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Breast Cancer का खतरा कम करती है ब्रेस्टफीडिंग, डॉक्टर से समझें पूरा साइंस

ब्रेस्ट फीड बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए बेहद जरूरी होता है। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स भी बच्चे को 6 महीने तक सिर्फ का मां दूध पिलाने की सलाह देते हैं। ब्रेस्टफीडिंग सिर्फ बच्चे ही नहीं मां के लिए भी फायदेमंद होता है। इसकी इसी अहमियत को समझाने के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्डफीडिंग वीक मनाया जाता है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 07 Aug 2024 07:42 PM (IST)
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ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचाती है ब्रेस्टफीडिंग (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चे के सही विकास के लिए जन्म के साथ ही स्तनपान कराना बेहद जरूरी होता है। यही वजह है कि डॉक्टर्स बच्चे के जन्म से लेकर लगभग 6 महीने तक उन्हें सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं। स्तनपान कराने से सिर्फ बच्चे को ही नहीं, बल्कि मां को भी फायदा मिलता है। यही वजह है कि ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 1 से 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्डफीडिंग वीक मनाया जाता है। ब्रेस्टफीडिंग के कई फायदों में से एक Breast Cancer से बचाव भी है।

ऐसे में इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल सोनीपत में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और ब्रेस्ट ऑन्कोलॉजी की डायरेक्टर डॉ. वैशाली झामरे और गुरुग्राम के मैक्स हॉस्पिटल में सीनियर डायरेक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुमन लाल से बातचीत की।

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ब्रेस्टफीड और ब्रेस्ट कैंसर में कनेक्शन

डॉक्टर वैशाली बताती हैं कि एस्ट्रोजन हार्मोन के लंबे समय तक संपर्क में रहने की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के विकास खतरा बढ़ता है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद, महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बहुत कम हो जाता है और प्रोलैक्टिन हार्मोन का सीरम लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में जब हर बार मां अपने बच्चे को दूध पिलाती है, तो प्रोलैक्टिन हार्मोन दूध के प्रोडक्शन को बढ़ाती है। ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग के दौरान, प्रोलैक्टिन का हाई लेवल एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को बढ़ने नहीं देता और इसलिए ब्रेस्टफीड कराने वाली महिला को इस दौरान नियमित पीरियड्स नहीं होते हैं। इसे लैक्टेशनल एमेनोरिया कहा जाता है।

कैसे कैंसर से बचाता है ब्रेस्टफीड

यही वजह है कि एक महिला जितने लंबे समय तक बच्चे को स्तनपान कराती है, उतने लंबे समय तक उन्हें पीरियड्स नहीं आते और वह लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में आने से बची रहती है, लेकिन एक बार जब बच्चा धीरे-धीरे मां का दूध पीना बंद कर देता है, तो प्रोलैक्टिन हार्मोन में कमी के कारण महिला के रेगुलर पीरियड्स फिर से शुरू हो जाते हैं और इस तरह ओवेरियन एस्ट्रोजन का प्रोडक्शन भी धीरे-धीरे बढ़ जाता है।

हार्मोनल लेवल में इस बदलाव का यह क्रम हर बार महिला के बच्चे को जन्म देने के दौरान देखा जा सकता है। इसलिए एक महिला के जितने ज्यादा बच्चे होंगे, वह उनते बार हर बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराएगी, तो ब्रेस्ट कैंसर से उसकी सुरक्षा उतनी ही ज्यादा होगी।

ब्रेस्टफीडिंग के फायदे

वहीं, ब्रेस्टफीडिंग के फायदों के बारे में बताते हुए डॉ. सुमन लाल ने इसके निम्न फायदे गिनवाए-

  • संपूर्ण पोषण: मां का दूध बच्चे की जरूरत के अनुसार पोषक तत्वों प्रदान करता है और उन्हें कुपोषण से बचाता है। इसमें बच्चे की वृद्धि और विकास के लिए सही मात्रा में प्रोटीन, चीनी, फैट और पानी होता है।
  • बीमारी से सुरक्षा: ब्रेस्टफीड से टाइप 1 डायबिटीज, मोटापा, अस्थमा और अचानक इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) सहित कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, ब्रेस्ट के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं और कान के इन्फेक्शन के खतरे को भी कम करते हैं।
  • मजबूत इम्यून सिस्टम: मां के दूध की थोड़ी मात्रा से भी बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है, क्योंकि यह उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। ब्रेस्ट मिल्क के एंटीबॉडी और इम्युनोग्लोबुलिन नवजात बच्चों को बीमारियों और संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं।
  • मां को भी मिलता है लाभ: ब्रेस्टफीड कराने से महिलाओं के स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं। यह टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करता है।
  • मां और शिशु में कनेक्शन: ब्रेस्टफीड मां और उसके बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध बनाने में मदद करता है। दूध पिलाने के दौरान, शारीरिक अंतरंगता, त्वचा से त्वचा का संपर्क और आंखों का संपर्क भावनात्मक बंधन को मजबूत करता है और बच्चे के साथ-साथ मां को भी आराम देता है।

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