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Constipation Tips: कब्ज़ से जूझ रहे हैं? तो इन 3 फूड्स से रहें दूर वरना स्थिति हो जाएगी और खराब!

Constipation Tips कब्ज़ होना आम बात है लेकिन इस दौरान खाने की कुछ ऐसी चीज़ें भी हैं जो इस स्थिति को और खराब बना सकती हैं। इसलिए अगर आप भी कब्ज़ से जूझ रहे हैं तो इन चीज़ों से दूरी बनाना बेहतर है।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Thu, 19 May 2022 04:39 PM (IST)
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Constipation Tips: कब्ज़ में गलती से भी न खाएं ये 3 चीज़ें
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Constipation Tips: गर्मी के मौसम में चलने वाली लू अपने साथ पेट से जुड़ी कई समस्याएं लेकर आती है, जिसमें कब्ज़ भी शामिल है। देश के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री पहुंच रहा है, ऐसे में हमें अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए, ज़रूरी सावधानियां बरतनी चाहिए, शरीर को हाइड्रेट और ठंडा रखना चाहिए और पोषण का सेवन करना चाहिए।

भीषण गर्मी की वजह से कब्ज़ जैसी समस्या होना आम है, क्योंकि चिलचिलाती गर्मी आसानी से डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है। फाइबर से भरपूर खाना आपके मल को नरम कर सकता है और आपकी मल त्याग में मदद कर सकता है, लेकिन कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ हैं, जो इसका विपरीत काम कर- अपने मल को सूखा और सख्त बनाते हैं। अगर आप पहले से ही कब्ज़ से परेशान हैं, तो आपको इन खाद्य पदार्थों से दूर रहने की ज़रूरत है।

तो आइए जानें ऐसे फूड्स के बारे में जिन्हें कब्ज़ के दौरान दूर ही रखना अच्छा है।

1. दही

आयुर्वेद के मुताबिक, दही को पचाना आसान नहीं है और यह प्रकृति में शोषक भी है, इसलिए कब्ज़ होने पर इसे नहीं खाना चाहिए। दही रुचिया होता है यानी स्वाद में सुधार करने का काम करता है, उष्ना यानी प्रकृति में गर्म और वातजित यानी वात को संतुलिक करता है, लेकिन यह गुरु यानी पचाने में मुश्किल होता है और ग्राही (जीरे की तरह प्रकृति में शोषक) भी है जो इसे कब्ज के लिए नुकसानदायक बनाता है।

2. कैफीन

अगर आपको लगता है कि कैफन आपके मल त्याग को आसान कर सकता है, तो आप गलत हैं क्योंकि इसके सेवन से डिहाइड्रेशन हो सकता है और आपका कब्ज़ और ख़राब हो सकता है। हम सभी मानते हैं कि कैफीन हमारे पाचन तंत्र में मांसपेशियों को उत्तेजित कर सकता है और मल त्याग को आसान बना सकता है। लेकिन कैफीन (विशेष रूप से अत्यधिक कैफीन) भी डिहाइड्रेशन का कारण बनता है, जो कब्ज़ को और कराब कर सकता है।

3. जीरा

इसमें कोई शक़ नहीं कि जीरा पाचन के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन साथ ही प्रकृति में शुष्क और शोषक भी है जो कब्ज को खराब कर सकता है। आयुर्वेद में जीरे को जीरका कहा जाता है, जो जीरना (जिसका अर्थ है पाचन) शब्द से लिया गया है। तो जीरक का अर्थ है 'जो पचाता है'। यह पित्त को बढ़ाता है यानी पाचन में सुधार करता है, लघु होता यानी पचाने में हल्का लेकिन रूक्ष यानी प्रकृति में सुखाने वाला और ग्रही यानी अवशोषित करने वाला भी है, इसलिए यह भूख, दस्त, आईबीएस के लिए अद्भुत है, लेकिन कब्ज़ के लिए नहीं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Credit: Freepik