Weight Loss के लिए कर रहे हैं एक्सट्रीम डाइटिंग, तो हो सकता है ये एक ईटिंग डिसऑर्डर
इन दिनों कई सारे लोग अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं। ऐसे में अपने वजन को कंट्रोल करने के लिए लोग कई सारी चीजें ट्राई करते हैं। एक्ट्रीम डाइटिंग (extreme dieting) इन्हीं में से एक है जो काफी हद तक Weight Loss में मदद करती है। हालांकि लंबे समय तक इसे फॉलो करने से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कुछ लोग वजन कम करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। घंटों भूखे- प्यासे रहने के साथ बहुत ज्यादा वर्कआउट और मेहनत करना लगभग हर किसी की वेट लॉस जर्नी हिस्सा होता है। ये एक प्रकार की एक्ट्रीम डाइटिंग है, जो कि एक डिसऑर्डर का रूप ले लेता है। एक्ट्रीम डाइटिंग शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से नुकसानदायक है। शॉर्ट टर्म के लिए भी ये फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन लंबे समय के लिए ये एक घाटे का सौदा है। आइए जानते हैं कि क्यों खराब है एक्सट्रीम डाइटिंग-
लीन मसल मास खत्म होने का डर
लगभग 30 की उम्र के बाद मसल मास खुद ही कम होना शुरू हो जाता है। इस प्रक्रिया को सार्कोपिनिया कहते हैं। स्वस्थ खानपान और सक्रिय जीवनशैली से हमें इसे बचा कर रखने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन एक्सट्रीम डाइटिंग से ये खत्म होने का डर बना रहता है।यह भी पढ़ें- क्या आप भी Stress Eating के हो गए हैं शिकार, तो जानिए इसे कंट्रोल करने के कारगर तरीके
मनपसंद न खा पाने का दुख
जब आप एक्सट्रीम डाइटिंग करते हैं, तो ये काफी सख्त होती है, जिसमें आपको अपने कई फेवरेट फूड को न खाने की सलाह दी जाती है। इस तरह अचानक अपने फेवरेट फूड्स न मिलने से हर समय एक क्रेविंग और दुखी होने का एहसास बना रहता है। फिर ये सख्ती ज्यादा दिन नहीं टिक पाती और अपने मूड स्विंग या मानसिक स्थिति के कारण आप एक्सट्रीम डाइटिंग को छोड़ आप कभी अनहेल्दी डाइट फॉलो कर सकते हैं।
फूड्स से हेल्दी रिलेशन न बना पाना
जब एक्स्ट्रीम डाइटिंग के दौरान खाए जाने वाले फूड्स को आप खाने के पहले अपने शरीर को इन्हें स्वीकार करने का पर्याप्त समय नहीं देते हैं, तो ये इन फूड्स से हेल्दी रिलेशन नहीं बना पाते हैं। दबाव में खाए जाने के कारण, एक्स्ट्रीम डाइटिंग तो फायदेमंद होती है और अच्छे परिणाम भी देती है, लेकिन इसके खत्म होते ही आप कम समय में ही अपने पुराने वजन में दोबारा आ जाते हैं।एक्सट्रीम डाइटिंग से बिंज ईटिंग को न्योता
इंसान एक्सट्रीम डाइटिंग के दौरान भूख को नजरअंदाज करने के लिए प्रोग्राम्ड रहता है। हमारा शरीर ऐसा डिजाइन रहता है कि सख्ती के बाद ये ओवरइटिंग करने पर मजबूर हो जाता है। इस दौरान ढेर सारे साईकोलॉजिकल, इमोशनल, बायोलॉजिकल फैक्टर रोल में आते हैं और एक्सट्रीम डाइटिंग को असफल बनाते हैं।