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Eye Problem: क्या है केराटोकोनस? जानें इसके लक्षण, कारण, जांच व बचाव के तरीकों के बारे में

Eye Problem केराटोकोनस आंखों से जुड़ी एक समस्या है जिसका सही समय पर उपचार न कराया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं इस समस्या के बारे में व साथ ही बचाव भी।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Thu, 29 Dec 2022 07:03 AM (IST)
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Eye Problem: क्या है केराटोकोनस? जानें इसके लक्षण, कारण, जांच व उपायों के बारे में
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Eye Problem: केराटोकोनस एक नेत्र विकार है जिसमें कॉर्निया धीरे-धीरे पतली होती जाती है जिससे कॉर्निया का मध्य भाग शंक्वाकार आकार में उभर आता है। यह धुंधला नज़र आने और प्रकाश तथा चमक के प्रति संवेदनशीलता का कारण बनता है। केराटोकोनस एक सामान्य स्थिति नहीं है और दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है। यह युवा वयस्कों में उनकी किशोरावस्था में और 20 से लेकर 30 साल की उम्र के लोगों में अधिक होता है और समान संख्या में पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है।

केराटोकोनस के लक्षण

रोग बढ़ने पर केराटोकोनस के लक्षण बदल सकते हैं। इनमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं:

- बिना चश्मे के धुंधला दिखाई देना।

- चश्मे के प्रिस्क्रिप्शन का बार-बार बदलना, उदाहरण के लिए हर 6 महीने में

- चश्मा पहन कर भी विकृत नज़र आना या छाया दिखना।

- रौशनी ऐसी नज़र आना जिसके चारों ओर प्रभामंडल दिखाई देता हो।

- तेज प्रकाश, चमक के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता और रात में ठीक-ठीक नज़र न आना।

- स्कूली बच्चों में, अपने साथियों की तुलना में दूर से ब्लैकबोर्ड को साफ-साफ देखने में असमर्थता।

अगर आप उपरोक्त लक्षणों में से किसी का भी अनुभव कर रहे हैं तो अपने नेत्र चिकित्सक यानी नेत्र रोग विशेषज्ञ (विशेष रूप से कॉर्निया सर्जन) को दिखाना महत्वपूर्ण है।

केराटोकोनस के कारण

यह स्पष्ट नहीं है कि केराटोकोनस किस कारण से होता है। आम तौर पर अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों से यह होता है। केराटोकोनस वाले लगभग 10 में से 1 व्यक्ति के माता-पिता को यह बीमारी होती है। परिवार में किसी को केराटोकोनस होना या आंखों को बहुत ज्यादा मलने से भी ये समस्या हो सकती है। आंखों की एलर्जी या अस्थमा के मरीजों को इसका ज्यादा खतरा होता है। तंत्रिका संबंधी विकार वाले बच्चों को भी इसकी होने की संभावना ज्यादा होती है। 

केराटोकोनस की जांच

आपके कॉर्निया सर्जन आपकी हेल्थ हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे और आपके आंखों की जांच करेंगे। डॉक्टर आपको आई ड्रॉप देंगे जो आपकी आंख के बीच के काले हिस्से (पुतली) को चौड़ा (पतला) करेगा। इससे डॉक्टर आपकी आंखों को अधिक स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। डॉक्टर इसके बाद आपकी आईसाइट, रोशनी, आंखों की हलचल आदि की जांच करेंगे। कॉर्नियल टोपोग्राफी नामक एक इमेजिंग परीक्षण आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ को आपका निदान करने में मदद करेगा। यह परीक्षण कॉर्निया के आकार में परिवर्तन को दिखाता है।

केराटोकोनस की रोकथाम

-आंखों को मलने से बचें।

- आंखों की एलर्जी के लिए उचित नेत्र परामर्श और उपचार लें।

- ओवर-द-काउंटर आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने से बचें।

- निर्धारित अवधि से अधिक या बोतल खोलने के 2 महीने बाद आई ड्रॉप का उपयोग करने से बचें।

- 5 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक बच्चे में केराटोकोनस के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने के लिए हर साल नियमित रूप से आंखों की जांच करवाने की आवश्यकता होती है ताकि इसके विकास और प्रगति को रोका जा सके।

केराटोकोनस का उपचार

केराटोकोनस का उपचार न करवाने से स्थायी दृष्टि हानि हो सकती है। यदि आपको केराटोकोनस का निदान किया गया है, तो सबसे महत्वपूर्ण है कि स्थिति को बिगड़ने से रोका जाए और सर्वोत्तम उपचार विकल्पों तथा अनुवर्ती देखभाल के मामले में अपने कॉर्निया सर्जन की सलाह का पालन किया जाए।

केराटोकोनस वाले रोगी के प्रबंधन के 2 व्यापक पहलू हैं; सबसे पहला - शारीरिक विकृति यानी केराटोकोनस का प्रबंधन, दूसरा, रोगी की दृष्टि का प्रबंधन।

आपके केराटोकोनस की विशेषताओं के आधार पर केराटोकोनस के प्रबंधन के कई विकल्प हैं। केराटोकोनस बढ़ने, धीमा करने या रोकने के लिए कॉर्नियल कोलेजन क्रॉस-लिंकिंग (C3R) की सलाह दी जा सकती है। गंभीर केराटोकोनस के मामले में, कॉर्निया प्रत्यारोपण की सलाह दी जा सकती है।

दृष्टि प्रबंधन के लिए, विभिन्न विकल्प हैं - चश्मा, विशेष कॉन्टैक्ट लेंस, फेकिक आईओएल या लेजर।

आपके कॉर्नियल सर्जन आपके केराटोकोनस की स्थिति के आधार पर आपको उपरोक्त विकल्पों में से कोई भी विकल्प प्रदान कर सकते हैं। विकल्पों के फायदे और नुकसान पर भी आपके और आपके परिवार के साथ विस्तार से चर्चा की जाएगी। अपने चिकित्सक के साथ विस्तृत चर्चा करके अपने उपचार और अपनी दृष्टि के बारे में अपनी अपेक्षाओं को जांचना बहुत महत्वपूर्ण है। अक्सर, ऐसे रोगियों में आंख या शरीर के बाकी हिस्सों की सह-रुग्णता होती है। आपके कॉर्नियल सर्जन के साथ मिलकर उपयुक्त विशेषज्ञों की मदद से इनसे निपटने की जरूरत है। आंखों की नियमित जांच उदाहरण के लिए कॉर्नियल टोपोग्राफी भी आवश्यक हैं।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि केराटोकोनस के लिए लगातार और आजीवन नेत्र परीक्षण करवाने की आवश्यकता होती है यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका कॉर्निया स्टेबल रहे और आपकी दृश्य तीक्ष्णता बनी रहे।

(डॉ नीरज शाह,  संकरा आई हॉस्पिटल, जयपुर के मोतियाबिंद, कॉर्निया और अपवर्तक सेवा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी

से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik