाखे हर खास मौके पर फोड़े जाते हैं। हालांकि, दिवाली के दिन इन्हें जलाने का खास महत्व होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपनी खुशी और शौक के लिए आप जो पटाखे फोड़ते वह कई लोगों के लिए हानिकारक होते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजिस्ट और स्लीप मेडिसिन की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रतिभा डोगरा बता रही हैं किन लोगों के लिए बेहद खतरनाक है पटाखे और कैसे पहुंचाते हैं ये नुकसान-
यह भी पढ़ें- खाली पेट कॉफी पीना सही है या फिर इससे भी हो सकते हैं कुछ नुकसान?
इन लोगों को है ज्यादा खतरा
डॉक्टर बताती हैं कि कुछ लोग जैसे कि बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और COPD, ब्रोंकाइटिस या अस्थमा जैसे रेस्पिरेटरी संबंधी विकारों से पीड़ित लोग, पटाखों के खतरों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं। साथ ही जिन लोगों को पहले से ही दिल से जुड़ी समस्याएं हैं, वे विशेष रूप से पटाखों से असुरक्षित हैं, क्योंकि पटाखों की वजह से होने वाला तनाव और तेज आवाज से घबराहट या दिल का दौरा पड़ सकता है।
कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं पटाखे
पटाखे कई तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं। पहला यह है कि इससे होने वाले धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं, जो रेस्पिरेटरी कंडीशन को बढ़ा सकते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं। इसके अलावा ये प्रदूषक वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं, जो समय के साथ फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, खासकर युवाओं में जिनके फेफड़े अभी भी विकसित हो रहे हैं।दूसरा, आतिशबाजी का शोर स्ट्रेस, एंग्जायटी और हियरिंग लॉस का कारण बन सकता है, क्योंकि पटाखों की आवाज अक्सर सुरक्षित डेसिबल लेवल से ज्यादा हो जाती है। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही दिल संबंधी समस्याएं हैं और छोटे बच्चे, जिनकी सुनने की क्षमता ज्यादा संवेदनशील है, उन्हें इससे बहुत सावधान रहना चाहिए।अंत में, अगर पटाखों को सही तरीके से मैनेज न किया जाए तो इससे जलने और आंखों में चोट लगने जैसी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। खासकर प्रेग्नेंसी के दौरान पटाखों के संपर्क में रहने वाली महिलाओं को स्ट्रेस का खतरा हो सकता है, जिसका उनकी सेहत और भ्रूण के स्वास्थ्य दोनों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।