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Endometriosis से पाना चाहते हैं राहत, तो वक्त रहते एक्सपर्ट्स से जानें इलाज के तरीके

एंडोमेट्रियोसिस से दुनियाभर में कई महिलाएं प्रभावित हैं लेकिन इस बारे में जागरूकता की काफी कमी है। इस समस्या से गुजर रही महिला के लिए इलाज के क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं इस बारे में भी जानकारी का अभाव है। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए मार्च में Endometriosis Awareness Month मनाया जाता है। जानें इस कंडिशन के इलाज के क्या विकल्प मौजूद हैं।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Thu, 07 Mar 2024 01:07 PM (IST)
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एक्सपर्ट ने बताए एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के विकल्प

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Endometriosis: एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें यूटरस की लाइनिंग जैसे टिश्यू यूटरस के बाहर भी बनने लगते हैं। इसकी वजह से पेल्विस एरिया में तेज दर्द होता है और प्रेग्नेंट होने भी मुश्किलें आती हैं। इसकी वजह से पीरियड्स में काफी हेवी ब्लीडिंग और दर्द भी होता है। ये टिश्यू एंडोमेट्रियल टिश्यू होते हैं, जो हार्मोन सेंसिटिव होते हैं। जिसके कारण यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

इसके कारण महिलाओं को अपने रोज के काम करने में भी काफी तकलीफ होती है। यह कंडिशन कई महिलाओं की फर्टिलिटी को भी प्रभावित करती है। इसलिए Endometriosis को कैसे मैनेज कर सकते हैं और इसका इलाज क्या है, यह जानना बेहद जरूरी है। इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट्स से इस बारे में बात की। आइए जानते हैं, उनका क्या कहना है।

Endometriosis के इलाज के बारे में बात करते हुए सी.के. बिरला अस्पताल, दिल्ली, के स्त्री रोग एंव प्रसुति विभाग में कंसल्टेंट, डॉ. प्रियंका सुहाग और फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम, के स्त्री रोग और प्रसुति विभाग में सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. स्वाति मित्तल से बात की।

क्या है एंडोमेट्रियोसिस?

डॉ. सुहाग ने बताया कि एंडोमेट्रियोसिस एक क्रॉनिक कंडिशन है, जिसमें यूटरस की लाइनिंग जैसे टिश्यू, यूटरस के बाहर भी ग्रो करने लगते हैं। जिसके कारण पीरियड्स और शारीरिक संबंध बनाने में काफी दर्द का सामना करना पड़ता है और इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं।

यह भी पढ़ें: क्या पीरियड्स में हैवी या अनियमित ब्लीडिंग हो सकता है Endometriosis का संकेत?

डॉ. मित्तल ने इस बारे में बताया कि हार्मोन्स में बदलाव की वजह से यूटरस की बाहरी लाइनिंग में यह टिश्यू बढ़ते हैं और पीरियड्स के दौरान इनमें सूजन आने लगती है जिसकी वजह से पीरियड्स के दौरान काफी दर्द का सामना करना पड़ता है। इसमें पेल्विक दर्द, शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द, इनफर्टिलिटी और पाचन या मूत्र से संबंधित समस्याएं शामिल हो सकती हैं। आमतौर पर, यह 15-44 साल की उम्र की महिलाओं को होता है।

endometriosis

हालांकि, हमारे दोनों ही एक्सपर्ट्स ने हमें यह बताया कि इस बीमारी के लक्षणों को कम करने और इससे जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए, इलाज के कई तरीके मौजूद हैं, जिनकी मदद से इनके लक्षणों को मैनेज करने में मदद मिलती है। मेडिकल इंटरवेंशन में आमतौर पर दर्द को कम करने के लिए दवाइयां, हार्मोनल थेरेपी, सर्जरी आदि की मदद ली जाती है।

दवाइयां

दवाइयों में एंडोमेट्रियल टिश्यू को बढ़ने से रोकने के लिए दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा, नॉन-सटेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयों को शामिल किया जाता है, जो इन टिश्यू की इंफ्लेमेशन को कम कर, दर्द को कम करने में मदद करती हैं। हार्मोनल थेरेपी में गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट की मदद ली जाती है, जिनसे पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करने या मेंसुरल साइकिल को सप्रेस करने में भी मदद करते हैं।

सर्जरी

सर्जरी की मदद से भी एंडोमेट्रियोसिस का इलाज किया जाता है। इस कंडिशन में लेप्रोस्कोपी की मदद से यूटेरस के बाहर बने एंडोमेट्रियल टिश्यू को हटाया जाता है। लेप्रोस्कोपी एक्सिशन या एब्लेशन की मदद से एंडोमेट्रियोसिस घावों को हटाना या नष्ट किया जाता है।

इन उपायों से इसके लक्षणों से काफी राहत मिलती है। कई बार एंडोमेट्रियोसिस के गंभीर मामलों में, हिस्टेरेक्टॉमी, जिसमें यूटेरस को पूरा या आंशिक यानी यूटरस के किसी हिस्से को निकाला जाता है या ओवरी को भी रिमूव किया जाता है। हालांकि, हिस्टेरेक्टॉमी की मदद तब ली जाती है, जब इलाज के अन्य दूसरे तरीके काम नहीं करते हैं।

न्यूरोमॉड्यूलेशन

इसके अलावा न्यूरोमॉड्यूलेशन का इस्तेमाल भी किया जाता है। इसमें नर्वस की मोबिलिटी को मोडिफाई किया जाता है, ताकि दर्द को कम करने में मदद मिले और मरीज सामान्य तरीके से अपना जीवन जी सके।

प्राकृतिक उपचार

डॉ. मित्तल ने एंडोमेट्रियोसिस के प्राकृतिक उपचारों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि कुछ मरीज डाइट और योग जैसे प्राकृतिक उपचारों की मदद से एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने की कोशिश करते हैं। पोषण, एक्सरसाइज, और स्ट्रेस मैनेजमेंट, एंडोमेट्रियोसिस के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हेल्दी डाइट में फल, सब्जियां, अनाज, प्रोटीन और विटामिन व मिनरल को शामिल करना चाहिए। एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट भी लक्षणों को कम करने और सामान्य स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, इनका चयन मरीज की स्थिति, लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर, डॉक्टर की सलाह लेकर करना चाहिए।

डॉक्टर से बात करें

इस बारे में आगे बताते हुए डॉ. सुहाग ने कहा कि मेडिकल और सर्जिकल मेथड, दोनों को मिलाकर भी काफी बेहतर तरीके से इस समस्या का इलाज किया जा सकता है। हालांकि, यह बेहद जरूरी है कि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं अपने डॉक्टर से संपर्क कर, अपने लिए सबसे बेहतर इलाज के बारे में बातचीत करें।

इसलिए अपनी मेडिकल हिस्ट्री और भविष्य के अपने प्रेग्नेंसी से जुड़े प्लान जैसी चीजों के बारे में भी खुलकर बात करें, ताकि डॉक्टर इस हिसाब से आपके लिए इलाज का तरीका बता सकें। इसके लक्षण नजर आने पर, जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करवाएं। जल्दी इलाज शुरू करवाने से इस कंडिशन को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है और इसका इलाज भी बेहतर तरीके से हो सकता है।

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Picture Courtesy: Freepik