मन में दबी भावनाएं बन गई हैं Emotional Stress का कारण, तो इन तरीकों से करें उन्हें बयां
आपकी इमोश्नल हेल्थ आपके स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा है। इसलिए अपनी Emotional Wellbeing का ख्याल रखना बेहद आवश्यक है। कई बार जब हम अपनी भावनाओं को दबाकर रखते हैं तो Emotional Stress का शिकार हो सकते हैं। इसलिए हम कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से रिलीज कर पाते हैं। जानें कैसे करें इमोश्नल स्ट्रेस दूर।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Emotional Stress: हमारी लाइफ में ऐसी कितनी ही चीजें होती हैं, जिनसे हमारी मेंटल हेल्थ को काफी नुकसान पहुंचता है। कुछ बातों को हम अपने मन में दबाकर रखना चाहते हैं या किसी के साथ शेयर करने में काफी संकोच महसूस करते हैं। इस वजह से कई बार ऐसा होता कि हमारे मन में दबी बात हमें मानसिक रूप से परेशान करने लगती है और बोझ जैसी महसूस होनी शुरू हो जाती हैं।
दबे हुए इमोश्नस आपकी मानसिक सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकते हैं। इन भावनाओं की वजह से एंग्जायटी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन के रूप में इमोश्नल स्ट्रेस दिखना शुरू हो जाता है। कई बार यह Emotional Stress इतना बढ़ जाता है कि आप अपने रोज के काम करने में भी तकलीफ महसूस करने लगते हैं।
इसलिए जरूरी है कि आप अपनी भावनाओं को बाहर आने दें। ऐसा करने में कुछ तरीके काफी मददगार साबित हो सकते हैं। इन तरीकों से आप अपनी भावनाओं को न केवल बाहर निकाल पाएंगे बल्कि, उन्हें समझने में भी काफी मदद मिल सकती है। आइए जानते हैं कैसे आप अपने इमोश्नस को रिलीज कर सकते हैं।
क्या है कथार्सिस?
अपने भीतर दबी भावनाओं को बाहर निकालना कथार्सिस कहलाता है। इस प्रक्रिया की मदद से आप कम भावविह्वल होते हैं और उन भावनाओं से कम प्रभावित होते हैं। दबे हुए इमोश्नस रिलीज करने के लिए ऐसे तरीके को चुनना चाहिए, जिसमें न केवल हम उन भावनाओं को बाहर निकाल पाएं बल्कि, उन्हें बेहतर तरीके से समझ भी पाएं कि ऐसा क्यों महससू हो रहा था। ये तरीके आपकी Emotional Wellbeing के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
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कैसे कर सकते हैं इमोश्नस रिलीज?
जर्नलिंग
भावनाओं को बाहर निकालने का एक बेहतर तरीका है जर्नलिंग। जर्नलिंग एक ऐसा तरीका है, जिसमें आप अपनी भावनाओं को किसी डायरी में लिखते हैं। इससे आप अपने मन की बात को बिना किसी संकोच के बाहर निकाल पाते हैं और साथ ही, आप यह भी समझ सकते हैं कि क्यों आपको इमोश्नल स्ट्रेस हो रहा था। इसके अलावा, आप चाहें तो जर्नलिंग की जगह चिट्ठी भी लिख सकते हैं। अगर आप किसी से कुछ कहना चाहते हों और न कह पा रहे हों, तो आप उनके नाम से भी चिट्ठी लिख सकते हैं। इससे आपके मन का बोझ हल्का होगा।