श्वसन तंत्र को मजबूत करने के लिए रोजाना करें ये योगासन
उज्जायी संस्कृत के शब्द से मिलकर बना है। हिंदी में इसका अर्थ जीत होता है। इस योग को करने से एकाग्रता बढ़ती है और चिंता दूर होती है। साथ ही फेफड़ें सुचारु रूप से काम करने लगता है। इस योग में गहरी सांस लेकर छोड़ी जाती है।
By Umanath SinghEdited By: Updated: Sat, 24 Apr 2021 03:56 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। प्राचीन समय से सेहतमंद रहने के लिए योग किया जाता है। आधुनिक समय में इसका महत्व और बढ़ गया है। दुनियाभर में लोग योग को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। रोजाना लोग सुबह और शाम योग करते हैं। इससे शारीरिक और मानसिक सेहत पर अनुकूल असर पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो योग करने से व्यक्ति हमेशा निरोग रह सकता है। योग के कई साधन हैं। इनमें कई आसन सांस संबंधी तकलीफों को दूर करने में कारगर है। अगर आप भी श्वसन तंत्र को मजबूत करना चाहते हैं, तो इन योगासन को रोजाना करें। आइए जानते हैं-
भस्त्रिका प्राणायाम करेंभस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन का संचार तीव्र गति से होता है। जबकि कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर कम होता है, जिससे हृदय रोग दूर होता है। इस योग को करने से सांस और गले से संबंधित सभी तकलीफें दूर हो जाती हैं। इसके लिए स्वच्छ वातावरण में पद्मानस की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपनी गर्दन और रीढ़ की हड्डी को एक सीध में रखें। शरीर झुका और ढीला-ढाला न हो। इसके बाद लंबी लें और फेफड़ें में वायु को भर जाने दें। इसके बाद एकबार में तेज़ी से सांस छोड़ें। इस आसन को एक बार में कम से कम दस बार जरूर करें।
उज्जायी प्राणायाम करें यह संस्कृत के शब्द उज्जायी से मिलकर बना है। हिंदी में इसका अर्थ जीत होता है। इस योग को करने से एकाग्रता बढ़ती है और चिंता दूर होती है। साथ ही फेफड़ें सुचारु रूप से काम करने लगता है। इस योग में गहरी सांस लेकर छोड़ी जाती है। रोजाना उज्जायी प्राणायाम करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता है।
कपालभाति करें
यह प्राणायाम का हिस्सा है। यह हिंदी के दो शब्दों कपाल अर्थात ललाट और भाति अर्थात चमक होता है। इस योग में सांस को लंबे समय तक रोकने की कोशिश की जाती है। साथ ही पेट और फेफड़ों की मदद से सांस को बाहर छोड़ा जाता है। इससे फेफड़ों की शुद्धि होती है। इस योग को करने से पाचन और श्वसन तंत्र मजबूत होता है। डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।