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Food Cravings: खाना खाने के बाद भी होती रहती है क्रेविंग, तो इन तरीकों से पाएं काबू

कई बार अच्छी तरह से लंच या डिनर करने के बावजूद हमें कुछ खास खाने की इच्छा रहती है जिसे क्रेविंग कह सकते हैं। आमतौर पर लोगों को मिठाई केक चॉकलेट या चटपटा खाने की क्रेविंग होती है। जो अक्सर भूख नहीं बल्कि स्वाद से जुड़ी होती है। यानी यह सब दिमाग का खेल होता है तो आइए जानें कि इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है।

By Jagran News Edited By: Ruhee Parvez Updated: Wed, 06 Mar 2024 06:12 PM (IST)
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Food Cravings: फूड क्रेविंग्स से कैसे बचें?
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बिना कारण भूख लगना या कुछ खाने की तीव्र इच्छा होने को क्रेविंग कहते हैं। क्रेविंग मात्र इच्छा और शरीर से संबंधित नहीं है बल्कि यह साइकोलॉजी से भी उतना ही जुड़ा हुआ है। लेकिन बिना किसी रूटीन के इस तरह खाने के बहुत दुष्प्रभाव होते हैं। अनावश्यक रूप से वज़न बढ़ सकता है और कई प्रकार की बीमारियां घर कर सकती हैं। भूख और क्रेविंग एक जैसे ही लग सकते हैं लेकिन असल में ये दोनों बिल्कुल ही अलग बातें हैं। भूख शरीर की जरूरत है, वहीं क्रेविंग शरीर से अधिक दिमाग की जरूरत है।

आइए जानते हैं कि कैसे निपटें अनावश्यक क्रेविंग से 

आपका ब्रेन आपको टेस्ट करता है, इसे समझें

जब आप क्रेविंग के लॉजिक को समझ जाएंगे तो आप खुद को कंट्रोल कर लेंगे। आपके ब्रेन को पता है कि क्रेविंग एक बुरी आदत है और ये आपके शरीर को नुकसान ही पहुंचाएगी तो ऐसे में ब्रेन और भी क्रेविंग की तरफ जाता है। इसे रिएक्टेंस थ्योरी कहते हैं। आपका ब्रेन आपको टेस्ट करता है कि आप खुद पर कितना नियंत्रण कर सकते हैं। ह्यूमन ब्रेन ऐसे ही काम करता है। इस थ्योरी को समझें और उसी के अनुसार अपनी क्रेविंग को रोकने की कोशिश करें।

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क्रेविंग यानी न्यूट्रिशन की कमी, इसे चेक करें

आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी भी तरह के पोषक तत्व की कमी से भी क्रेविंग होने लगती है। पोषक तत्वों में मात्र विटामिन और मिनरल ही नहीं बल्कि प्रोटीन, फाइबर या आयरन जैसे किसी भी पोषक तत्व की कमी हो सकती है। प्रोटीन और फाइबर की कमी पूरी होते ही क्रेविंग में बहुत तेज़ी से कमी पाई गई है। इसलिए ब्लड टेस्ट करा कर नियमित रूप से न्यूट्रीशनल डिफिशिएंसी को चेक करते रहें।

वातावरण भी करता है क्रेविंग पर मजबूर, इस पर पाएं काबू 

कभी-कभी आसपास के लोगों की वजह से भी आप अनावश्यक क्रेविंग करने लगते हैं जिसकी जरूरत आपको अकेले में महसूस नहीं होती। ऐसे वातावरण से खुद को बचाएं और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।

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नींद पूरी करें

अगर आप रात में अच्छे से नहीं सोते हैं तो आपके हंगर हार्मोन घ्रेलिन 28% तक ऊपर चले जाते हैं और संतुष्टि के हार्मोन लेप्टिन नीचे चले जाते हैं। इसलिए अक्सर रात में आपको क्रेविंग होती है। समय पर सोएं और ऐसी क्रेविंग से बचें।