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लगातार काम आपके दिमाग को बना सकता है Cognitive Fatigue का शिकार, जानें कैसे पाएं इससे राहत

इन दिनों हमारी लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव होने लगे हैं। काम का बढ़ता प्रेशर हमारे ऊपर दवाब बनाने लगा है। ऐसे में ज्यादा प्रेशर और लगातार काम करने की वजह से शरीर के साथ ही दिमाग भी थकने लगता है। इस दिमागी थकान को कॉग्निटिव फटीग (Cognitive Fatigue) कहते हैं। ऐसे में इस कॉग्निटिव फटीग को पहचानें और इससे निपटने के आसान तरीके अपनाएं।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 03 Feb 2024 06:16 PM (IST)
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लगातार काम करने से थक सकता है आपका दिमाग
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Cognitive Fatigue: किसी भी काम में दिमाग लगाने के लिए एकाग्रता और संयम बहुत जरूरी होता है। शरीर के सभी अंगों की तरह दिमाग भी की कार्य करने की एक सीमित क्षमता होती है। साथ ही इसे रिलैक्स होने की भी जरूरत होती है, जिससे वह अटेंशन, फोकस और उचित निर्णय लेने का काम अच्छे से कर सके। हालांकि, लगातार कार्य करने की वजह से एक समय बाद यह काम एक मेंटल लोड सा लगने लगता है, जिससे दिमाग थकना शुरू होता है और इस थकान के कारण काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में जरूरी है कि अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखे। हालांकि, जब हम इस संतुलन नहीं बना पाते हैं और ब्रेन से जरूरत से अधिक काम लेना शुरू करते हैं, तो इससे होने वाली थकान को कॉग्निटिव फटीग कहते हैं। ऐसे में इस कॉग्निटिव फटीग को पहचानें और इससे निपटने के आसान तरीके अपनाएं। अगर आप भी कॉग्नेटिव फटीग का शिकार हो रहे हैं, तो इन तरीकों से इससे निपटें-

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ऐसे पाएं कॉग्नेटिव फटीग से राहत

  • सोशल मीडिया का सीमित इस्तेमाल करें। यह बिना वजह ब्रेन को थकाता है। आप दूसरों के जीवन से नहीं चाहते हुए भी खुद तुलना करने लगते हैं और एक दबाव में आ जाते हैं, जिससे आपकी एनर्जी डाउन होती है।
  • मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल पर रोक लगाएं। जितना अधिक स्क्रीन के सामने आप रहेंगे, आपके ब्रेन को उतनी देर तक सक्रिय रहना पड़ता है। इस कारण आपका ब्रेन थकान महसूस करने लगता है। इसलिए काम खत्म कर के फोन किनारे रखें और किसी ऐसे काम में खुद को व्यस्त करें, जहां से आपके ब्रेन को ताकत मिले और आपका मूड रिफ्रेश हो।
  • आप जिन चीजों को नापसंद करते है, उस बात के लिए न कहना सीखें।
  • अपने शरीर की सुनें और इसकी क्षमता पहचानें। जब भी ऐसा लगे कि अब आंखें दर्द हो रही हैं या लाल हो रही हैं, जोड़ों में दर्द हो रहा है, सिर भारी सा लगने लगा है, तो फौरन पावर नैप लें। जबरदस्ती अपनी शरीर से काम न लें।
  • जिन बातों का कंट्रोल आपके हाथ में नहीं है, उन बातों को लेट गो करें। ऐसी बातों को जाने दें, जिन्हें आप बदल नहीं सकते। जीवन के अन्य सकारात्मक पहलू पर ध्यान दें और जीवन में आगे बढ़ें।
  • ऑटोमेटेड ईमेल रिस्पॉन्स लिख कर रखें। इससे आप अपना टाइम और एनर्जी दोनों ही बचा पाएंगे।
  • अपनी लाइफ से एक्स्ट्रा जो भी चीजें हैं, उन्हें साफ करें। एक्स्ट्रा काम का लोड, एक्स्ट्रा टेंशन, एक्स्ट्रा दबाव। इन सभी चीजों को खत्म करें।
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Picture Courtesy: Freepik