Endometriosis कैसे बन सकता है इनफर्टिलिटी की वजह, एक्सपर्ट से जानें कारण और इलाज
एंडोमेट्रियोसिस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल मार्च के महीने में Endometriosis Awareness Month मनाया जाता है। यह बहुत ही कष्टदायक कंडिशन होती है जिसमें महिलाओं में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। एंडोमेट्रियोसिस कैसे फर्टिलिटी को प्रभावित करता है इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की। जानें इस बारे में उनका क्या कहना है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Endometriosis: एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे दुनियाभर में कई महिलाएं पीड़ित हैं। इस कंडिशन की वजह से व्यक्ति के रोजमर्रा का जीवन भी प्रभावित होता है। इस कंडिशन में यूटेरस की लाइनिंग जैसे टिश्यू उसके बाहर पेल्विस रीजन में या कुछ मामलों में शरीर के अन्य हिस्सों में भी ग्रो कर सकते हैं।
यूटेरस के टिश्यू को एंडोमेट्रियम कहा जाता है। ऐसे टिश्यू के किसी और हिस्से में ग्रो करने की वजह से इस कंडिशन को एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। इस कंडिशन की वजह से प्रेग्नेंट होने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए, हमने एक्सपर्ट से बात की। उन्होंने हमें बताया कि एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं की फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है। आइए जानते हैं इस बारे में उनका क्या कहना है।
एंडोमेट्रियोसिस की वजह से महिलाओं की फर्टिलिटी कैसे प्रभावित होती है, इस बारे में बात करते हुए फॉर्टिस अस्पताल, नोएडा की प्रसुति एंव स्त्री रोग विभाग की निर्देषक, डॉ. अंजना सिंह ने बताया कि एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी कंडिशन है, जिसमें यूटेरस की लाइनिंग जैसे टिश्यू शरीर के अन्य हिस्सो में ग्रो करने लगते हैं। जब ये टिश्यू शरीर के गलत भाग में ग्रो कर जाते हैं, तो परेशानी का कारण बनने लगते हैं, जिस वजह से रोज के काम करने में भी तकलीफ होनी शुरू हो सकती है।
यह भी पढ़ें: क्यों मनाया जाता है Endometriosis Awareness Month और क्या है इस साल की थीमएंडोमेट्रियम यूटेरस की भीतरी लाइनिंग होती है, जो हर महीने पीरियड्स के दौरान टूटती हैं और इस वजह से ब्लीडिंग होती है। माहवारी के समय ये टिश्यू शरीर के बाहर निकलते हैं और इनके बदले नए टिश्यू बनते हैं। यह प्रक्रिया हर महीने होती है। जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तब ये टिश्यू बच्चे के शुरुआती विकास में मदद करते हैं और प्रेग्नेंसी को सहारा देते हैं।
क्या है एंडोमेट्रियोसिस?
लेकिन जब एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होती है, तब ये टिश्यू शरीर के दूसरे अंग में बनने लगते हैं। ये एब्डोमेन, पेल्विस या छाती में भी बन सकते हैं। ये टिश्यू हार्मोन सेंसिटिव होते हैं, जिस वजह से पीरियड्स के दौरान इनमें सूजन आ सकती है और ये परेशानी का कारण बन जाते हैं। इन टिश्यू की वजह से ओवेरियन सिस्ट, सुपरफिशियल लीजन, डीपर नॉड्यूल्स, एड्हेशन टिश्यू (जो ऑर्गन्स को जोड़कर रखते हैं) और स्कार टिश्यू जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
एंडोमेट्रियोसिस की वजह से महिलाओं को कंसीव करने में काफी परेशानी हो सकती है। आमतौर पर, हर महीने किसी स्वस्थय महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावना 10-20 प्रतिशत होती है, जबकि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं में प्रेग्नेंसी की संभावना मात्र 1-10 प्रतिशत के बीच होती है। इस कंडिशन से गुजर रही महिलाओं में से लगभग 30-50 प्रतिशत महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
इस बारे में सी.के बिरला अस्पताल, दिल्ली के प्रसुति और स्त्री रोग विभाग की कंसल्टेंट डॉ. प्रियंका सुहाग ने कहा कि इन कंडिशन्स की वजह से रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स की फंक्शनिंग पर प्रभाव पड़ता है, जिस वजह से फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। गर्भाश्य से बाहर इन टिश्यू के बनने की वजह से, इस कंडिशन से पीड़ित महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।