अगर आप भी मानते हैं ई-सिगरेट को स्मोकिंग से कम हानिकारक, तो जानें इससे जुड़े कई मिथकों की सच्चाई
वेपिंग के बढ़ते चलन के पीछे उससे जुड़े कुछ मिथक हो सकते है। लोग ऐसा मानते हैं कि वेपिंग से सेहत पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसे कई मिथक हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हैं। अगर आप भी मानते हैं कि ई-सिगरेट स्मोकिंग का एक बेहतर विकल्प है तो आइए जानें इससे जुड़े कुछ मिथक और फैक्ट्स।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Mon, 18 Sep 2023 03:26 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल। Electronic Cigarette: ई-सिगरेट(E-cigarette) जिसे वेप भी कहते हैं, इन दिनों काफी चलन में है। ई-सिगरेट एक छोटा-सा डिवाइस होता है जिसका इस्तेमाल निकोटिन, कैनाबिस, फ्लेवरिंग आदि के लिए किया जाता है। यह ज्यादातर युवाओं और टीनएजर्स में प्रचलित है। इसके पीछे का कारण ये हो सकता है कि ये उन्हें कूल दिखने में मदद करता है।
एक वजह ये भी हो सकती है कि ऐसा माना जाता है कि ये ट्रेडिशनल स्मोकिंग से कम हानिकारक होता है। लोगों का ऐसा मानना है लिक्विड से धुंआ लेते है, इसलिए ये कम नुकसानदेह होता है। इससे जुड़े कई मिथक भी लोगों में बेहद प्रचलित हैं। इस कारण से लोग इसे सेहत के लिए हानिकारक नहीं समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आइए जानते हैं ई-सिगरेट या वेपिंग से जुड़े कुछ मिथक और फैक्ट्स।
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मिथक 1- ई-सिगरेट स्मोकिंग छोड़ने में मदद करता है।
फैक्ट- नहीं। ई-सिगरेट करने से स्मोकिंग छोड़ने में मदद मिलती है। इसका कोई प्रमाण नहीं है, बल्कि इसमें कई ऐसे केमिकल होते हैं, जो स्मोकिंग की आदत लगवा सकता है।
मिथक 2- ई-सिगरेट लंग्स के लिए हानिकारक नहीं होता।
फैक्ट- नहीं। ई-सिगरेट से कई कैमिकल जैसे- फॉरमेलडिहाइड, लीड, एक्टेलडीहाइड निकलते हैं, जो लंग्स के लिए काफी हानिकारक होते हैं।मिथक 3- ई-सिगरेट एडिक्टिव नहीं होता।
फैक्ट- नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसमें निकोटिन होता है, जिसकी लत लग सकती है।