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Emotional Eating: भावनाओं में बहकर कर रहे हैं इमोशनल ईटिंग, तो इन टिप्स से करें इसे काबू

तनाव गुस्सा और दुख जैसी कई नकरात्मक भावनाओं की वजह से हम अक्सर इमोशनल ईटिंग का शिकार हो जाते हैं। इससे हमें कुछ समय के लिए तो बेहतर महसूस होता है लेकिन कुछ समय बाद गिल्ट का सामना करना पड़ता है। इमोशनल ईटिंग की वजह से वजन बढ़ने का खतरा भी रहता है जो अन्य बीमारियों की वजह बन सकता है। जानें इमोशनल ईटिंग से बचने के टिप्स।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Sun, 11 Feb 2024 03:07 PM (IST)
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इमोशनल ईटिंग की वजह से हो सकते हैं मोटापे का शिकार

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Emotional Eating: खराब लाइफस्टाइल की वजह से तनाव हमारी लाइफ का हिस्सा बन गया है। काम की वजह से, घर में कोई विवाद, करियर की चिंता और भी कई कारणों से आप आसानी से स्ट्रेस का शिकार हो सकते हैं। तनाव को दूर करने के लिए या इससे ध्यान हटाने के लिए कई बार बिंज इटिंग शुरू कर देते हैं। भूख न लगे होने के बावजूद, स्ट्रेस, अकेलापन, दुख, बोरियत आदि जैसी नकरात्मक भावनाओं की वजह से अधिक खाने को इमोशनल ईटिंग कहते हैं।

खाना हमें कई प्रकार से कंफर्टेबल महसूस करवाता है। इसलिए स्ट्रेस के दौरान या बहुत दुखी होने पर हम अक्सर अधिक चीनी, नमक और प्रोसेस्ड फूड्स को खाना पसंद करते हैं, लेकिन इमोशनल ईटिंग की वजह से सेहत से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं। इस कारण से वजन बढ़ने, दिल की बीमारियां, डायबिटीज और हाई बीपी की समस्या भी हो सकती है। इसलिए इमोशनल ईटिंग की आदत में सुधार लाना बेहद जरूरी है। आपकी मदद करने के लिए हम कुछ ऐसे टिप्स लाए हैं, जो इस आदत को सुधारने में आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं किन टिप्स से इमोशनल ईटिंग की आदत में सुधार किया जा सकता है।

क्यों करते हैं इमोशनल ईटिंग?

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, तनाव या अन्य किसी नकरात्मक भावना की वजह से हमारे शरीर में कॉर्टिसोल रिलीज होता है। कॉर्टिसोल की मात्रा अधिक होने की वजह से घेरलिन हार्मोन भी अधिक रिलीज होता है, जिस कारण से भूख अधिक लगती है। इसके अलावा, एक कारण यह भी है कि कोर्टिसोल फाइट या फ्लाइट इंस्टिंक्ट को एक्टिव करता है, जिस कारण से बॉडी खुद को बचाने के लिए एलर्ट हो जाती है और खतरे से लड़ने की एनर्जी के लिए खाने की तरफ आकर्षित होने लगती है।

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इस दौरान कुछ खास प्रकार के फूड आइटम्स, जैसे- चॉकलेट, फ्रेंच फ्राइज, चिप्स आदि को खाने की इच्छा ज्यादा होती है। ये फूड्स मात्र तीन मिनट के लिए बेहतर महसूस करवाने में मदद करते हैं, लेकिन उसके बाद इसका असर खत्म हो जाता है। इसलिए इमोशनल ईटिंग से आपको सिर्फ ऐसा महसूस होता है कि आपको बेहतर लग रहा है, लेकिन यह एक अस्थायी भावना होती है, जिसके कारण बाद में आपको बिंज इटिंग करने पर पछतावा  होता है। 

कैसे कर सकते हैं इमोशनल ईटिंग से बचाव?

डीप ब्रीदिंग- तनाव के समय अक्सर गहरी और लंबी सांसे लेने से तनाव को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। इसलिए स्ट्रेस रिलीफ के लिए डीप ब्रीदिंग तकनीक की मदद लें। तनाव कम होने से आपकी इमोशनल ईटिंग की समस्या भी कम होगी।

ट्रिगर पहचानें- उन बातों को पहचानने की कोशिश करें, जिनके बाद आपका इमोशनल ईटिंग करने का मन करता है। इन ट्रिगर्स को पहचान कर, इनसे बचने की कोशिश करें।

माइंडफुलनेस अपनाएं- अक्सर इमोशनल ईटिंग करने से पहले हम कुछ सोचते नहीं है, सीधा खाना शुरू कर देते हैं। इसिलए अगर आपके साथ अगली बार ऐसा हो, तो थोड़ा ब्रेक लेकर सोचें क्या आपको सच में भूख लगी भी है या नहीं। अगर भूख नहीं लगी है, तो रूक जाएं, यह इमोशनल ईटिंग हो सकती है।

हेल्दी फूड आइटम्स खाएं- अपने फ्रिज में या बैग में हेल्दी स्नैक्स रखें, ताकि अगर आप खुद को इमोशनल ईटिंग करने से रोक न पाएं, तो अनहेल्दी फूड्स की जगह, हेल्दी फूड आइटम्स को डाइट में शामिल करें, जैसे- पॉप कॉर्न, नट्स, सलाद आदि.

कोई हॉबी विकसित करें- अपने इमोशन्स से बचने के लिए खाने के बदले किसी ऐसी हॉबी को अपनाएं, जो आपकी भावनाओं को बाहर निकालने में मदद कर सके, जैसे- जर्नलिंग, पेटिंग, सिंगिंग, वॉक आदि। इनकी मदद से आप अपने इमोशन्स को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और इमोशनल ईटिंग भी नहीं करेंगे।

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Picture Courtesy: Freepik