Makhana Expensive: सुपरफूड है मखाना, लेकिन कभी सोचा है क्यों आता है इतना महंगा?
Makhana Expensive मखाना सुपरफूड है मील्स के बीच भूख लगने पर मखाने स्नैक के तौर पर खाए जा सकते हैं। यह न सिर्फ आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं बल्कि शरीर को कई तरह से फायदा भी पहुंचाते हैं। लेकिन यह इतने महंगे क्यों आते हैं?
By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Tue, 13 Dec 2022 09:19 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Makhana Expensive: मखाना भारत में एक पॉपुलर स्नैक है, जिसे अंग्रेज़ी में फॉक्स नट्स या फिर पफ्ड लोटस सीड्स भी कहा जाता है। पिछले कुछ समय में मखाने हेल्दी स्नेक के तौर पर काफी पॉपुलर हो गए हैं। कमल के यह स्वादिष्ट बीज़ों में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इन्हें औषधि से कम नहीं बनाते। इसलिए आज के ज़माने में यह एक पर्फेक्ट स्नैक का काम करते हैं। मखाने में मौजूद पोषक तत्वों की वजह से हर किसी को इसका सेवन ज़रूर करना चाहिए।
हालांकि, इनका दाम समय के साथ काफी बढ़ गया है। दुनियाभर में 90 फीसदी मखाना बिहार से आता है, जो बेहद कम लोग जानते हैं। तो आज बताते हैं कि आखिर यह इतना महंगा क्यों होता जा रहा है।
औषधीय गुणों से भरा मखाना
मखाने में मौजूद पोषक तत्व, मूत्रवर्धक, सूजन और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा कमल के ये बीज, खराब पाचन, नींद की दिक्कत, बार-बार होने वाला दस्त, पैल्पीटेशन आदि के इलाज में भी फायदेमंद होता है। इतने सारे गुण होने की वजह से मखानों को रोज़ाना डाइट में ज़रूर शामिल करना चाहिए ताकि आपकी सेहत को ज़रूरी फायदे मिल सकें।मखाना कैसे फायदेमंद होता है
मखाना प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर होने के साथ पोटैशियम और सोडियम जैसे खनिज पदार्थों से भी भरे होते हैं। इनमें अच्छी मात्रा में फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं, जिनमें मज़बूत एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। मखानों को कच्चा खाने के अलावा रोस्ट कर के भी खाया जा सकता है। इसके अलावा इनको पीस्कर या फिर उबाल कर इनका पेस्ट भी तैयार किया जाता है।
मखाने को आमतौर पर व्रत के समय ही खाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 100 ग्राम मखाना आपके पेट को दिनभर के लिए भरा रखता है। इसमें कैलोरी की मात्रा भी काफी कम होती है। 35 ग्राम मखाने में 100 कैलोरी और 4 ग्राम प्रोटीन होता है। फाइबर से भरपूर मखाना माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स और एंऑक्सीडेंट्स से भी भरा होता है। इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जो डायिबिटीज़ के मरीज़ों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-एजिंग गुण भी होते हैं। यह दिल के साथ हड्डियों की सेहत में भी लाभ पहुंचाता है।
इसलिए महंगे होते हैं मखाने
मखाने की कटाई में काफी मेहनत लगती है, साथ ही यह काम मुश्किल भी होता है, क्योंकि पौधों के नुकीले कांटे घायल कर देते हैं। कटाई तब शुरू होती है जब फूल खिलते हैं और बीज जमीन पर गिर जाते हैं। मखाने निकालने के लिए किसान को कीचड़ में उतरना पड़ता है। वह एक बांस को लेकर चलते हैं, ताकि कीचड़ को एक तरफ किया जा सके।खेती में सबसे बड़ी समस्या पानी में घासपूस का प्रबंधन करना है। इसे हाथों से ही करना पड़ता है। मखानों एक बर्तन में इकट्ठा किया जाता है और कुछ को वहीं छोड़ दिया जाता है। कमल के इन बीजों में से मखाने को निकालना भी एक कला है। यह कौशल आज भी मिथिला और दरभंगा के मल्लाह (मछुआरे) समुदाय के कुछ परिवारों के हाथों में है। एक किलो मखाने की कमीत 500 से 1500 रुपए के बीच है। जैसे कायले की खान से निकलने वाले हीरे की कीमत ज़्यादा हो सकती है, ऐसी ही मखानों की कीमत भी ज़्यादा है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।