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Sleeping Problem: गर्मियों में नहीं पूरी हो रही 'रातों की नींद', तो अपनाएं डॉक्टर के बताए ये खास टिप्स

गर्मी और उमस के चलते रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज प्रभावित होता है। क्या आप जानते हैं कि मौसम का असर नींद पर भी पड़ता है? वैसे तो गर्मी से नींद का कोई सीधा कनेक्शन नहीं है लेकिन अक्सर इसके चलते स्लीपिंग शेड्यूल बिगड़ ही जाता है। ऐसे में आइए डॉक्टर से जानें कि इस मौसम में नींद की गुणवत्ता को कैसे बेहतर कर सकते हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 12 Jun 2024 09:27 PM (IST)
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गर्मी के दिनों में नहीं पूरी हो रही रातों की नींद, तो डॉक्टर के बताए ये टिप्स आएंगे काम

नई दिल्ली। Sleeping Problem: सेहतमंद रहने के लिए अच्छी और पर्याप्त नींद जरूरी है। इससे दिनभर की गतिविधियों से थके दिमाग को आराम मिल जाता है। जिस तरह किडनी रक्त फिल्टर करती है, ठीक वैसे ही नींद के दौरान दिमाग टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। ब्रेन का एक नया सिस्टम खोजा गया है- जीलिंफैटिक्स। इस तंत्र के जरिए सारे विषाक्त तत्व सर्कुलेट होकर रक्त के माध्यम से किडनी और फिर उससे बाहर आ जाते हैं, यानी नींद ब्रेन की प्रोसेसिंग को दोबारा एक्टिव करने में मददगार साबित होती है। यही वजह है कि अच्छी नींद के बाद सुबह जागने पर हम ताजगी महसूस करते हैं। हालांकि, इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है, जिसका असर स्लीपिंग शेड्यूल पर भी देखने को मिल रहा है। इस बारे में जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र ने डॉ. देबाशीष चौधरी, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी, जीबी पंत अस्पताल, नई दिल्ली से खास बातचीत की है।

8 घंटे से ज्यादा या 4 घंटे से कम न हो नींद

डॉ. देबाशीष चौधरी बताते हैं, कि आमतौर पर दो तरह के लोग होते हैं, एक वह जो सुबह जल्दी उठते हैं और दूसरे वह जो सुबह देरी से सोकर उठते हैं। आप सुबह जल्दी उठें या बाद में, लेकिन ध्यान रखें नींद की अवधि चार से घंटे से कम और आठ घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे कम या ज्यादा सोने पर शारीरिक-मानसिक समस्याएं बढ़ती हैं और उम्र भी घटती है। इसके कारण बीमार होने की भी संभावना बढ़ती है, ऐसे में नींद के साथ हमें एक बैलेंस बनाकर रखना चाहिए।

देर रात तक जागना है नुकसानदेह

आजकल लोग देर रात तक जागते हैं, कुछ लोग नाइट शिफ्ट करते हैं तो वहीं बहुत सारे लोग रात में काफी देर तक मोबाइल या टीवी भी देखते हैं। ऐसे लोग मानते हैं कि नींद थोड़ी कम हो जाए तो फर्क नहीं पड़ता। बता दें, एक-दो दिन तो फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन लगातार ऐसा करने पर ब्रेन खुद को रिस्टोर करने की अपनी क्षमता खोने लगता है। ब्रेन अगले दिन के लिए सही ढंग से तैयार नहीं हो पाता। इससे पूरे दिन आलस और थकान महसूस होती है।

अच्छी नींद क्यों जरूरी?

डॉक्टर बताते हैं कि आप कितनी देर सोए, इस बात से ज्यादा मायने ये रखता है कि आपने नींद कैसी ली, यानी नींद की गुणवत्ता।  नींद दो तरह की होती है, रैम स्लीप यानी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप और दूसरा नान-रैम स्लीप। नींद के दौरान शरीर हाइपोटोनिक यानी लूज हो जाता है। नींद का एक चरण होता है जिसमें आंख बंद होने पर भी पुतलियां घूमती हैं, इसे रैम स्लीप कहते हैं। आमतौर पर 60 साल से ज्यादा उम्र होने पर रैम स्लीप प्रभावित होने लगती है। इससे मस्तिष्क पूरी तरह अगले दिन के लिए तरोताजा नहीं हो पाता है।

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गर्मी के कारण स्लीपिंग शेड्यूल का बिगड़ना

आजकल गर्मी के कारण रात में कई बार नींद खुल जाती है या सोने में दिक्कत होती है। ऐसे में, अगर कोशिश करने के बाद भी आपको नींद नहीं आती है, तो यह बिगड़े हुए स्लीपिंग शेड्यूल का साफ लक्षण है। नींद में बाधा आने से गुस्सा, चिड़चिड़ापन होने लगता है। अनिद्रा के कारण एक मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनता है। कुछ लोगों को हर समय नींद की समस्या बनी रहती है। आजकल ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या होती है। इसके पीछे एक बड़ा कारण मोटापा और सांस की तकलीफ है। जिन्हें सांस में दिक्कत है, सोते समय उनकी सांस की नली बीच-बीच में बंद हो जाती है, जिससे बार-बार नींद टूटती है। सामान्य तौर पर जिन्हें पहले ये समस्याएं होती हैं, उन्हें इन दिनों में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर नींद में यह डिस्टर्बेंस साल-दो साल तक चलता रहे तो इसका असर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी पड़ता है। देखा गया है कि कुछ न्यूरो जेनरेटिव डिसऑर्डर, जैसे पार्किंसन बीमारी इत्यादि के पीछे खराब नींद एक बड़ा कारण बनती है।

इन दिनों माइग्रेन को लेकर रहें सतर्क

स्लीप खराब होने से इन दिनों माइग्रेन की समस्या भी बढ़ जाती है। माइग्रेन का नींद के साथ दोतरफा संबंध है। पहला, माइग्रेन के मरीजों में देखा गया है कि उनकी नींद खराब रहती है। दूसरा, जिन लोगों को नींद की समस्या है उन्हें ज्यादा माइग्रेन होता है। नींद पर्याप्त नहीं होना माइग्रेन होने का एक बड़ा कारण बन सकता है।

अच्छी नींद और बेहतर सेहत के लिए अपनाएं ये टिप्स

  • स्लीप हाइजीन यानी सोने-जागने का समय फिक्स करें। सोते वक्त मोबाइल और टीवी से दूर रहें और कमरे में अंधेरा करके सोएं।
  • दिन में गर्मी के सीधे संपर्क में आने से बचें। रात में सोते समय आसपास ठंडक रखने की कोशिश करें, ताकि नींद खराब न हो।
  • अनिद्रा की समस्या से बचने के लिए हाइड्रेशन यानी पर्याप्त पेयजल और अन्य द्रव्यों का सेवन जरूरी है।
  • ढीले ढाले कपड़े पहनने चाहिए, जिससे शरीर में एयर फ्लो सही ढंग से बना रहे। शरीर की त्वचा को ठंडा रखना चाहिए।
  • आम धारणा है कि सारा दिन काम करने के बाद रात में नींद आ जाती है। ऐसा नहीं है, नींद के लिए शरीर की एक प्रक्रिया होती है।
  • अगर नींद चक्र को बिगाड़ेंगे तो शरीर उसी तरह के व्यवस्थित होने की कोशिश करेगा। मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस नींद चक्र को नियमित करता है।

दिन में सोना कितना फायदेमंद?

डॉक्टर के मुताबिक, रात की नींद का विकल्प कोई नहीं हो सकता है। दिन में कितना भी सो लें, वह रात की नींद की भरपाई नहीं कर पाएगा। लेकिन हां, अगर दिन में थोड़े समय के लिए सोते हैं तो शरीर को थकावट से कुछ राहत तो मिल ही जाती है। बता दें, मस्तिष्क हमारे नींद चक्र को नियंत्रित करता है, दिन की रोशनी की इसमें बड़ी भूमिका होती है। दिन की रोशनी कम होने के साथ मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस एक्टिवेट होता है। रात में 10 बजे तक ऐसा संकेत देता है कि सोने का समय आ गया है। अब दिन में नींद की भरपाई करने की कोशिश करेंगे तो रात में नींद प्रभावित होगी। इस तरह के असंतुलन से ब्रेन की एक्टिविटी भी प्रभावित होती है। दिन में थोड़ी देर के लिए सो सकते हैं, लेकिन वह रात की नींद के लिए पर्याप्त नहीं होगा। रात की नींद बहुत जरूरी है। नींद अच्छी होगी तो जीवन अच्छा होगा।

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